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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

175. जोखिम ‘ली’ जाती है या ‘लिया’ जाता है?

ज़िंदगी में हर कोई वक़्त और ज़रूरत पड़ने पर जोखिम लेता ही है। यानी नुक़सान की आशंका होते हुए भी जानते-बूझते हुए ख़तरे का सामना करता है। कभी कोई अपने ड्राइविंग कौशल का दिखावा करने के लिए गाड़ी हवा में दौड़ाता है तो कभी कोई युवती अपने करियर को दाँव पर लगाते हुए भी अपने ग़लीज़ बॉस की शिकायत करती है। दोनों ही मामलों में जोखिम है। और हमारा आज का सवाल बस यही है कि यह जोखिम ली जाती है या लिया जाता है। जोखिम स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग?

जब मैंने जोखिम के बारे में फ़ेसबुक पर एक पोल किया तो 83% के विशाल बहुमत ने एकतरफ़ा वोट करते हुए जोखिम को पुल्लिंग बता दिया। जोखिम को स्त्रीलिंग बताने वाले बहुत कम थे – 17%।

इसका मतलब यह हुआ कि आज की तारीख़ में हर पाँच में से चार हिंदीभाषी जोखिम को पुल्लिंग के तौर पर इस्तेमाल करते हैं लेकिन मैंने जितने शब्दकोश देखे, उन सबमें यह स्त्रीलिंग दिया हुआ है (देखें चित्र)।

ऐसे में क्या करें? शब्दकोश को सही मानें या प्रचलन को? सच तो यह है कि मैं ख़ुद भी जोखिम को पुल्लिंग के तौर पर लिखता-बोलता आया हूँ। इसलिए जब मैंने कुछ दिन पहले किसी शब्दकोश में इसे स्त्रीलिंग देखा तो मैं ख़ुद चौंक गया। फिर सोचा, पता करते हैं कि बाक़ी लोग इसे क्या बोलते हैं, सो फ़ेसबुक पर पोल किया जिसका नतीजा आपने ऊपर देख ही लिया।

हिंदी के सभी शब्दकोशों में जोखिम को स्त्रीलिंग दिया हुआ है, इससे यह अनुमान होता है कि पहले यह इसी तरह बोला-लिखा जाता रहा होगा – मैंने जोखिम ली, यह बड़ी जोखिम का काम है। लेकिन धीरे-धीरे यह पुल्लिंग होता गया। मगर नए शब्दकोश जो आम तौर पर बिना मेहनत किए पुराने शब्दकोशों के आधार पर ही बना लिए जाते हैं, उनमें इस बदलाव का ध्यान नहीं रखा गया और इसीलिए हर शब्दकोश में यह स्त्रीलिंग के रूप में ही दिखाया जाता रहा।

दूसरी स्थिति यह हो सकती है कि भारत के कुछ इलाक़ों में यह स्त्रीलिंग बोला जाता हो और कुछ में पुल्लिंग जैसा कि हम दही, प्याज़, तार, रोड आदि के मामले में देखते हैं। 

अब प्रश्न यह कि अगर यह शुरू में स्त्रीलिंग था तो अब अधिकतर जगहों पर पुल्लिंग क्यों हो गया। मेरी समझ में एक कारण आता है कि इससे मिलते-जुलते अर्थ वाला ख़तरा पुल्लिंग है। तो जो लोग जोखिम को ख़तरा के पर्यायवाची शब्द के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, वे इसे भी ख़तरा की तरह पुल्लिंग बोलने लगे।

आम तौर पर जोखिम (risk) और ख़तरा (danger) को एक-दूसरे का पर्यायवाची माना जाता है लेकिन मेरी समझ से दोनों में बुनियादी अंतर है। जब कहीं किसी को किसी भी तरह के नुकसान की आशंका हो तो हम कहते हैं – वहाँ ख़तरा है। जैसे समुद्र या जंगल में जाना, रात को निकलना, तेज गाड़ी चलाना। लोग ऐसी जगहों या ऐसी स्थितियों में जाने से बचते हैं क्योंकि वे कोई नुक़सान नहीं उठाना चाहते।

