संवेदना, सम्वेदना और समवेदना। ये तीन शब्द हैं जिनका उच्चारण लगभग समान है मगर स्पेलिंग में अंतर है। ये शब्द किसी के दुख में sympathy जताने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। मगर इनमें से सही क्या है? आज की चर्चा इसी विषय पर है। रुचि हो तो पढ़ें।
जब sympathy के हिंदी पर्याय पर एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो 83% के विशाल बहुमत ने संवेदना के पक्ष में वोट दिया। शेष 12% ने सम्वेदना को और 5% ने समवेदना को सही बताया।
सही क्या है?
चूँकि हम sympathy का हिंदी अनुवाद खोज रहे हैं, इसलिए सबसे पहले हमें sympathy का अर्थ समझना होगा।
Oxford के शब्दकोश में sympathy का यह अर्थ दिया हुआ है – feelings of pity and sorrow for someone else’s misfortune.
यानी sympathy शब्द के केंद्र में दया और दुख की अनुभूति है, लेकिन इस अनुभूति की वजह अपना नहीं, किसी और का (दुर्भाग्यजनित) दुख है।
यानी जो भी शब्द sympathy के अनुवाद के तौर पर इस्तेमाल होगा, उसमें दो तत्व महत्वपूर्ण होंगे – ‘क’ का दुख और उसकी वजह से ‘ख’ में दुख की अनुभूति।
क्या संवेदना में वे दोनों तत्व हैं? आइए, हिंदी शब्दसागर में उसका अर्थ देखते हैं।
इस कोश में संवेदना का अर्थ दिया हुआ है – अनुभव करना। सुख-दुख आदि की प्रतीति करना। क्लेश, आनंद, शीत, ताप आदि को मन में मालूम करना (देखें चित्र)।
संक्षेप में कहें तो संवेदना का मतलब हुआ सुख-दुख, सर्दी-गर्मी आदि का अहसास।
लेकिन यह अनुभूति, यह अहसास किसके लिए है? अपने लिए या किसी और के लिए? अपने कारण या किसी और के कारण? एक बार फिर से संवेदना के अर्थ देखें, sympathy में दूसरों की तक़लीफ़ के कारण होने वाली जिस अनुभूति की बात कही गई है, वह अर्थ क्या संवेदना का है?
चलिए, हो सकता है, हिंदी कोशकारों ने कुछ मिस कर दिया हो और संवेदना का संस्कृत में वही अर्थ हो जो हम खोज रहे हैं। इसलिए संस्कृत के कोश का सहारा लेते हैं। चूँकि मेरे पास जो संस्कृत कोश है, उसमें अर्थ अंग्रेज़ी में दिए हुए हैं इसलिए अंग्रेज़ी में ही उसके जो अर्थ मिले, वे नीचे कॉपी-पेस्ट कर रहा हूँ।
संवेदनम् saṃvedanam, संवेदना saṃvedanā 1 Perception, knowledge. -2 Sensation, feeling, experiencing, suffering; दुःखसंवेदनायैव रामे चैतन्यमर्पितम् U.1.48. -3 Giving, surrendering; सुलभेष्वर्थ- लाभेषु परसंवेदने जनः Mu.1.25. -4 Betrayal.
इसमें कहीं आपको दिखा कि संवेदनम्/संवेदना में जिस feeling, जिस अनुभूति की बात हो रही है, वह ‘दूसरे किसी व्यक्ति‘ के कष्ट के कारण है? इसमें एक अर्थ suffering दिया हुआ है, लेकिन वह दूसरे के कष्ट के कारण है, ऐसा तो कहीं नहीं लिखा।
एक वाक्य में कहूँ तो संस्कृत और हिंदी के मानक कोशों के अनुसार संवेदना का अर्थ है अनुभूति – (किसी व्यक्ति द्वारा) सुख-दुख-शीत-ताप आदि की (स्वयं की गई) अनुभूति।
यदि ऐसा है तो किसी और के कष्ट में ख़ुद भी दुखी होने के अर्थ में यानी sympathy के अनुवाद के तौर पर संवेदना का प्रयोग कैसे हो सकता है?
