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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

123. बहुउद्देश्यीय, बहुउद्देशीय, बहुद्देशीय… क्या है सही?

हिंदी के कुछ शब्द ऐसे हैं जो अंग्रेज़ी शब्दों के अनुवाद के उद्देश्य से बनाए गए हैं। ऐसा ही एक शब्द Multipurpose के लिए बनाया गया है। लेकिन उस शब्द केअलग-अलग रूप चलते हैं। बहुउद्देश्यी, बहुउद्देशी, बहुद्देश्यी और बहुद्देशी। इनमें से कौनसा सही है और कौनसा ग़लत, इसपर विवाद है। कुछ लोग कहते हैं कि ये सारे-के-सारे ग़लत हैं। क्या है सारा मामला, इसके बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।

जब मैंने Multipurpose के हिंदी पर्याय पर लोगों की राय जानने के लिए एक फ़ेसबुक पोल किया तो ऊपर बताए गए चारों विकल्प दिए। मेरा मन तो दो और विकल्प देने का हो रहा था क्योंकि व्याकरण के हिसाब से दो और विकल्प हो सकते हैं। परंतु चूँकि वे दोनों ही प्रचलन से बाहर हैं इसलिए मैंने उनकी उपेक्षा की। लेकिन देखकर ख़ुशी हुई कि दो साथियों – गोपाल सिन्हा और रमेश द्विवेदी ने उन दो में से एक विकल्प को अपने कॉमेंट के माध्यम से सुझाया। तीसरे मिठुन मुखर्जी ने कोई विकल्प तो नहीं सुझाया लेकिन स्पष्ट लिख दिया कि ये चारों ही ग़लत हैं। वे ऐसा क्यों कह रहे थे, उसके बारे में हम चर्चा के दौरान बात करेंगे।

पहले पोल के परिणाम के बारे में उल्लेख। 65% ने बहुउद्देशी के पक्ष में वोट दिया और 21% ने बहुद्देशी को। बहुउद्देश्यी और बहुद्देश्यी (दोनों उद्देश्य>उद्देश्यीय से बने) के पक्ष में बहुत कम वोट मिले हैं – कुल 14%। 3% वोट उसे पाँचवें विकल्प के पक्ष में पड़े जो पोल में था ही नहीं।

पोल के परिणाम से लगता है कि भारी बहुमत से (86%) साथियों ने उसी शब्द (बहुउद्देशीय/बहुद्देशीय) के पक्ष में वोट दिया है जो उन्होंने प्रचलन में देखा है या सुना है और इस बात पर ध्यान कम दिया है कि Multipurpose में जो purpose शब्द है, उसका मतलब होता है उद्देश्य। इस उद्देश्य से तो उद्देश्यी बनना चाहिए जैसे भारत से भारतीय, दल से दलीय, जाति से जातीय, वैसे ही उद्देश्य से उद्देश्यीय। इसी उद्देश्यीय के आगे ‘बहु’ प्रत्यय लगाकर Multipurpose का हिंदी पर्याय बन सकता है। जिस बहुउद्देशीय या बहुद्देशीय शब्द का उन्होंने समर्थन किया है, वह तो उद्देश शब्द से ही बनेगा – उद्देश+ईय=उद्देशीय। और हमने उद्देश जैसा कोई शब्द कभी सुना-देखा-पढ़ा ही नहीं। फिर भला उद्देशीय, बहुउद्देशीय या बहुद्देशीय शब्द बन ही कैसे सकता है?

मैं भी पहले यही सोचता था बल्कि कहें तो 1984 में जब से पत्रकारिता में आया, तब से यही सोचता था कि उद्देश्य का मतलब है प्रयोजन या मक़सद। इसलिए Multipurpose का हिंदी पर्याय बहुउद्देश्यीय ही होना चाहिए, बहुउद्देशीय नहीं जो कि अख़बारों में लिखा जाता था। सीनियरों से पूछते तो वे कहते, यही चलता है। क्यों चलता है, बता नहीं पाते। इसलिए कन्विंस न होने के बावजूद मैं भी सालों ख़बरों में बहुउद्देशीय ही लिखता रहा।

यह तो बहुत बाद में पता चला जब मेरी शब्द-निर्माण की गहराई में जाने की रुचि जगी कि उद्देश वाक़ई एक शब्द है जिसका वही मतलब है जो उद्देश्य का है। बल्कि उद्देश ही मूल शब्द है जिससे उद्देश्य बना है। उद्देश्य दरअसल उद्देश का विशेषण रूप है हालाँकि उसका संज्ञा के रूप में भी इस्तेमाल होता है और उस तरह दोनों का एक ही अर्थ है – मक़सद, प्रयोजन, अभिप्राय (देखें चित्र)।

कहने का अर्थ यह कि उद्देश और उद्देश्य दोनों का एक ही अर्थ है इसलिए Multipurpose के लिए दोनों ही शब्द चल सकते हैं – बहुउद्देशीय भी और बहुउद्देश्यीय भी।

वैसे शब्दकोशों में आपको दोनों में से कोई भी नहीं मिलेगा। कारण उद्देशीय या उद्देश्यीय शब्द का आम तौर पर इस्तेमाल होता ही नहीं है और मेरी समझ से यह केवल Multipurpose का हिंदी पर्याय बनाने के लिए गढ़ा गया है। किसने गढ़ा? शायद किसी हिंदी अधिकारी ने… या फिर किसी हिंदी पत्रकार ने… या किसी सरकारी समिति ने।

