‘बजाय’ सही है या ‘बजाए’? जब इसके बारे में एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो तीन-चौथाई लोगों ने ‘बजाय’ को सही बताया। शेष ने ‘बजाए’ या दोनों को सही बताया। क्या वाक़ई बजाय सही और बजाए ग़लत है? जानने में रुचि हो तो पढ़ें।
‘बजाय’ और ‘बजाए’ में सही क्या है, इसका फ़ैसला दो तरह से हो सकता है। एक, हिंदी के शब्दकोशों में क्या है। दो, मूल शब्द क्या है। यदि हिंदी के शब्दकोशों की राय मानी जाए तो ‘बजाय’ ही सही है। हिंदी शब्दसागर से लेकर राजपाल कोश तक सभी में ‘बजाय’ ही मिलता है, ‘बजाए’ कहीं नहीं मिलता। लेकिन उर्दू के कोश देखेंगे तो वहाँ ‘बजाए’ है, ‘बजाय’ नहीं है (देखें चित्र)।


ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए कि फ़ारसी का मूल शब्द ‘बजाए’ ही है। इसी ‘बजाए’ का अंतिम ‘ए’ हिंदी में आकर ‘य’ हो गया है जैसे फ़ारसी का ‘जाएदाद’ हिंदी में ‘जायदाद’ हो गया है (देखें चित्र)।

अब चूँकि हिंदी में सभी ‘जायदाद’ ही लिखते हैं, ‘जाएदाद’ कोई नहीं लिखता, इस आधार पर आप भी ‘बजाय’ को सही ठहरा सकते हैं। लेकिन यदि आप ‘बजाए’ की व्युत्पत्ति या निर्माण प्रक्रिया जानेंगे तो आपको लगेगा कि बजाए को बजाय लिखना उतना ही ग़लत है जितना हाल-ए-दिल (दिल का हाल) को हाल-य-दिल लिखना।
कारण, ‘बजाए’ भले ही पहली नज़र में एक स्वतंत्र शब्द नज़र आता है लेकिन असल में यह तीन अलग-अलग शब्दों का संयुक्त रूप है। बजाए ब+जा+ए से बना है और इन तीनों — ब, जा और ए — के अलग-अलग अर्थ हैं।
‘ब‘ एक उपसर्ग है जिसका मतलब है पर, ‘जा‘ का मतलब है स्थान या जगह और ‘ए‘ का मतलब है का-के-की। इस तरह बजाए का अर्थ हुआ – ब (पर) जा (जगह) ए (की)। शब्दों का क्रम कुछ-कुछ अंग्रेज़ी की तरह है – in (ब) place/stead (जा) of (के)। हिंदी में इसे कहेंगे (किसी) के स्थान पर या किसी के बदले में।
इसमें ‘ए’ पर ग़ौर कीजिए जिसका मतलब है का-के-की यानी of। इसका इस्तेमाल आपने गीत-ग़ज़लों में कई बार देखा होगा। हाल-ए-दिल (दिल का हाल) का मैंने ऊपर ज़िक्र किया। ऐसे ही और शब्द हैं – रश्क-ए-क़मर (चाँद की ईर्ष्या), जश्न-ए-रेख़्ता (रेख़्ता यानी उर्दू का जश्न), तराना-ए-हिंदी (भारतवासियों का गाना), दास्तान-ए-लैला-मजनूँ (लैला-मजनूँ की कहानी) आदि।
बजाए में भी ‘ए‘ का अर्थ वही है जो ऊपर दिए गए उदाहरणों में है। जिस तरह उनमें ‘ए’ की जगह ‘य’ नहीं लगाया जा सकता — जश्न-ए-रेख़्ता को जश्न-य-रेख़्ता नहीं कहा जा सकता — वैसे ही बजाए में ‘ए’ के स्थान पर ‘य’ नहीं लगाया जा सकता।
अब आप पूछ सकते हैं कि यदि ऐसा है तो हिंदी के शब्दकोशों में ‘बजाय’ क्यों है, ‘बजाए’ क्यों नहीं है।
इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला, कोशकारों को बजाए की व्युत्पत्ति का ज्ञान न हो। दो, कोशकारों को मूल शब्द की जानकारी हो लेकिन उन्होंने मूल शब्द (बजाए) के मुक़ाबले प्रचलित रूप (बजाय) को अधिक महत्व दिया हो। जैसे Hospital का सही उच्चारण हॉस्पिटल है लेकिन चूँकि हिंदी-उर्दूभाषियों में यह अस्पताल के रूप में प्रचलित हो गया है इसलिए उर्दू-हिंदी के कोशों में आपको अस्पताल ही मिलेगा, हॉस्पिटल नहीं।
अब अंतिम प्रश्न। आपको हिंदी में ‘बजाय’ लिखना चाहिए या ‘बजाए’। इसके बारे में मेरी कोई राय नहीं है। आपने पूरा मामला समझ लिया है सो आप ख़ुद ही तय करें कि आपको क्या लिखना चाहिए। मेरी समझ से दोनों सही हैं लेकिन मुझे यदि लिखना होगा तो बजाए ही लिखूँगा।
One reply on “275. किसी की जगह पर – बजाय लिखें या बजाए?”
बजाए को हिन्दी में बजाय लिखने का प्रचलन शायद इसलिए हुआ है, क्योंकि अंतिम हर्फ़ ये (ے) है और इससे य ध्वनि भी निकलती है।
सृंजय