… मैंने देखा – एक छोटी-सी चुहिया निष्प्राण उलटी पड़ी हुई थी। उसके छोटे-छोटे निष्क्रिय हाथ-पैर फैले हुए थे। मेरी आँखों में आँसू आ गए। दुनिया के युद्धग्रस्त इलाक़ों की ऐसी तमाम तस्वीरें मेरे सामने बिछ गईं जिनमें बमबारी का शिकार हुए छोटे-छोटे बच्चों के शव नज़र आते थे…
पिछले दिनों घर में चुपके से घुस आई एक चुहिया की जान लेने के बाद मन में जो ख़्याल उभरे, उन्हीं को एक लेख की शक्ल दे दी है। रुचि हो तो पढ़ें।