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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

37. श्मशान बना शमशान क्यों, क्यों स्थान हुआ अस्थान?

अंत्येष्टि स्थल को संस्कृत में श्मशान कहते हैं लेकिन श्मशान बोलना थोड़ा मुश्किल है इसलिए कुछ लोगों ने श् को श कर दिया – बन गया शमशान। कुछ और लोग तो इसके शुरू में मौजूद श् की ध्वनि ही खा गए और बोलने लगे मसान। सही क्या है, यह तो आप जान गए मगर श्मशान शब्द में ‘श्म’ और ‘शान’ का क्या अर्थ है, यह जानना हो तो आगे पढ़ें।

जब हमने फ़ेसबुक पर इस विषय में एक पोल किया तो 63% ने कहा – श्मशान, 37% ने शमशान। सही श्मशान है – जैसा कि बहुमत ने कहा है और जैसा कि शब्दकोश में भी लिखा है (देखें चित्र)।

आपने ऊपर के चित्र में देखा होगा कि श्मशान शब्द कैसे बना। ‘श्म’ का अर्थ है शव और ‘शान’ का मतलब है शयन यानी सोने की जगह। चूँकि श्मशान में शव चिता पर मानो सोते हों, इसलिए इसे श्मशान कहा गया।

परंतु यह श्मशान शब्द बोलना थोड़ा मुश्किल है। केवल श्मशान ही नहीं, ऐसे बहुत सारे शब्द जिनके आरंभ में आधा श या स है, उन्हें कई लोग शुद्ध बोल नहीं पाते जैसे स्कूल, स्थिति, स्पष्ट, स्थान आदि। अयोध्या में राम का जन्मस्थान मानी जाने वाली जगह का नाम भी अस्थान हो गया है (देखें चित्र)।

आपने भी कुछ लोगों को इस्कूल, इस्थिति और अस्पष्ट बोलते सुना होगा। एक बार मुझसे किसी ने कहा, ‘आप कृपया अपनी बात को अस्पष्ट करें।‘ सुनकर मैं चौंक गया। अस्पष्ट करूँ! मैंने पूछा, ‘क्या करूँ?’ वह बोले, ‘अस्पष्ट कीजिए ताकि बात समझ में आए।‘ जब उन्होंने ‘बात समझ में आए’ कहा तो वाक़ई मुझे बात समझ में आ गई कि वह ‘स्पष्ट’ को ही ‘अस्पष्ट’ कह रहे थे। बस मुझे यह नहीं समझ में आया कि अगर उनको कभी बोलना हुआ कि लेखक का दृष्टिकोण पूरी तरह से अस्पष्ट है तो वह क्या बोलते होंगे – लेखक का दृष्टिकोण पूरी तरह से ‘अअस्पष्ट’ है?

स्कूल को इस्कूल, स्थिति को इस्थिति, स्थापना को अस्थापना लोग बोलते हैं मगर लिखते नहीं। लेकिन कुछ जगहों पर स्तीफ़ा लिखा भी जा रहा है (देखें चित्र)।

कुछ लोग क्यों स्थिति, स्थायी आदि शब्दों को शुद्ध रूप से नहीं बोल पाते, इसपर भाषामित्र योगेंद्रनाथ मिश्र ने एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखा है। रुचि हो तो यहाँ क्लिक या टैप करके पढ़ सकते हैं।

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