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196. निर्दलीय का बहुवचन : निर्दलीयों या निर्दलियों?

जो उम्मीदवार, विधायक या सांसद किसी दल से जुड़ा हुआ न हो, उसे निर्दलीय कहते हैं। अब प्रश्न यही है कि इस निर्दलीय का बहुवचन क्या होगा – निर्दलीयों या निर्दलियों। कुछ लोग निर्दलीयों लिखते हैं, कुछ निर्दलियों। सही है ‘निर्दलीयों’ लेकिन कभी-कभी ‘निर्दलियों’ भी सही हो सकता है। कब और क्यों, यही जानेंगे आज की चर्चा में।

जब मैंने फ़ेसबुक पर पूछा कि निर्दलीय का बहुवचन रूप क्या होगा तो 40% ने कहा – निर्दलीयों जबकि 60% का मत था – निर्दलियों। सही है निर्दलीयों। क्यों, यह हम नीचे जानते हैं। लेकिन उससे पहले यह समझना ज़रूरी है कि वह क्या कारण है कि 60% का अच्छा-ख़ासा बहुमत निर्दलियों को सही समझता है।

दरअसल हमारे ज़ेहन में यह बसा हुआ है कि जब किसी शब्द में ‘ई’ होता है तो बहुवचन में वह ‘इ’ हो जाता है। जैसे लड़की का लड़कियाँ और लड़कियों, डाली का डालियाँ और डालियों, घड़ी का घड़ियाँ और घड़ियों, डिग्री का डिग्रियाँ और डिग्रियों, रानी का रानियाँ और रानियों, थाली का थालियाँ और थालियों।

ये तो थे स्त्रीलिंग शब्द। लेकिन ऐसे ही कुछ पुल्लिंग शब्द भी हैं जैसे हाथी, धोबी, मंत्री आदि। इन शब्दों के बहुवचन रूपों में थोड़ा-सा अंतर होता है। जैसे हाथी का हाथियाँ नहीं होता, लेकिन हाथियों होता है। धोबी का धोबियाँ नहीं होता मगर धोबियों होता है। इसी तरह मंत्री का मंत्रियाँ नहीं होता मगर मंत्रियों होता है।

ऊपर के उदाहरणों में हमने देखा कि स्त्रीलिंग हो या पुल्लिंग, इन सभी शब्दों में ‘ई’ का ‘इ’ हो गया। इसी कारण जब मैंने फ़ेसबुक पर पूछा कि निर्दलीय का बहुवचन क्या होगा तो पाँच में से तीन लोगों को लगा कि निर्दलीय का बहुवचन तो निर्दलियों ही होगा क्योंकि हिंदी में यही नियम है।

लेकिन फ़ेसबुक पर वोट करने वालों ने एक बड़ी चूक कर दी। उन्होंने यह नहीं देखा कि जिन शब्दों के बहुवचन रूप में ‘ई’ का ‘इ’ होता है, उन सबमें ‘ई’ शब्द के अंत में है, न कि बीच में। हम फिर से ऊपर के सारे शब्द दोहराते हैं – लड़की, डाली, घड़ी, डिग्री, रानी, थाली, हाथी, धोबी, मंत्री – सबमें ‘ई’ अंत में है यानी ये सब ईकारांत (ई से अंत होने वाले) शब्द हैं।

क्या निर्दलीय में भी ‘ई’ अंत में है? नहीं। निर्दलीय में ‘ई’ अंतिम वर्ण से पहले है। तो ऐसे में इसमें ईकारांत शब्दों वाला नियम कैसे लगेगा? नहीं लगेगा।

निर्दलीय में अकारांत शब्दों का नियम लगेगा। मुझे नियम बताने या समझाने की ज़रूरत नहीं। इन कुछ अकारांत शब्दों का बहुचवन करके देखिए जो हमारे रोज़ के जीवन का हिस्सा हैं, आप ख़ुद ही समझ जाएँगे।

घर, मेज़, मोबाइल, विद्यालय, दफ़्तर, ट्रेन, बस, कार, ख़बर, समाचार, अख़बार।

इनका बहुवचन रूप यही होगा न? घरों, मेज़ें/मेज़ों, मोबाइलों, विद्यालयों, दफ़्तरों, ट्रेनें/ट्रेनों, बसें/बसों, कारें/कारों, ख़बरें/ख़बरों, समाचारों, अख़बारों। 

