Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

98. कहीं आप भी तो नहीं फँसे ‘दुष्चक्र’ के दुश्चक्र में?

एक ऐसा चक्र जिससे निकलना बहुत ही मुश्किल हो, उसे दुष्चक्र कहेंगे या दुश्चक्र? जब मैंने फ़ेसबुक के मंच से इसके बारे में एक पोल किया तो 80% ने दुष्चक्र के पक्ष में वोट किया। दुश्चक्र को सही बताने वाले केवल 20% थे। सही है दुश्चक्र, यह आप ऊपर की तस्वीर से ही जान गए होंगे। लेकिन दुश्चक्र सही क्यों है और दुष्चक्र ग़लत क्यों, इसका नियम जानने के लिए आगे पढ़ें।

इन दो शब्दों – दुश्चक्र और दुष्चक्र के बीच पोल करने का आइडिया मुझे एक वेबसाइट पर प्रकाशित हेडलाइन से आया (नीचे देखें चित्र)। मुझे लगा, जब बड़ी-बड़ी वेबसाइटें यह ग़लती कर सकती हैं तो न जाने और कितने होंगे जो यही ग़लती करते होंगे। सो इस बार का पोल इसी पर कर दिया। मेरा अनुमान था कि बड़ी संख्या में लोग दुष्चक्र के पक्ष में वोट करेंगे लेकिन ऐसा करने वाले तीन-चौथाई से भी ज़्यादा होंगे, इसका अंदाज़ा मुझे नहीं था।

सही है दुश्चक्र (देखें चित्र)। क्यों, यह हम नीचे जानते हैं।

जिस शब्द पर मैंने पोल किया था, वह बना है दुस् और चक्र से। दुस् का अर्थ है बुरा, दुष्ट या कठिन। यह दुस् जब उपसर्ग के तौर पर किसी और शब्द से जुड़ता है तो स् की ध्वनि र, श और ष् में बदल जाती है (देखें चित्र)।

कब और कहाँ क्या परिवर्तन होता है, यह हम नीचे देखते हैं।

  • स्वर और घोष वर्णों से पहले आए तो स् र् हो जाता है जैसे दुस्+गम=दुर्गम, दुस्+दिन=दुर्दिन, दुस्+आत्मा=दुरात्मा आदि।
  • च और छ से पहले आए तो स् श् में बदल जाता है जैसे दुस्+चिंता=दुश्चिंता, दुस्+चरित्र=दुश्चरित्र आदि।
  • क और प से पहले आए तो स् ष् में बदल जाता है जैसे दुस्+कर=दुष्कर, दुस्+प्रभाव=दुष्प्रभाव।

अब आप देखिए कि हम जिस शब्द की चर्चा कर रहे हैं, उसमें दुस् के बाद क्या है। चक्र है। ऊपर के तीनों नियम फिर से पढ़िए और ख़ुद ही पता कर लीजिए कि सही शब्द क्या होगा – दुश्चक्र या दुष्चक्र।

यह तो हुआ नियमों के हवाले से विवाद का निपटारा। लेकिन यह प्रश्न तो रह जाता है कि दुस् का स् कभी र्, कभी श् और कभी ष् में क्यों बदल जाता है। आइए, इसे नीचे समझते हैं।

हिंदी में ‘स’ परिवार के तीन सदस्य हैं – श, ष और स। इन तीनों का तीन जगहों से उच्चारण होता है और इसी कारण इनकी पहचान भी उसी हिसाब से होती है।

  • श का उच्चारण जीभ के तालू को स्पर्श करने से होता है, इसलिए उसका नाम पड़ा तालव्य श।
  • ष का उच्चारण मूर्धा (तालू में और गहरे) को स्पर्श करने से होता है, इसलिए उसका नाम मूर्धन्य ष पड़ा।
  • स का उच्चारण जीभ के दाँतों को स्पर्श करने से होता है, इसलिए उसका नाम हुआ दंत्य स

कुछ लोग जो तालव्य और मूर्धा आदि नहीं समझते (या समझा पाते), वे इन्हें शेर वाला श, षट्कोण वाला ष और सवार वाला स कहते हैं।

आप जानते होंगे कि हिंदी वर्णमाला के जो पहले पचीस व्यंजन हैं, वे भी स्पर्श के आधार पर ही पाँच भागों में बाँटे गए हैं। कवर्ग में कंठ से बोले जाने वाले व्यंजन हैं (यानी कंठ्य) तो चवर्ग में जीभ और तालू के स्पर्श से बोले जाने वाले व्यंजन हैं (यानी तालव्य)। टवर्ग के व्यंजनों का उच्चारण जीभ के मूर्धा को स्पर्श करने से होता है (यानी मूर्धन्य) तो तवर्ग के सदस्यों के उच्चारण के लिए जीभ दाँतों को स्पर्श करती है (यानी दंत्य)। पवर्ग के व्यंजनों का उच्चारण दोनों होंठों के स्पर्श से होता है (इसलिए ओष्ठ्य)।

विभिन्न ध्वनियों का उच्चारण करते समय जीभ को यहाँ-वहाँ बहुत दौड़ना-भागना पड़ता है। संयुक्ताक्षरों के मामले में तो बड़ी आफ़त है। अभी दाँत के पास तो अगले ही सेकंड तालू की ओर। ऐसे में उसे थोड़ी राहत मिलती है अगर (संयुक्ताक्षरों के मामले में) दोनों ध्वनियाँ सजातीय हों यानी उनका उच्चारण स्थल समान या आसपास हो। मसलन तवर्ग दंत्य है सो तवर्ग के सदस्यों के साथी के तौर पर वह श्, ष् और स् में से स् को चुनती है क्योंकि वह भी दंत्य है। इसी तरह चवर्ग तालव्य है सो उसके सदस्यों के लिए वह इन तीनों भाइयों में से श् को चुनती है क्योंकि वह भी तालव्य है। यही बात टवर्ग के मामले में भी लागू है जिसमें ष् सबसे ज़्यादा फ़िट बैठता है क्योंकि वह भी मूर्धन्य है।

