फ़िल्म ‘संगम’ का एक गाना है – मैं का करूँ राम, मुझको बुड्ढा मिल गया। इसमें बुड्ढे के ‘गोभी’ लेकर आने की शिकायत है या ‘गोबी’ लेकर? घबराइए नहीं, मसला फ़िल्मी नहीं, इल्मी है। सवाल यह कि सही शब्द ‘गोभी’ है या ‘गोबी’? गो के बाद ‘भी’ या ‘बी’? दूसरा सवाल, गोभी से गोबी बना या गोबी से गोभी? और ये दोनों शब्द किससे बने? क्या अंग्रेज़ी शब्द – Cabbage – से या संस्कृत के कपिकम् से? जानने के लिए आगे पढ़ें।
जब मैंने गोभी और गोबी पर एक फ़ेसबुक पोल किया तो 98% ने गोभी के पक्ष में वोट दिया। गोबी के समर्थक केवल 2% रहे। अगर हिंदी शब्दसागर को माना जाए तो बहुमत की राय सही है। उसमें गोभी और गोबी दोनों हैं लेकिन गोबी की एंट्री में लिखा है – देखें गोभी। यानी प्राथमिकता गोभी को ही दी गई है (देखें चित्र)।
लेकिन इसके आधार पर गोबी को पूरी तरह ग़लत साबित नहीं किया जा सकता। यह सही है कि आज हिंदी में गोभी ही चल रहा है। लेकिन इसका क्या प्रमाण है कि गोबी कभी भी प्रचलन में नहीं था। मतलब, शब्दकोश से यह प्रमाणित नहीं होता कि शुरू में क्या था – गोभी या गोबी? क्या ऐसा नहीं हो सकता कि पहले गोबी रहा हो जिससे आगे चलकर गोभी हो गया हो? मेरे ऐसा सोचने के पीछे कुछ कारण हैं और एक कारण तो ऐसा है कि जानकर आप भी चौंक जाएँगे।
शब्दसागर में गोभी के स्रोत के रूप में जो शब्द दिया हुआ है, वह है अंग्रेज़ी का Cabbage=कैबिज (देखें ऊपर का चित्र)। अब आप ही सोच लीजिए कि कैबिज से पहले गोभी बना होगा या गोबी? वैसे ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि इसका जवाब हमें गुजराती और मराठी में मिल जाता है। वहाँ इसके लिए जो शब्द हैं, वे हैं कोबी (देखें चित्र)।
यानी संभावना तो यही है कि कैबिज से बहले कोबी बना होगा। इसी कोबी से हिंदी में गोबी या गोभी बना। ‘क’ का ‘ग’ में बदलना कोई असामान्य प्रवृत्ति नहीं। हम ऐसी प्रवृत्ति प्रकट>प्रगट, भक्त>भगत और काक>काग में देखते हैं। उधर ‘ब’ का ‘भ’ में बदलना भी स्वाभाविक लगता है – ‘ब’ में एक हकार लग जाने से हो जाता है ‘भ’। परंतु मुझे ऐसे उदाहरण बहुत ही कम मिले जहाँ ‘ब’ का ‘भ’ हुआ हो। एक चाबी और चाभी का उदाहरण मिलता है और दूसरा बहिन+जा का भांजा में बदलना। कुछ लोग भाभी को भाबी भी कहते पाए जाते हैं।
कहने का अर्थ यह है कि इसकी पूरी संभावना दिखती है कि कैबिज से पहले कोबी बना हो और उसके बाद गोबी और/या गोभी। परंतु यह केवल मेरा अनुमान है। मेरे पास इसका कोई प्रमाण नहीं है।
चलिए, अब वह बात बताता हूँ जिसने न केवल मुझे चौंकाया बल्कि आपको भी चौंका देगा। बांग्ला में गोभी को कहते हैं कपि (কপি) हालाँकि उसका उच्चारण होता है कोपि (देखें चित्र)। फूलगोभी को फुलकोपि (ফুলকপি) और पत्तागोभी को बाँधाकोपि (বাঁধাকপি)। मुझे सालों से लगता था कि गोभी या गोबी से ही कोपि बना होगा। ‘ग’ बदल गया होगा ‘क’ में और ‘ब’ या ‘भ’ बदला होगा ‘प’ में। बांग्ला में गुलाब को गोलाप कहते हैं तो ‘ब’ को ‘प’ में बदलता मैं देख चुका था।
मगर जब अन्य भारतीय भाषाओं में गोभी के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्दों की खोज की तो मेरे मन में संदेह पैदा हुआ कि बांग्ला का कोपि (কপি) हिंदी के गोबी या गोभी से बना है या गुजराती और मराठी के कोबी से? या संस्कृत के ‘कपि’ से?
जी हाँ, आप्टे के संस्कृत-इंग्लिश कोश के अनुसार संस्कृत में गोभी को कपिकम् कहते हैं (देखें चित्र)।
संस्कृत में कपिकम् और बांग्ला में कपि (কপি) – कितनी समानता है दोनों में। तो क्या बांग्ला का কপি जिसे वे कोपि बोलते हैं, अंग्रेज़ी के कैबिज से न आकर, संस्कृत के कपिकम् से आया हो? पता नहीं।
वैसे कैबिज और कपिकम् भी काफ़ी मिलते-जुलते हैं। ध्वनि में ही नहीं, अर्थ में भी। मसलन हम जानते हैं कि कपि का अर्थ है बंदर और गोभी को कपिकम् कहे जाने का एक ही कारण दिखता है कि गोभी भी बंदर के सिर जैसी होती है – गोल-मटोल। और मालूम है, Cabbage भी जिस पुराने फ़्रेंच शब्द Caboche से बना है, उसका क्या होता है? उसका अर्थ होता है – सिर।
ऊपर मैंने चाबी और चाभी की बात की। इसमें कौनसा सही है, इसपर मैं पहले चर्चा कर चुका हूँ। अगर आप उसे पढ़ना चाहते हैं तो इस लिंक पर जाएँ –