आपने देखा कि सभी शब्दों में बहुवचन बनाते समय केवल एक परिवर्तन हो रहा है। परिवर्तन यह कि अंतिम ‘अ’ ‘ओं’ में बदल रहा है (घर>घरों। कुछ शब्दों में वह ‘एँ’ में भी बदल रहा है (बस>बसें)। लेकिन वे स्त्रीलिंग शब्द हैं। पुल्लिंग अकारांत शब्दों में ऐसा नहीं होता।

अब निर्दलीय पर आते हैं। निर्दलीय अकारांत है, पुल्लिंग है अतः इसमें वही परिवर्तन होगा जो हमने ऊपर के शब्दों में देखा। शब्द के अंत में मौजूद ‘अ’ ‘ओं’ में बदल जाएगा। निर्दलीय के अंत में क्या है? य (अ) है। यानी य् के साथ लगा स्वर ‘अ’ ‘ओं’ में बदल जाएगा। हो जाएगा – निर्दलीयों। इसके अलावा शब्द में कोई बदलाव नहीं होगा।

निर्दलीय जैसा ही एक शब्द है जिससे हम सब परिचित हैं – भारतीय। इसका बहुवचन भी भारतीयों ही होगा, न कि भारतियों। 

भारतीयों को देखकर आपमें से किसी के दिमाग़ में यह सवाल कौंध सकता है कि तब फिर हिंदुस्तानियों क्यों होता है। उसे भी हिंदुस्तानीयों होना चाहिए। इसका जवाब इन दोनों शब्दों के बनने की प्रक्रिया में ही छुपा है।

  • भारत>भारतीय> भारतीयों
  • हिंदुस्तान>हिंदुस्तानी>हिंदुस्तानियों

आपने देखा भारत से भारतीय (भारत+ईय) बनता है लेकिन हिंदुस्तान से हिंदुस्तानीय नहीं बनता, हिंदुस्तानी (हिंदुस्तान+ई) बनता है। यानी हिंदुस्तानी के अंत में ‘ई’ है। जब अंत में ‘ई’ है तो बहुवचन बनाने में भी ईकारांत शब्दों वाला नियम लगेगा, न कि अकारांत वाला। वही नियम लगेगा जो हमने इस पोस्ट के शुरू में लड़की, रानी, हाथी जैसे उदाहरणों में देखा। जैसे हाथी से हाथियों, वैसे हिंदुस्तान से हिंदुस्तानियों।

अंत में एक ख़ास बात। निर्दलीय के बहुवचन के रूप में ‘निर्दलियों’ भले ग़लत हो मगर एक और अवस्था में ‘निर्दलियों’ बिल्कुल सही हो सकता है। वह तब जब मूल शब्द निर्दली हो। कुछ अख़बार निर्दलीय (निर्दल+ईय) के बजाय निर्दली (निर्दल+ई=निर्दली) भी लिखते हैं। ऐसे अख़बार जब निर्दली का बहुवचन करते हुए निर्दलियों लिखें तो वे ग़लत नहीं लिख रहे।

दोनों शब्दों के बनने की प्रक्रिया और उनके बहुवचन रूपों को आप यूँ समझ सकते हैं।

  • निर्दल>निर्दली>निर्दलियों (मूल शब्द निर्दली, इसलिए ईकारांत का नियम लगा)
  • निर्दल>निर्दली>निर्दलीयों (मूल शब्द निर्दलीय, इसलिए अकारांत का नियम लगा)

शब्दकोश दोनों को सही बताते हैं (देखें चित्र) क्योंकि किसी शब्द में ‘ई’ लगाकर भी नए शब्द बनते हैं और ‘ईय’ लगाकर भी। वैसे ‘ईय’ लगाकर विशेषण/संज्ञा बनाने का तरीक़ा मुख्यतः संस्कृत का है (राष्ट्र से राष्ट्रीय, संघ से संघीय) जबकि ‘ई’ लगाकर संज्ञा या विशेषण बनाने का तरीक़ा हम सभी प्रकार के शब्दों में देखते हैं (देश से देशी, हिंदुस्तान से हिंदुस्तानी)।

हिंदी में बहुवचन बनाने के नियमों के बारे में मैंने बहुत पहले एक क्लास तैयार की थी। यदि आपमें से किसी को इन नियमों के बारे में जानना हो तो उस क्लास का लाभ उठा सकते हैं। लिंक यह है –

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