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148. कपाल के बाद भाति है, भाँति है या भारती है?

बाबा रामदेव ने एक शब्द को बहुत ही प्रचलित कर दिया है जो कपाल से शुरू होता है मगर उसका पूरा और सही रूप क्या है, उसपर कुछ लोगों को भ्रम है। कुछ कपालभाँति कहते हैं, कुछ कपालभाति या कपालभाती। इसका एक और रूप भी लोकप्रिय है कपालभारती। इन चार नामों में सही क्या है और इस शब्द का मतलब क्या है, यह जानने में रुचि हो तो आगे पढ़ें।

जब मैंने इस विषय पर फ़ेसबुक पर पोल किया तो पता चला कि 93% लोग कपालभाति को सही समझते हैं। बाक़ी विकल्पों को सही मानने वाले बहुत कम थे। दो साल पहले जब एक और मंच पर मैंने यही सवाल पूछा था तो वहाँ भी तक़रीबन ऐसा ही परिणाम आया था।

दोनों पोलों के एक जैसे परिणामों से अच्छा लगा कि लोग सही शब्द जानते हैं। लेकिन सही शब्द जानने का अर्थ यह नहीं है कि सबको इसका अर्थ भी पता हो। आइए, नीचे इसका अर्थ भी जानने की कोशिश करते हैं।

कपालभाति कपाल और भाति से मिलकर बना है। कपाल का अर्थ तो आप जानते ही हैं, खोपड़ी, ललाट और भाति का अर्थ है तेज़, कांति (देखे चित्र)।

कपाल और भाति – इन दोनों के मेल से बने इस शब्द का अर्थ किसी शब्दकोश में नहीं मिला। नेट पर उसका यह अर्थ दिया हुआ है

कपालभाति प्राणायाम की एक विधि है। संस्कृत में कपाल का अर्थ होता है माथा या ललाट और भाति का अर्थ है तेज़। इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मुख पर आंतरिक प्रभा (चमक) से उत्पन्न तेज रहता है। कपालभाति बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास व्यायाम है।

कपालभाति को पॉप्युलर किया बाबा रामदेव ने। यह है भी आसान – केवल साँस को बाहर छोड़ना है, अंदर तो अपने-आप आ जाएगी। लेकिन बाबा जो कहते हैं कि इससे सारी बीमारियाँ हवा हो जाती हैं या जननांग के रोग तक ठीक हो जाते हैं, स्पर्म काउंट बढ़ जाता है आदि तो उन बातों से तो मैं बिल्कुल सहमत नहीं। किसी एक दवा या किसी एक आसन से बीसियों अलग-अलग तरह के रोग ठीक हो जाएँ, मेरी समझ से यह गप के अलावा कुछ नहीं। देखिए, किस तरह रोग कपालभाति को कैंसर तक में फ़ायदेमंद बता रहे है।

हाँ, कुछ रोगों में जैसे गैस या शायद दमे आदि में इसका लाभ हो सकता है। जैसे वज्रासन से पेट की गैस डकार के रूप में मुँह के रास्ते निकलती है। यह मैंने करके भी देखा है। भई, जब पेट दबेगा और आप 90 डिग्री पर बैठे होंगे तो गैस का निकलना आसान हो जाता है। बाक़ी सावधानियाँ बरतते हुए कोई भी आसन करने में कोई हानि नहीं है। लेकिन सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। कई साल पहले कलकत्ता में मेरे एक परिचित को शीर्षासन करने की सूझी और एक महीने तक शीर्षासन करने का नतीजा यह रहा कि वह दो महीनों तक अस्पताल में रहे।

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