श्राप और शाप – इन दोनों का एक ही मतलब है। ‘श्राप’ संस्कृत का है और ‘शाप’ हिंदी का – कुछ साल पहले तक मैं यही समझता था। मैं ही नहीं, एक फ़ेसबुक पोल के अनुसार क़रीब 40% हिंदीभाषी यही समझते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है? शाप से श्राप बना है या श्राप से शाप, जानने के लिए आगे पढ़ें।
‘श्राप’ और ‘शाप’ में संस्कृत का मूल शब्द कौन है, यह सवाल मैंने दो मंचों पर पूछा था। एक हिंदी कविता पर, दूसरा अपने निजी प्रोफ़ाइल पेज पर। दोनों जगहों का संयुक्त परिणाम चौंकाने वाला था, कम-से-कम मेरे लिए। क़रीब 60% ने कहा कि शाप संस्कृत का मूल शब्द है और उससे श्राप बना है। क़रीब 40% ने इसके उलट उत्तर दिया कि श्राप शब्द संस्कृत का है और उसी से शाप बना है।
मैंने इस परिणाम को चौंकाने वाला इसलिए कहा कि मैं इसके विपरीत परिणाम की उम्मीद कर रहा था। मुझे लगता था कि अधिकतर लोग ‘श्राप’ को ही संस्कृत का शब्द बताएँगे जैसा कि मैंने भी बताया होता अगर आज से तीन साल पहले मुझसे भी यह सवाल पूछा गया होता। चूँकि संस्कृत का मेरा ज्ञान शून्य से कुछ ही ज़्यादा है इसलिए मैंने भी अंदाज़ा लगाते हुए ‘श्राप’ को तत्सम बताया होता।
श्राप को तत्सम इसलिए बताया होता कि संस्कृत में ऐसे बहुत सारे शब्द हैं जिसमें र् या ऋ की मौजूदगी है मगर उसके तद्भव रूप में नहीं है। जैसे –
- कर्म (काम)
- पत्र (पत्ता)
- घृत (घी)
- ग्राम (गाँव)
- मृत्यु (मौत)
- मृत्तिका (मिट्टी)
- चर्म (चमड़ा)
- भ्रातृ (भाई)
- द्राक्षा (दाख)
ऐसे में पहली नज़र में यही लगता है कि ‘श्राप’ संस्कृत का होगा और उसी से र् के लुप्त होने से शाप बना होगा।
लेकिन संस्कृत में श्राप है ही नहीं। वहाँ तो शाप है। शाप शप् धातु से बना है। उसी से अभिशप्त, शापमोचन आदि शब्द बने हैं।
संस्कृत कोश में श्राप से मिलते-जुलते दो शब्द मिले मुझे मगर उनका शाप से कोई लेना-देना नहीं है। मकडॉनल के संस्कृत शब्दकोश में मुझे श्रापय और श्रापिन् शब्द मिले। श्रापिन् का संबंध पकाने से है (देखें चित्र)।
अब प्रश्न यह है कि शाप से श्राप कैसे बना होगा? यह उलटी गंगा कैसे बही होगी? क्या ऐसे और भी शब्द हैं जहाँ संस्कृत से आए शब्द के हिंदीकरण के दौरान र् का प्रवेश हुआ हो? कह नहीं सकता। हाँ, गुजराती होने के कारण इतना कह सकता हूँ कि गुजराती में श्राप है। गूगल ट्रांसलेट से पता चला कि पंजाबी में भी सराप है। और किस-किस भाषा में श्राप है, अगर आप जानते हों तो बताएँ।
श्राप और शाप की तरह ‘व’ और ‘ब’ वाले शब्दों में भी भ्रम होता है कि वृहस्पति या बृहस्पति, वक या बक, वाण या बाण? इसपर हम पहले चर्चा कर चुके हैं। अगर रुचि हो तो पढ़ें।