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240. कपड़ों से क्रीस हटाती है वह इस्त्री है या इस्तरी है?

धुले हुए कपड़ों से सिलवटें (crease) हटाने के लिए हम एक औज़ार का इस्तेमाल करते हैं जिसे अंग्रेज़ी में iron कहते हैं। हिंदी में इसे तीन तरह से लिखा और बोला जाता है – इस्त्री, इस्तरी और इस्तिरी। इनमें से सही क्या है, आज इसी पर चर्चा करेंगे हम। रुचि हो तो पढ़ें।

जब यह लेख लिखने से पहले मैंने इसी विषय पर एक फ़ेसबुक पोल किया तो पता चला कि अधिकतर लोग (58%) इस्त्री ही बोलते हैं। 35% ने इस्तरी के पक्ष में राय दी और बहुत कम 7% ने इस्तिरी को सही बताया (देखें चित्र)।

नतीजा उम्मीद के मुताबिक ही था। मुझे भी लगता था कि अधिकतर लोग इस्त्री ही बोलते हैं लेकिन क्या वे सही बोलते हैं? हिंदी शब्दसागर और प्लैट्स के शब्दकोश में देखें तो वे दोनों इस्त्री के मुक़ाबले इस्तरी और इस्तिरी को तरजीह देते हैं।

प्लैट्स का शब्दकोश इस्तरी को सही बताता है और इसका स्रोत संस्कृत के ‘स्तृ’ धातु में देखता है जिसका मतलब है फैलना, ढकना (देखें चित्र)।

प्लैट्स के शब्दकोश में इस्तरी।

उधर हिंदी शब्दसागर इस्तिरी को सही बताता है और इस्त्री की एंट्री में भी कहता है – देखें इस्तिरी। शब्दसागर इस्तिरी को संस्कृत के स्तरी से निकला बताता है और उसका अर्थ लिखा है – तह करनेवाली।

हिंदी शब्दसागर में इस्तिरी।

संस्कृत कोश में स्तरी का ऐसा कोई अर्थ नहीं दिया गया है। वहाँ उसका अर्थ लिखा है – धुआँ, भाप और बंध्या गाय (देखें चित्र)। इस अर्थ से इस्तरी का रिश्ता जुड़ता है क्योंकि सिलवटें हटाने के लिए भाप की आवश्यकता होती है और कोयले से धुआँ तो निकलेगा ही।

ऑक्सफ़र्ज जैसे कुछ शब्दकोशों की राय है कि यह शब्द पुर्तगाली estirar से आया है जिसका मतलब है खींचना, to stretch।

ऑक्सफ़र्ड के अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश में इस्तरी और उसकी पुर्तगाली estirar से तुलना।

ऐसे में यह कहना बहुत मुश्किल है कि इस्त्री/इस्तरी/इस्तिरी शब्द कहाँ से आया। शब्दसागर संस्कृत के ‘स्तरी’ शब्द को इस्तिरी का स्रोत बता रहा है लेकिन किसी संस्कृत ग्रंथ से ऐसा कोई उदाहरण उसने पेश नहीं किया जहाँ कपड़ों से सिलवटें हटाने के लिए ‘स्तरी’ शब्द का इस्तेमाल हुआ हो।

फिर भी यदि हम मान लें कि यह शब्द ‘स्तरी’ से ही बना है तो दो प्रश्न उठ सकते हैं।

  1. स्तरी से पहले ‘इ’ क्यों लगा?
  2. यदि स्तरी से पहले ‘इ’ लगा तो इ+स्तरी=इस्तरी होना चाहिए, इस्तिरी क्यों बनना चाहिए जिसे शब्दसागर सही बताता है?

‘स्तरी’ से पहले ‘इ’ क्यों लगा, इसका जवाब मेरे भाषामित्र योगेंद्रनाथ मिश्र ने कभी एक फ़ेसबुक पोस्ट में दिया था। यहाँ मैं उसका सार-संक्षेप दे रहा हूँ। यदि आप इस विषय को विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक या टैप करके पढ़ सकते हैं।

मिश्र जी के अनुसार जब हम किसी ध्वनि का उच्चारण करते हैं तो कुछ मामलों में हमारे मुँह की हवा रुकती है और कुछ मामलों में नहीं रुकती।

वर्गीय यानी कवर्ग से पवर्ग तक की ध्वनियों के मामले में हवा रुकती है। लेकिन स्वरों और य, र, ल, व, श, ष, स और ह के मामले में हवा नहीं रुकती।

जब हम ‘स्तरी’ जैसा कोई शब्द बोलते हैं तो ‘स्त’ बोलते समय जीभ और मुँह को हलका-फुलका करतब करना पड़ता है। कारण, ‘स्’ बोलते समय मुँह में हवा को गतिशील रखना है और ‘त’ बोलते समय हवा को रोकना है। यह कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे कि आप एक पाँव पर खड़े होकर संतुलन बनाने का प्रयास करें। अभ्यास न हो तो लड़खड़ाना स्वाभाविक है। ऐसे में ‘स्’ लाठी की तरह किसी स्वर को अपने साथ ले आता है – ‘अ’ या ‘इ’ को क्योंकि ‘अ’ या ‘इ’ (जो स्वर हैं) बोलते समय भी हवा नहीं रुकती है। फलतः ‘स्’ से पहले ‘अ’ या ‘इ’ आ जाता है और शब्द को बोलना आसान हो जाता है। स्तरी बन जाता है इस्+तरी=इस्तरी।

स्कूल, स्थान, स्थिति आदि में इसी तरह ‘स्’ से पहले किसी स्वर का सहारा लिया जाता है। जैसे स्कूल बना जाता है इस्+कूल=इस्कूल, स्थान बन जाता है अस्+थान=अस्थान और स्थिति बन जाती है इस्+थिति=इस्थिति।

रोचक बात यह है कि यदि स् के बाद य, र, ल, व आदि वर्ण आते हैं तो यह समस्या नहीं होती क्योंकि दोनों फिर एक जैसे हो जाते हैं – न स् के बोलने पर हवा रुकती है, न य, र, ल, व आदि बोलने पर। इसलिए स्वामी या स्रोत बोलते समय मुँह को कोई समस्या नहीं होती।

अब रहा मुद्दा इस्तरी के इस्तिरी या इस्त्री बनने का। तो इसका कारण संभवतः यह है कि हिंदी में शब्द के बीच आने वाले ‘अ’ स्वर का उच्चारण अक्सर नहीं होता है। कमला का उच्चारण कम्ला जैसा हो जाता है, बदरी का बद्री बन जाता है। सो इस्तरी का इस्त्री हो गया। उधर कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनको आधा अक्षर बोलने में समस्या है। उन्होंने ‘त’ को आधा (इस्त्री) नहीं किया, बल्कि ‘त’ में भी ‘इ’ की मात्रा लगा ली। हो गया इस्तिरी। ऐसे ही परिवर्तन हम सिलेट (स्लेट>सिलेट) और बुरुश (ब्रश>ब्रुश>बुरुश) में भी देखते हैं।

अब आप कहेंगे, कौन शब्द कैसे बना, यह तो समझ लिया लेकिन सही क्या है, यह तो बताया नहीं। तो इसका फ़ैसला मैं आपपर छोड़ता हूँ। प्रामाणिक शब्दकोश इस्तरी और इस्तिरी को सही बता रहे हैं मगर अधिकतर लोग यदि इस्त्री बोलने लगे हैं तो आज की तारीख़ में वह भी सही माना जाएगा।

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