जाने कहाँ गए वो दिन, जैसा लिखो, वैसा पढ़ो, इंग्लिश बहुत आसान थी… फ़िल्म ’मेरा नाम जोकर’ की इस पैर्अडी से आप यह तो जान ही गए होंगे कि कभी ऐसा भी समय था जब इंग्लिश इतनी ’फन्नी’ नहीं थी और हिंदी की ही तरह उसे ‘जैसा लिखो, वैसा पढ़ो’ के नियम के तहत पढ़ा जा सकता था। वह समय था आज से 600 साल और उससे पहले का दौर। लेकिन उस समय कुछ ऐसा हुआ कि सारे व़ावल के उच्चारण एकाएक बदल गए। ऐसा क्यों हुआ और उससे अंग्रेज़ी शब्दों की स्पेलिंग और उच्चारण में क्या घालमेल हुआ, यही जानेंगे हम आज की इस विदाई क्लास में।
आज से क़रीब छह शताब्दी पहले तक अंग्रेज़ी व़ावल के उच्चारण मोटामोटी तय थे और शब्दों को उनके आधार पर काफ़ी-कुछ सही तरीक़े से बोला जा सकता था। जैसे E का उच्चारण था ‘ए’ या ‘ऐ’ और I का उच्चारण था ‘इ’ या ‘ई’। इसी तरह बाक़ी व़ावल के उच्चारण भी तय थे और उन्हीं के आधार पर शब्दों का उच्चारण निर्धारित होता था।(देखें टेबल)।
व़ावल | उच्चारण | उदाहरण |
a | आ | Name का उच्चारण था नाम्अ |
e/ee | ए-ऐ | Sheep का उच्चारण था शेप |
i/ii | इ-ई | Five का उच्चारण था फ़ीफ़ |
ou | ऊ | Hous का उच्चारण था हूस |
o/oo | ओ | Boot का उच्चारण था बोट |
y | इ-ई | Lyf का उच्चारण था लीफ़ |
लेकिन 1400 ईसवी के बाद अचानक इन उच्चारणों में बदलाव आया जिसे Great Vowel Shift (स्वर महापरिवर्तन) कहा जाता है। यह बदलाव क्यों हुआ, कोई नहीं जानता। मगर देखा गया कि इस दौरान जहाँ-जहाँ भारी व़ावल (आ, ई या ऊ) का उच्चारण था, वहाँ दूसरे उच्चारण होने लगे। जहाँ ‘आ’ का उच्चारण था, वहाँ बोला जाने लगा ‘ए’, जहाँ ‘ई’ था, वहाँ बोला जाने लगा ‘आइ’ और ‘ऊ’ वाले शब्दों का उच्चारण हो गया ‘आउ’। इसी के चलते Name (तब का नाम्अ) का उच्चारण हो गया नेम, Five जो पहले फ़ीफ़ बोला जाता था, बन गया फ़ाइव़ और Lyf (लीफ़) अपनी स्पेलिंग में थोड़ा-बहुत फेरबदल करके हो गया लाइफ़। इसी तरह Hous (हूस) में एक e लगने के बाद वह बोला जाने लगा हाउस।
ऐसे ही परिवर्तन और शब्दों में भी आए। ‘ए’ उच्चारण वाले शब्दों जैसे Deed (तब का डेड) और Meet (तब का मेट) ने ‘ई’ का उच्चारण अपना लिया और वे डीड और मीट बोले जाने लगे। इसी तरह ‘ओ’ वाले शब्द ‘ऊ’ बोले जाने लगे। जैसे Boot (तब का बोट) बूट बोला जाने लगा और Mone (तब का मॉन) स्पेलिंग में हलके परिवर्तन के साथ Moon (मून) हो गया।
इन परिवर्तनों के साथ ही इन सारे व़ावल के नए उच्चारण पैदा हुए। जैसे I जो पहले सिर्फ़ ‘इ’ या ‘ई’ के लिए इस्तेमाल होता था, अब ‘आइ’ के लिए भी प्रयुक्त होने लगा। ऐसा ही दूसरे शब्दों में भी होने लगा और एक-एक व़ावल के अलग-अलग शब्दों में अलग-अलग उच्चारण चलने लगे। उस पर करेला और नीमचढ़ा यह कि विदेशी भाषा से आए शब्दों में उच्चारण के अलग नियम थे और ऐसे कई शब्दों को अंग्रेज़ी ने उनके मूल उच्चारण के साथ ही अपना लिया।
