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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

181. लब्बेलुबाब, लब्बोलुआब, लब्बोलुबाब या लुब्बेलुबाब?

किसी बहस या स्पीच के मूल तत्व को कहते हैं सार-संक्षेप। उर्दू में इसके लिए एक प्यारा-सा शब्द है मगर उसकी स्पेलिंग के बारे में एक राय नहीं है। कुछ लोग इसे लब्बोलुबाब कहते हैं तो कुछ लब्बोलुआब। कुछ और लोगों का मानना है कि सही शब्द न लब्बोलुबाब है न लब्बोलुआब, बल्कि लब्बेलुबाब है। चंद लोग इसमें भी सुधार करके बोलते हैं – लुब्बेलुबाब। ऐसे में किसी का भी सर चकराना स्वाभाविक है। लेकिन सही शब्द की तलाश करना ही हमारा काम है। तो क्या है सही शब्द, जानने में रुचि हो तो आगे पढ़ें।

इस शब्द के बारे में मैं ख़ुद भ्रम में था और तीन-चार शब्दकोश देखने के बाद ही पता चला कि सही शब्द क्या है। लेकिन लगता है, हिंदी जगत में इस शब्द को लेकर कोई ‘भ्रम’ नहीं है। कारण, मैंने तीन साल के अंतर पर फ़ेसबुक के दो अलग-अलग मंचों पर इसके बारे में पोल किया और आश्चर्यजनक रूप से दोनों में एक जैसा नतीजा आया। दोनों पोलों में 85% ने बिनी किसी हिचक के लब्बोलुबाब के पक्ष में वोट किया। यानी जिस शब्द को हिंदी जगत के 85% लोग सही मानते हैं, वह है लब्बोलुबाब। 

मगर क्या यह सही है?

नहीं। उर्दू, हिंदी, फ़ारसी, अरबी – किसी भी शब्दकोश में न मुझे लब्बोलुबाब शब्द मिला, न ही लब्बोलुआब। हर कोश में जो शब्द मिला, वह है – लुब्बेलुबाब जिसे हम लुब्ब-ए-लुबाब भी लिख सकते हैं। मद्दाह के उर्दू-हिंदी शब्दकोश, रामचंद्र वर्मा के उर्दू-हिंदी कोश और रेख़्ता की साइट – सभी में यही शब्द है – लुब्बेलुबाब। हिंदी शब्दसागर में लुब्बलुबाब दिया गया है, लेकिन साथ में यह भी लिखा है कि अरबी मूल लुब्बेलुबाब ही है (देखें चित्र)।

लुब्बेलुबाब दो शब्दों से मिलकर बना है। लुब्ब और लुबाब – ये दोनों शब्द दिखने में एक जैसे हैं और उनका अर्थ भी एक है – सार। उन दोनों के बीच ‘ए’ लगा है जो अक्सर ‘का-के-की’ के अर्थ में इस्तेमाल होता है (जैसे हाल--दिल यानी दिल का हाल) लेकिन यहाँ केवल दो शब्दों को जोड़ने के लिए इसका उपयोग हुआ है। इस तरह लुब्बेलुबाब या लुब्ब-ए-लुबाब का वही अर्थ हुआ जो लुब्ब और लुबाब का है। यानी सार। शब्दकोशों में भी लुब्बेलुबाब का यही अर्थ दिया हुआ है।

लुब्ब और लुबाब का अर्थ उर्दू कोश में।
लुब्बलुबाब/लुब्बेलुबाब का अर्थ हिंदी शब्दसागर में।

यह कोई अजीब बात नहीं है। सभी भाषाओं में ऐसे शब्द होते हैं जो दो समानार्थी शब्दों को मिलाकर बनते हैं और जो नया शब्द बनता है, उसका भी वही अर्थ होता है। हिंदी में ऐसे कई शब्द है – मेल-जोल, मार-पीट, भूत-प्रेत।

ऐसा ही एक रोचक शब्द है जाएगाह जिससे आप परिचित नहीं होंगे लेकिन उससे बनने वाले शब्द ‘जगह’ से अवश्य परिचित होंगे। जाएगाह ‘जा’ और ‘गाह’ के मिलने से बना है। ‘जा’ और ‘गाह’ दोनों का मतलब स्थान ही है और दोनों के मिलने से जो जाएगाह (जा-ए-गाह) शब्द बना है, उसका अर्थ भी स्थान है। यही जाएगाह हिंदी-उर्दू में जगह बन गया। वैसे बांग्ला में आज भी स्थान को जायगा (জায়গা) ही बोलते हैं।

जा, गाह और जाएगाह का एक ही अर्थ – स्थान।

चलिए, फिर से लुब्बेलुबाब पर आते हैं। मूल शब्द यही है, इसमें कोई संदेह नहीं मगर बोलचाल में तो लब्बोलुबाब (और कहीं-कहीं लब्बोलुआब भी) चलता है। हमारे पोल में भी यही परिणाम आया है। ऐसा क्यों?

इसके बारे में केवल अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मेरा अनुमान है कि 

  1. जैसे सुक़ून घिसकर सक़ून हो जाता है, मुहूर्त घिसकर महूरत हो जाता है, वैसे ही लुब्ब का लब्ब हो गया होगा। 
  2. शब्द के दूसरे हिस्से में मौजूद लुबाब भी लुआब हो गया क्योंकि बोलने में आसान है (बोलकर देखिए)।
  3. दोनों के बीच मौजूद ‘ए’ का ‘ओ’ हो गया  – ‘और’ का छोटा रूप समझकर। शब्द बन गया – लब्बोलुबाब/लब्बोलुआब। अब इस शब्द में मौजूद ‘लब्ब’ और ‘लुबाब/लुआब’ का क्या अर्थ है, या कुछ अर्थ है भी या नहीं, यह जानने की न तो किसी को ज़रूरत महसूस होती है, न ही उसके लिए वक़्त है। 

वैसे जिनकी यह जानने में रुचि हो कि लब्ब और लुआब का क्या अर्थ है या कोई अर्थ है भी या नहीं, उनको बता दूँ कि लब्ब तो मुझे किसी शब्दकोश में नहीं मिला (लब है जिसका अर्थ आप जानते ही होंगे) मगर लुआब है। लुआब का अर्थ है थूक, लार, लस।

ऊपर के पैरे में लब की चर्चा आई है। क्या आप जानते हैं कि इसका हिंदी पर्यायवाची होंठ है या होठ? इसपर हम अतीत में चर्चा कर चुके हैं। यदि जानने में रुचि हो तो पढ़ें।

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