नहीं हो सकता। इसी कारण समवेदना (सम+वेदना) शब्द बनाया गया। गढ़ा गया।
दरअसल जब हम किसी परायी भाषा के शब्द में व्यक्त अर्थ को अपनी भाषा की शब्दावली में व्यक्त करना चाहते हैं, तो पहले यह पता लगाते हैं कि अपने यहाँ उसी अर्थ को व्यक्त करने वाला कोई शब्द मौजूद है या नहीं और यदि मौजूद है, तो क्या वह आयातित शब्दार्थ को सटीक रूप में अभिव्यक्त करने में सक्षम है? लेकिन जैसा कि हमने Sympathy के मामले में देखा, हिंदी में पहले से मौजूद शब्द – संवेदना – वह अर्थ प्रकट नहीं करता। वह किसी और अर्थ में प्रचलित हो चुका होता है। इसलिए हमें बाध्य होकर आयातित अर्थ को सही-सही व्यक्त करने के लिए नए शब्द गढ़ने पड़ते हैं।
हम नए शब्द गढ़ेंगे कहाँ से? नए शब्द गढ़ने के लिए हमें अपनी भाषाओं के संचित, समेकित और साझा शब्द-भण्डार से ही सामग्री लेनी पड़ती है। सभी भारतीय आर्य भाषाओं का साझा शब्द भण्डार भी वही है, जो संस्कृत का है। संस्कृत भी वहीं से सामग्री लेती रही है, तो हिंदी भी वहीं से लेगी।
सो sympathy के पर्याय बनाने के लिए संस्कृत से दो शब्द लिए गए – सम और वेदना।
वेदना के कई अर्थ हैं लेकिन इसके जिस अर्थ से हम सबसे अधिक परिचित हैं, वह है पीड़ा। आप्टे के कोश में तीसरे नंबर पर यह अर्थ दिया हुआ है – Pain, torment, agony, anguish (देखें चित्र)।
जब इस वेदना के आगे सम (अर्थ-समान) लगाकर समवेदना शब्द बनाते हैं तो उसका अर्थ हो जाता है समान वेदना। यानी वह वेदना या कष्ट जो किसी और की वेदना या कष्ट के समान हो। यह अर्थ sympathy से काफ़ी मिलता-जुलता है। मुझे नहीं पता कि यह शब्द कब और किसने बनाया क्योंकि यह किसी भी संस्कृत कोश में नहीं है। लेकिन जिसने भी बनाया, सोच-समझकर बनाया और हिंदी के तमाम कोशकारों ने उसे अपने कोशों में जगह दी (देखें चित्र)।
लेकिन तमाम कोशों में सतत उपस्थिति के बावजूद आज हिंदी समाज का 80% से भी बड़ा हिस्सा समवेदना के बजाय संवेदना का प्रयोग कर रहा है। पूरे इंटरनेट पर समवेदना का प्रयोग मुझे बहुत कम मिला। ऐसे में संवेदना को ग़लत बताने और समवेदना को सही ठहराने का क्या कोई औचित्य है? क्या प्रचलन का सिद्धांत संवेदना को सही नहीं ठहराता?
अपना यह सवाल मैंने अपने कुछ विद्वान मित्रों के समक्ष रखा जो संस्कृत और हिंदी के अच्छे ज्ञाता हैं। सभी ने एक सिरे से समवेदना को ठुकरा दिया। भाषा वैज्ञानिक योगेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि कोशकार प्रचलन को महत्व देने के बजाय पिछले कोशों की नक़ल करते हैं, इसीलिए यह शब्द प्रचलन से बाहर होने के बावजूद शब्दकोशों में पड़ा हुआ है।
संस्कृत के दो अन्य जानकारों डॉ. शक्तिधरनाथ पांडेय और डॉ. आर. एन. शुक्ल ने माना कि मूलतः संवेदना में ‘दूसरों की’ पीड़ा महसूस करने वाली बात नहीं है लेकिन संस्कृत में सम् का अर्थ कहीं-कहीं साथ (संगम, संभाषण, संघ) और समान (समर्थ=समान अर्थ) भी होता है इसलिए उस आधार पर संवेदना का भी सम्+वेदना=समान वेदना वाला अर्थ निकाला जा सकता है।
यानी संवेदना का भी वही अर्थ निकल सकता है जो हमने ऊपर समवेदना (सम+वेदना) का निकाला था।
मतलब? संवेदना=समवेदना?
क्या संवेदना और समवेदना दोनों सही हैं?
इसका जवाब यदि हाँ में भी हो तो सवाल उठता है कि वरीयता किसे दी जाए। sympathy के लिए क्या लिखा जाए?
इसका फ़ैसला मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूँ। आप स्वयं निर्णय कीजिए। कुछ बातें हैं जो संवेदना के पक्ष या विपक्ष में जाती हैं और कुछ बातें हैं जो समवेदना का पक्ष मज़बूत या कमज़ोर करती हैं। आपकी सुविधा के लिए मैंने नीचे उनको सूचीबद्ध कर दिया है।
- संवेदना के पक्ष में तर्क
- यह बहुप्रचलित है।
- सम् के समान वाले अर्थ के आधार पर इसका वही अर्थ निकाला जा सकता है जो sympathy का है।
- संवेदना के विरोध में तर्क
- संस्कृत में संवेदना का अर्थ अनुभूति है। किसी और की वेदना के कारण ख़ुद भी कष्ट महसूस करने का अर्थ कहीं नहीं मिलता।
- संवेदना का समान वेदना के अर्थ में प्रयोग संस्कृत में कहीं नहीं हुआ। जहाँ हुआ है, वहाँ अनुभूति के रूप में ही हुआ है।
- समवेदना के पक्ष में तर्क
- सम+वेदना के रूप में यह वही अर्थ देता है जो sympathy का है।
- सभी हिंदी शब्दकोशों में यह शब्द है।
- समवेदना के विरोध में तर्क
- संस्कृत में यह शब्द नहीं मिलता। यह बनाया हुआ शब्द है।
- समवेदना प्रचलन में नहीं है।
यदि मेरा फ़ैसला पूछें तो मैं कल भी समवेदना के पक्ष में था, आज भी समवेदना के पक्ष में हूँ।