वाल्मीकि रामायण में भरत की माँ का नाम कैकेयी लिखा हुआ है। रामचरितमानस में कहीं कैकेई तो कहीं कैकई लिखा हुआ है। ऐसे में किसी के भी मन में प्रश्न उठ सकता है कि सही क्या है। अगर कैकेयी सही है क्योंकि वाल्मीकि रामायण पहले लिखी गई है तो तुलसीदास ने उसे बिगाड़कर कैकेई या कैकई क्यों किया? आइए, आज की क्लास में पता करने की कोशिश करते हैं कि सच्चाई क्या है।
कैकेयी, कैकेई और कैकई पर जब एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो 85% भागीदारों ने कैकेयी के पक्ष में मुहर लगाई जबकि 10% ने कैकई और 5% ने कैकेई को सही बताया।
सही जवाब है कैकेयी – वाल्मीकि रामायण में यही नाम लिखा हुआ है (देखें चित्र)।
दरअसल केकय/कैकय जनपद के पुरुष को कैकेय और स्त्री को कैकेयी कहा जाता था (देखें चित्र)। भरत की माँ चूँकि केकय/कैकय देश की राजकुमारी थीं इसलिए उनका भी नाम हुआ कैकेयी।
मैं संस्कृत व्याकरण के बारे में कुछ भी नहीं जानता इसलिए बता नहीं सकता कि केकय/कैकय से कैकेय/कैकेयी किस नियम के तहत बने। बस इतना अंदाज़ा लगा सकता हूँ कि जैसे क्रय (ख़रीद) से क्रेय (ख़रीदने योग्य) और पय (पानी) से पेय (पीने योग्य) होता है, वैसे ही केकय/कैकय से कैकेय और कैकेयी (केकय से संबंधित) बने होंगे।
यह तो हुआ संस्कृत का मामला लेकिन हिंदी का हर शब्द संस्कृत के नियमों से नहीं चलता। इसलिए कैकेयी हिंदी में कैकेई और कैकई हो गया। रामचरितमानस में हमें कैकेयी के ये दोनों रूप मिलते हैं। छंद के नियमों के अनुसार तुलसीदास ने कहीं कैकेयी लिखा है, कहीं कैकई (देखें चित्र)।
मैं भी मानता हूँ कि हमारे पोल में 85% लोगों ने भले ही कैकेयी को सही बताया हो मगर जब बोलने का मामला आता है तो उनमें से कई लोग कैकई ही बोलते होंगे।
इसके पीछे दो कारण दिखते हैं। एक, कैकेयी में तीन दीर्घ स्वर एक-के-बाद-एक आ रहे हैं = कै-के-यी – जिनको बोलना थोड़ा मुश्किल है। दूसरे, ‘यी’ जब किसी शब्द के अंत में आता है तो उसका उच्चारण ‘ई’ जैसा होता है जैसे नयी का नई, गयी का गई आदि।
इनहीं दो कारणों से कैकेयी में दूसरे ‘क’ की ‘ए’ की मात्रा ‘अ’ में बदल गई और ‘यी’ ‘ई’ में। नया नाम हुआ कैकई।
मैंने ऊपर कैकेयी को सही बताया है, इसका अर्थ यह नहीं कि कैकई या कैकेई ग़लत हो गए। जैसे लक्ष्मण सही है, इसका अर्थ यह नहीं कि लखन लिखना ग़लत है। शब्दसागर ने कैकेयी के साथ-साथ कैकई को भी स्थान दिया है भले ही उस एंट्री में मूल शब्द कैकेयी ही दिया हुआ है (देखें चित्र)।
जाते-जाते एक और जानकारी जो मुझे इस शब्द के बारे में छानबीन करते हुए मिली। केकय से कैकेय और कैकेयी बनता है, यह तो हमने ऊपर जाना। मगर संस्कृत शब्दकोश में केकय से केकयी और केकेयी बनना भी स्वीकार किया गया है। यानी कैकेयी के साथ केकयी और केकेयी भी सही हैं।
कैकेयी की तरह रामायण के एक और पात्र के नाम पर भ्रम है। वह है रावण के पुत्र का नाम जिसे कुछ लोग मेघनाद और कुछ मेघनाथ कहते हैं। इसपर हम पहले चर्चा कर चुके हैं। पढ़ना चाहें तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक या टैप करें।