उच्चारणों में यह उलट-पुलट 14वीं से18वीं शताब्दी तक चलता रहा। लेकिन इस बीच प्रिंटिंग प्रेस ने आकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया। 15-16वीं शताब्दियों में जब किताबें छपने लगीं तो सारे शब्द अपनी स्पेलिंग के साथ फ़्रीज़ हो गए। इससे हुआ यह कि शब्दों के उच्चारण के बदलने का सिलसिला तो चलता रहा मगर शब्दों की स्पेलिंग जस-की-तस रही। जैसे Cut जो पहले कुट बोला जाता था, अब कट बोला जाने लगा लेकिन स्पेलिंग वही की वही रही – Cut। इससे हम जैसों के लिए भारी परेशानी हो गई कि Put और Cut दोनों की स्पेलिंग एक जैसी परंतु u का उच्चारण दोनों में अलग-अलग। इसी तरह आज जो Walk, Talk या Comb, Dumb में l या b साइलंट हैं, वे पहले बोले जाते थे।
ऐसा नहीं है कि इंग्लिश में स्पेलिंग सुधारने की कोशिश नहीं हुई। अमेरिकी अंग्रेज़ी में तो कई बदलाव हुए हैं। इंग्लंड में भी कई संस्थाएँ स्पेलिंग सुधारने का आंदोलन चला रही हैं। परंतु पब्लिशरों, लेखकों और ख़ासकर सरकार की तरफ़ से कोई समर्थन न मिलने से इस दिशा में कोई कामयाबी नहीं मिली है।
वैसे स्पेलिंग न बदलने का एक फ़ायदा भी हुआ है। अगर हर सदी में बदलते उच्चारणों के कारण शब्दों की स्पेलिंग बदलती जाती तो वही समस्या होता तो Lyf के मामले में होती है। Lyf (जीवन) अब Life हो गया है। लेकिन अगर किसी को न मालूम हो और वह पुरानी किताबें देखे तो वह Lyf का मतलब Leaf यानी पत्ता भी समझ सकता है। आज लाखों शब्दों की स्पेलिंग वही बनी हुई है तो हम पुराने ग्रंथों में लिखे शब्दों का अर्थ तो पहचान पा रहे हैं।
इस क्लास का सबक़
आज से क़रीब 600 साल पहले एक ऐसा दौर आया जब अंग्रेज़ी के शब्दों का उच्चारण अचानक बदल गया। A से जहाँ ‘आ’ का उच्चारण होता था, वहाँ ‘ऐ’ और फिर ‘ए’ बोला जाने लगा। E और EE से जहाँ ‘ए’ या ‘ऐ’ का उच्चारण होता था, वहाँ ‘इ’ और ‘ई’ बोला जाने लगा और I और II का जहाँ ‘इ’ या ‘ई’ उच्चारण था, वहाँ ‘आइ’ बोला जाने लगा। कुछ शब्दों की स्पेलिंग भी समय के साथ बदली लेकिन अधिकतर की नहीं बदली। प्रिंटिंग प्रेस आने के बाद स्पेलिंग फ़्रीज़ हो गई मगर उच्चारण बदलते रहे। यही कारण है Cut और Put का उच्चारण आज अलग-अलग है। कभी दोनों का एक जैसा उच्चारण था — कुट और पुट।
अभ्यास
Me, Mine, Out, Flour, Mode, Door — ऊपर की टेबल देखकर इन पाँच शब्दों के तब के उच्चारण का अंदाज़ा लगाइए। नीचे चलते-चलते के बाद मैंने इनके तब के उच्चारण दिए हैं, उनसे मिलाइए।
चलते-चलते
हिंदी में भी समय के साथ-साथ उच्चारण में अंतर आया है लेकिन शब्द की स्पेलिंग नहीं बदली। जैसे कमला और जनता जिन्हें हम सभी कम्ला या जन्ता बोलते हैं मगर लिखते हैं क-म-ला और ज-न-ता। इसी तरह राम (संस्कृत उच्चारण राम्अ) को हम हिंदी में राम् बोलते हैं मगर लिखते हैं राम (राम्अ)। इनमें सबसे रोचक परिवर्तन हुआ है ‘ज्ञ’ में जिसे हम और आप ‘ग्य’ बोलते हैं। लेकिन इसका मूल उच्चारण ‘ज्यं’ है। यानी ज्ञानी का संस्कृत में मूल उच्चारण था ज्यांनी। हिंदी कीबोर्ड में भी ‘ज्’ के बाद ‘ञ’ टाइप करने पर ‘ज्ञ’ बनता है, न कि ‘ग्’ और ‘य’ टाइप करने पर।
- अब जाते-जाते ऊपर अभ्यास में दिए गए शब्दों के पुराने उच्चारण भी बता दूँ। Me (मे), Mine (मीन), Out (ऊट), Flour (फ्लूर), Mode (मूड), Door (डूर)।