लेकिन अगर कोई उस ख़तरे के लिए ख़ुद ही तैयार हो जाए, उसका मुक़ाबला करना चाहे? इसलिए चाहे कि उसे ख़तरे के पार किसी लाभ की संभावना है तो? तब हम उसे जोखिम कहते हैं।

यानी जोखिम तब हुआ जब कोई किसी संभावित लाभ के लिए किसी आशंका वाली स्थिति का सामने करने को तैयार हो जाए। मसलन किसी जलते हुए मकान में घुसने में ‘ख़तरा’ है लेकिन यदि कोई व्यक्ति उस जलते हुए मकान में इसलिए घुसे कि उसे किसी को बचाना है तो हम कहेंगे – उसने जान को ‘जोखिम’ में डाला। एक वाक्य में कहें तो ख़तरे की स्थिति का सामना करना ही जोखिम उठाना है। सामना नहीं किया तो ख़तरा, सामना किया तो जोखिम।

जोखिम एक ऐसा शब्द है जिसके माँ-बाप का पता नहीं है यानी यह किस भाषा से आया, इसपर कोशकारों में सहमति नहीं है। ज़ख़्म और ज़ख़ीरा जैसे शब्दों के चलते मैं इसे उर्दू (अरबी-फ़ारसी परिवार) का शब्द समझता था क्योंकि हिंदी में ऐसे शब्द नहीं के बराबर हैं जहाँ ‘ज’ के बाद ‘ख’ आता हो। लेकिन शब्दकोशों से भी पता नहीं चलता कि यह कहाँ से आया है। उनमें इसके स्रोत के तौर पर अलग-अलग संभावनाएँ जताई गई हैं। प्लैट्स के शब्दकोश में इसे संस्कृत के योगक्षेमं से आया बताया गया है (देखें चित्र) लेकिन हिंदी शब्दसागर इस विषय में दुविधा बल्कि त्रिविधा में है। इसके पुराने संस्करणों में तीन-तीन संभावनाएँ दिखाई गई हैं परंतु ये शब्द ठीक से पढ़े नहीं जा रहे हैं। कुछ-कुछ — झाँक, झोंको/झोंकी और जोखी – जैसे दिख रहे हैं (देखें चित्र)। वैसे बांग्ला में जोखिम के लिए जो शब्द है – झुँकि (ঝুঁকি) – वह झोंकी से काफ़ी मिलता-जुलता है।। मराठी में इसके लिए धोका शब्द है।

शब्दसागर के बाद के कोशकारों को भी समझ में नहीं आया कुछ तो उन्होंने जोखिम की एंट्री में स्रोत के तौर पर कुछ न देकर ब्रैकिट में प्रश्नवाचक चिह्न डाल दिया (देखें चित्र)।

जोखिम की तरह और भी कई शब्दों के लिंग के बारे में मतभेद है। उनमें से एक है रामायण। रामायण पढ़ा या रामायण पढ़ी? इसपर हम अतीत में चर्चा कर चुके हैं। रुचि हो तो नीचे दिए गए लिंक पर जाएँ।

https://aalimsirkiclass.com/27-hindi-word-quiz-shabd-paheli-27-ramayan-masculine-or-feminine-gender
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2 replies on “175. जोखिम ‘ली’ जाती है या ‘लिया’ जाता है?”

Nice article on Hindi gender and very elaborating too.
Actually there is a better way of phonetic understanding in Hindi determining the gender of any unmarked word and it will be correct all the time without fail.
Pls contact me for info so you could post this in your site and let all your followers try and get feedback of their results. A simple rules that makes hindi gender easy for anyone without any confusion

मैं आपसे संपर्क करूँगा और इस विषय में जानकारी हासिल करूँगा।

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