सो पहला नियम यह बना कि यदि श्, स् और ष् अपने व्यंजन रूप में (यानी बिना स्वर के सपोर्ट के) किसी वर्ण के साथ जोड़ी बनाते हैं तो अपनी प्रकृति के अनुसार श् चवर्ग का, ष् टवर्ग का और स् तवर्ग का हाथ थामेगा।

नीचे उदाहरणों से मेरी बात और स्पष्ट हो जाएगी।

  1. चवर्ग के साथ श् – निश्चय, दुश्चिंता, दुश्चरित्र, निश्चल, निश्छल आदि।
  2. टवर्ग के साथ ष् – दुष्ट, निष्ठा, प्रतिष्ठान, कष्ट, कृष्ण, पृष्ठ आदि।
  3. तवर्ग के साथ स् – रास्ता, हस्ताक्षर, आस्था, स्थान, स्नान आदि।

अब हम आते हैं अपने मूल प्रश्न पर कि सही शब्द दुष्चक्र है या दुश्चक्र। इसके लिए आप देखिए कि दुश्चक्र/दुष्चक्र में श् या ष् के बाद का वर्ण क्या है। वह है च, सो चवर्ग से पहले श् ही आएगा (क्योंकि दोनों तालव्य हैं) जैसा कि हम निश्चय, दुश्चिंता, दुश्चरित्र आदि में देखते हैं। सिंपल।

चलिए, सही शब्द का फ़ैसला दोनों तरह से हो गया लेकिन यह जानना तो बाक़ी रह गया कि चवर्ग, टवर्ग और तवर्ग से बाहर का कोई वर्ण हो यानी अगर कोई वर्ण कवर्ग, पवर्ग या य-र-ल-व में से हो तो उससे पहले क्या आएगा – श्, ष् या स्? इसके अलावा श, ष और स आपस में किसके साथ जुड़ते हैं?

पहले कवर्ग-पवर्ग तथा य-र-ल-व का मामला सुलझा लें। कवर्ग और पवर्ग में मुख्यतः ष् ही आता है। कवर्ग में कभी-कभी स् भी आ जाता है। नीचे उदाहरण देखते हैं।

  1. कवर्ग में ष – निष्कपट, दुष्कर्म, दुष्कर, निष्क्रिय आदि। लेकिन नमस्कार, पुरस्कार और भास्कर भी।
  2. पवर्ग में ष – पुष्प, वाष्प, कुष्मांड, ग्रीष्म, भीष्म, ऊष्म आदि। कभी-कभी श् भी। जैसे रश्मि, जीवाश्म आदि।
  3. य, र, ल, व के मामले में कोई एक नियम नहीं है क्योंकि इनका मामला वैसा ही है जैसे छोटी-मोटी पार्टियाँ चुनाव लड़ने के लिए अपना एक मोर्चा बना लेती हैं लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद सत्ता के लिए किसी के भी साथ जुड़ने को तैयार हो जाती हैं। इसलिए हमें इसमें श्, ष् और स् तीनों के प्रति प्रेम दिखाई देता है। य – श्याम, शिष्य, सदस्य। र – श्रुति, स्रोत। ल – श्लील, श्लोक। व – स्वतंत्र, श्वान, इक्ष्वाकु।
  4. श, ष और स से पहले उनका समान वर्ण ही आता है। जैसे निश्शंक, निस्सार, चतुष्षष्टि।

ऊपर मैंने अलग-अलग वर्गों और व्यंजनों से श्, ष् और स् का जो रिश्ता बताया है, उसे आप तीन शब्दों के मार्फ़त याद रख सकते हैं – निश्छल निष्कपट दास्तान। तीनों की पहली ध्वनि इग्नोर करें तो आपको पता चल जाएगा, किस वर्ग के साथ क्या आएगा।

  • निश्छल – श् के साथ छ वाला वर्ग (यानी चवर्ग) और ल।
  • निष्कपट – ष् के साथ क, प और ट वाले वर्ग।
  • दास्तान – स् के साथ त वाला वर्ग।

हाँ, एक बात बतानी रह गई। ऊपर मैंने जो कॉम्बिनेशन बताया है, वह संस्कृत से आए शब्दों के लिए है। अन्य स्रोतों से आए शब्दों में यह बंधन नहीं है। जैसे हमें इश्क़ और मुश्क के मामले में श् और क़/क का कॉम्बिनेशन मिलता है, कुश्ती और भिश्ती में श् और त का योग दिखता है तथा स्लेट और स्लीप में स् और ल की जोड़ी मिलती है।

आपने यह क्लास पढ़ ली तो यह तो समझ ही गए होंगे कि मिष्टान्न या मिष्ठान्न में क्यों ष् है, स् या श् क्यों नहीं। क्योंकि ष् भी मूर्धन्य है और टवर्ग के सदस्य के रूप में ट और ठ भी। लेकिन सही शब्द मिष्टान्न है या मिष्ठान्न? इसके बारे में मैं शब्द पहेली 67 में चर्चा कर चुका हूँ। रुचि हो तो पढ़ सकते हैं। लिंक है –

पसंद आया हो तो हमें फ़ॉलो और शेयर करें

अपनी टिप्पणी लिखें

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial