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87. सूद पर सूद यानी चक्रवर्ती ब्याज या चक्रवृद्धि ब्याज?

कंपाउंड इंट्रेस्ट यानी सूद पर लगने वाले सूद को हिंदी में चक्रवर्ती ब्याज कहते हैं या चक्रवृद्धि ब्याज – इसके बारे में किए गए शब्दपोल में केवल 2% लोगों ने चक्रवर्ती के पक्ष में वोट किया, बाक़ी 98% ने चक्रवृद्धि को सही बताया। लेकिन मीडिया में चक्रवर्ती छाया हुआ है। सही क्या है? और क्यों है?

जब मैंने पाठकों से सवाल पूछा कि कंपाउंड इंट्रेस्ट को हिंदी में क्या कहते हैं – चक्रवर्ती या चक्रवृद्धि तो मुझे लग रहा था कि परिणाम 50-50 आएगा लेकिन जब परिणाम आया तो देखा कि चक्रवृद्धि के पक्ष में आँधी ही चल रही है। केवल 2 % लोगों ने चक्रवर्ती के पक्ष में वोट दिया और मैं उनको सलाम करता हूँ। सलाम इसलिए कि वे देख रहे थे कि अधिकतर वोटर चक्रवृद्धि के पक्ष में वोट कर रहे हैं, फिर भी उन्होंने ‘एकला चलो’ के सिद्धांत पर अमल करते हुए अपने विश्वास के बल पर चक्रवर्ती को ही वोट दिया।

चक्रवृद्धि के पक्ष में तक़रीबन एकतरफ़ा वोटिंग क्यों हुई होगी, इसपर हम आगे चर्चा करेंगे, पहले यह जान लें कि मैंने इन शब्दों पर पोल क्यों करवाया था।

सोशल मीडिया पर चक्रवर्ती

कुछ दिन पहले मैंने फ़ेसबुक पर अपने एक पत्रकार मित्र का पोस्ट देखा जिसमें उसने चक्रवर्ती ब्याज लिखा हुआ था। मैंने उसे टोका कि चक्रवर्ती नहीं, चक्रवृद्धि होता है। उसने उसे सुधारा और बाद में कॉमेंट में जो लिखा, वह नीचे पेश है –

• …अब तक मैंने मैंने सबके मुँह से चक्रवर्ती ब्याज ही सुना है। अपने शिक्षकों के मुँह से भी वही शब्द सुना है और इस्तेमाल किया है क्योंकि उस समय यह सोच थी कि शिक्षक तो पढ़ा-लिखा ही होता है, वह ग़लत नहीं बोलता होगा। यह शब्द हमारे दिमाग में रचा और बसा दिया गया है। मुझे जहाँ तक ध्यान है, आज तक बैंक में काम करने वाले जितने भी लोगों से बात की है, उन्होंने भी कंपाउंड इंटरेस्ट को चक्रवर्ती ब्याज ही बोला है।

जब मैंने अपने मित्र का यह कॉमेंट पढ़ा तो मुझे हैरत हुई कि क्या वाक़ई चक्रवर्ती शब्द इतना प्रचलित है। जाँचने के लिए मैंने नेट टटोला और वहाँ जो देखा तो मैं कन्विंस हो गया कि पूरा नहीं तो आधा भारत तो चक्रवर्ती ब्याज ही बोलता है।

मैंने देखा कि यूट्यूब पर एक टीचर जी चक्रवर्ती ब्याज सिखा रहे हैं (देखें चित्र) जिससे साबित हो गया कि ‘चक्रवर्ती’ ब्याज के प्रयोग में कुछ शिक्षकों का भी हाथ है।

यही नहीं, दैनिक भास्कर से लेकर अमर उजाला और पत्रिका से लेकर लल्लनटाप तक सभी बड़ी वेबसाइटें चक्रवर्ती ब्याज लिख रही हैं (देखें चित्र)।

Chakravarti in media

यह देखकर ही मैंने इस शब्द पर पोल करने का फ़ैसला किया।

अब रहा सवाल कि जब व्यापक जनसमाज में चक्रवर्ती ब्याज इतना लोकप्रिय है तो हिंदी कविता और मेरे अपने प्रोफ़ाइल पेज पर नतीजा इतना अलग क्यों है।

इसके दो कारण हो सकते हैं।

पहला कारण जो मुझे ज़्यादा संभव लगता है, वह मेरे पोल प्रश्न से जुड़ा है। पोल जिस तरह गढ़ा गया था, उसमें चक्रवृद्धि शब्द में मौजूद ‘वृद्धि’ से ही स्पष्ट हो जाता है कि चक्रवृद्धि ही सही होना चाहिए। इस कारण जो सही शब्द जानते थे (और जो नहीं भी जानते थे), वे सब एक-के-बाद-एक चक्रवृद्धि के पक्ष में ही वोट करने लगे। ऐसे में जो लोग अब तक चक्रवर्ती बोलते-लिखते आए हैं, उन्होंने या तो संकोच के मारे पोल में भाग ही नहीं लिया या फिर भीड़ के साथ चलते हुए चक्रवृद्धि के पक्ष में ही वोट दे दिया।अगर मैंने इस पोल में कोई विकल्प नहीं दिया होता और केवल यह पूछा होता कि कंपाउंड इंट्रेस्ट को हिंदी में क्या कहते हैं तो कई लोगों ने कॉमेंट में चक्रवर्ती लिखा होता, ऐसा मेरा अनुमान है।

चक्रवृद्धि के पक्ष में 98% वोट पड़ने का दूसरा संभावित कारण यह हो सकता है कि हिंदी कविता पर आने वाले या मेरी फ़्रेंड लिस्ट में शामिल लोग हिंदी के प्रति ज़्यादा सजग होने के कारण शेष आबादी के मुक़ाबले अधिक जानकारी रखते हैं।

ब्याज या व्याज?

इस पोल की पूर्वतैयारी के दौरान मैंने जानना चाहा कि मूल शब्द ब्याज है या व्याज। हिंदी शब्दसागर ब्याज को प्राथमिकता देता है लेकिन उसका स्रोत उसने संस्कृत के व्याज को ही बताया है।

उधर संस्कृत कोश में व्याज की एंट्री देखी तो वहाँ उसका सूद वाला मतलब है ही नहीं। संस्कृत में व्याज का मतलब होता है – मन में कोई और बात रखकर ऊपर से कुछ और करना या कहना। कपट। छल। धोखा।

अब ऐसे में मेरे मन में यह सवाल आया कि आख़िर ब्याज का सूद वाला अर्थ कहाँ से आया। संस्कृत के जानकारों से पूछा कि स्मृतियों में सूद के लिए क्या शब्द लिखा हुआ है। युवा साथी सचिन तिवारी ने बताया कि आप्टे के कोश में कुसीदवृद्धि: और कुसीदपथ: का ब्याज वाला अर्थ दिया हुआ है। ये दोनों शब्द कुसीद: से बने हैं जिसका अर्थ है सूदख़ोर।

लेकिन मुझे लगता है कि सूद के लिए निश्चित रूप से कुछेक स्वतंत्र शब्द भी होंगे। जब ऋण शब्द है तो ऋणी द्वारा ऋण चुकाने के क्रम में दी जाने वाली अतिरिक्त धनराशि का भी कोई नाम रहा होगा, ख़ासकर इसलिए कि स्मृतियों में किस स्थिति में किस व्यक्ति से कितना ब्याज लेना चाहिए, इसके बारे में स्पष्ट नियमावली है।

यदि आपमें से कोई व्यक्ति इस विषय में जानकारी दे सके तो यह हम सबके लिए लाभकारी होगा। तब मैं इस पोस्ट को भी अपडेट कर दूँगा।

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