उद्देशीय और उद्देश्यीय में से उद्देशीय बोलना आसान है। हो सकता है, इसी कारण यह शब्द चुना गया हो। ऐसा भी हो सकता है कि चुनने वाले ने उद्देश्यीय चुना हो लेकिन समय के साथ घिसकर वह उद्देशीय हो गया हो। जो हो, आज उद्देशीय ही चल रहा है और यह हमारे पोल से भी साबित हुआ है। लेकिन जैसा कि ऊपर कहा, उद्देश्यीय भी ग़लत नहीं है हालाँकि वरीयता हम उद्देशीय को ही देंगे।

अब जब उद्देशीय को व्याकरण और साथियों दोनों का समर्थन मिल गया है तो हमारा अगला और बहुत महत्वपूर्ण सवाल यह है कि  बहुउद्देशीय और बहुद्देशीय में कौनसा सही है?

अगर मैं कहूँ कि दोनों ग़लत हैं तो आप ज़रूर चौंक जाएँगे। मगर यह मेरा ही नहीं, उन तीन साथियों का भी विचार है जिन्होंने इन चारों विकल्पों को ग़लत बताया था और/या उस पाँचवें विकल्प के पक्ष में वोट डाला था और कहा था – सही शब्द है बहूद्देशीय क्योंकि बहु और उद्देशीय की संधि से न बहुउद्देशीय बनेगा, न बहुद्देशीय, बल्कि बनेगा बहूद्देशीय।

क्यों, यह हम नीचे जानते हैं।

अगर आप स्वर संधि के नियम जानते हैं तो यह बात आसानी से समझ सकते है कि बहु और उद्देशीय की संधि से बहु का ‘उ’ उद्देशीय के ‘उ’ से मिलकर ऊ हो जाएगा (दीर्घ स्वर संधि)। ऐसे में जो नया शब्द बनेगा, वह होगा – बहु+उद्देशीय=बहूद्देशीय।

आप पूछ सकते हैं कि आख़िर हमें संधि करने की ज़रूरत ही क्या है? क्या बहु और उद्देशीय बिना संधि के सात फेरे लिए लिव-इन की तरह साथ-साथ नहीं रह सकते ताकि शब्द में बहु का भी अस्तित्व रहे और उद्देशीय का भी। कुछ इस तरह – बहुउद्देशीय? आख़िर इसमें समस्या क्या है?

समस्या यह है कि बहु और उद्देशीय संस्कृत के शब्द हैं और संस्कृत के पंडित बिना संधि रूपी शादी के ऐसे शब्दों को साथ-साथ रहने की इजाज़त नहीं देते। इसीलिए अन्+अंत अनंत हो जाता है और  अन्+आदि अनादि। इन्हें हम अन्अंत या अन्आदि नहीं लिख सकते। न ही सिंह+अवलोकन को सिंहअवलोकन लिखा जा सकता है। उसे सिंहावलोकन ही लिखना होगा। एक वाक्य में कहें तो संस्कृत के किसी शब्द के बीच में कोई स्वर स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता। उसे अपने से पहले वाले वर्ण के साथ मिलकर संधि करनी ही होगी।

इसलिए व्याकरण के नियमानुसार बहुउद्देशीय लिखना ग़लत है। या तो बहु-उद्देशीय लिखा जाए या बहूद्देशीय। लेकिन क्या करें, बहुउद्देशीय चल गया है।

वैसे अगर ये दोनों शब्द (बहु और उद्देशीय) सीधे संस्कृत से नहीं उपजे होते तो कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि संधि का चक्कर संस्कृत के शब्दों में ही है। बाअदब (फ़ारसी+अरबी) में बा और अदब साथ-साथ हैं, वह उसका हिंदी में आकर बादब नहीं हुआ। बेईमान (फ़ारसी+अरबी) में भी ई बीच में है। वह भी हिंदी में आकर बयीमान नहीं बना। बाईस और गोइँठा दोनों संस्कृत से आए हैं मगर अपना रूप बदल चुके हैं, तद्भव हो चुके हैं, इसलिए उनपर भी संस्कृत का क़ानून नहीं चलता।

अब आख़िर में बात बहुद्देशीय की जिसके पक्ष में 21% ने वोट डाला है। मैंने इंटरनेट पर देखा कि यह विकल्प भी अच्छा-ख़ासा प्रचलित है।

बहुउद्देशीय से बहुद्देशीय कैसे बना, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। अगर बिना सावधानी या जानकारी के बहुउद्देशीय बोला जाए तो ‘उ’ के फिसलने की संभावना बहुत ज़्यादा है। बात वैसी ही है जैसे बरअक्स को बरक्स या नज़रअंदाज़ को नज़रंदाज़ बोला जाए। वैसे बहुद्देशीय तो हर तरह से ग़लत है।

तो फिर निष्कर्ष क्या निकला? क्या इन चारों ‘ग़लत’ विकल्पों को ठुकराकर बहूद्देशीय लिखा जाए? लेकिन हमारी मानेगा कौन? दूसरा विकल्प यह है कि इन चार ग़लत विकल्पों में से सबसे ज़्यादा स्वीकार्य विकल्प बहुउद्देशीय को अपवाद के तौर पर चलने दिया जाए। और तीसरा यानी बीच का विकल्प यह है कि बहु और उद्देशीय के बीच हाइफ़न लगाया जाए – बहु-उद्देशीय।।

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