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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

19. ‘दंभ भरना’ क्यों ग़लत है, क्यों सही है ‘दम भरना’?

किसी के बारे में ‘विश्वास और अभिमान के साथ दावा करने’ के अर्थ में ‘दम भरना’ सही है या ‘दंभ भरना’? मीडिया में आपको दोनों मिलेंगे। हालत यह है कि एक ही समूह के दो अख़बारों – जागरण और नई दुनिया – में कहीं ‘दम भरना’ लिखा जा रहा है तो कहीं ‘दंभ भरना’। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

जो अराजक स्थिति हमें मीडिया में मिली, वही हाल हमारे फ़ेसबुक पोल में भी दिखा। 24 घंटों की वोटिंग लंबे समय तक लगभग बराबरी पर चली हालाँकि ‘दंभ भरने’ वाले ‘दम भरने’ वालों से हमेशा आगे रहे। पोल अवधि ख़त्म होने के समय दोनों के बीच 8% का अंतर था – 54 बनाम 46 (देखें चित्र)।

ऊपर वोटिंग के परिणाम और उसपर लगे टिक और क्रॉस के निशान से आप समझ ही गए होंगे कि सही है ‘दम भरना’।

दम फ़ारसी शब्द है और उसके बहुत-से अर्थ होते हैं जैसे साँस, प्राण, हुक़्क़े-चिलम का कश, ताक़त, मंत्र-टोटका, लम्हा, धोखा-फ़रेब आदि। अरबी में इसका अर्थ है ख़ून और ज़िंदगी। मेरे पास जो उर्दू-हिंदी शब्दकोश है, उसमें इसके 13 अर्थ दिए हुए हैं जिनमें से एक है शेखी, डींग। ‘दम भरना’ संभवतः उसी से बना है (देखें चित्र)।

हिंदी शब्दसागर में इसके अर्थ को बहुत अच्छी तरह समझाया गया है – किसी के प्रेम अथवा मित्रता आदि का पक्का भरोसा रखना और समय-समय पर अभिमानपूर्वक उसका वर्णन करना (देखें चित्र)।

दम भरना से दंभ भरना क्यों हुआ?

‘दम भरना’ बदलकर ‘दंभ भरना’ क्यों हुआ होगा? शायद इसलिए कि ‘दम’ से घमंड या अभिमान का कुछ संबंध दिखता नहीं है। कुछ लोगों को लगा होगा कि बात अभिमान करने की है तो सही शब्द दंभ ही होगा। वैसे दंभ और अभिमान में अंतर है। मुझे दंभ बहुत ज़्यादा नकारात्मक लगता है। दंभ भरना इसलिए भी ग़लत है कि दंभ के साथ ‘होना’ क्रिया लगती है – मसलन उसे अपनी ऊँची जाति का दंभ है। ‘दंभ करना’ चल सकता है हालाँकि वह भी एक अटपटा प्रयोग होगा। जैसे ‘उसे अपने चाचा के मंत्री होने का बड़ा दंभ है’ यह तो चलेगा लेकिन ‘वह अपने चाचा के मंत्री होने का दंभ करता है’ के बजाय ‘वह अपने चाचा के मंत्री होने का घमंड करता है’ बेहतर प्रयोग है।

दम के बारे में पढ़ते हुए ‘हिंदी शब्दसागर’ में एक रोचक जानकारी मिली जानवरों के बारे में। इसमें दम से बने बहुत सारे मुहावरे दिए हुए हैं जिनमें एक है – दम चुराना। दम चुराने का अर्थ है – जानबूझकर साँस रोकना। अर्थ में ख़ास कुछ नहीं है लेकिन इसके बाद जो लिखा है, वह दिलचस्प है और कम-से-कम मुझे जैसे व्यक्ति को तो नहीं ही पता था जो आजीवन मेट्रो शहरों में ही रहा है।

पढ़ लिया आपने? पता चल गया कि पशु भी कितने चतुर होते हैं? लेकिन एक बाद कहूँगा, कोशकार द्वारा जानवरों को ‘मक्कार’ कहना मुझे नहीं जँचा। ख़ुद को बचाने के लिए यदि कोई प्राणी कुछ उपाय करता है तो उसे मक्कारी कैसे कहेंगे? कोशकार पशुओं के प्रति द्वेषपूर्ण प्रतीत होता है या हो सकता है, मैं उनके प्रति ज़्यादा स्नेहिल हो रहा हूँ। आपका क्या ख़्याल है?

अरे हाँ, ख़्याल सही है या ख़याल? इसके बारे में जानने की रुचि हो तो इस क्लास पर जाएँ।

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