एक होता है शेर और एक होता है बबर शेर जिसे बब्बर शेर भी कहा जाता है। क्या इन दोनों का एक ही मतलब है – सिंह जिसे अंग्रेज़ी में लायन कहते हैं? अगर हाँ तो शेर के आगे बबर (या बब्बर) लगाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? आपको जानकर हैरत होगी कि फ़ारसी में बबर का मतलब सिंह नहीं, बाघ होता है। फिर बबर शेर का क्या मतलब हुआ? जानने के लिए आगे पढ़ें।
फ़ेसबुक पर शब्दपोल 103 के तहत पूछा गया सवाल ‘शेर’ और ‘बबर शेर’ के बारे में था कि दोनों में क्या अंतर है। चार विकल्प दिए गए थे।
- शेर=बाघ, बबर शेर=सिंह।
- शेर=सिंह, बबर शेर=बाघ।
- शेर=सिंह/बाघ, बबर शेर=सिंह।
- दोनों का एक ही अर्थ है – सिंह।
जैसा कि मेरा अनुमान था, अधिकतम 60% वोट चौथे विकल्प पर पड़े यानी दोनों का एक ही अर्थ है। शेर का अर्थ भी सिंह और बबर शेर का मतलब भी सिंह। मैं भी बचपन से यही धारणा रखता आया हूँ। लेकिन फिर सवाल उठता है कि अगर दोनों का एक ही अर्थ है तो शेर के आगे बबर लगाकर एक नया शब्द गढ़ने की ज़रूरत ही क्यों पड़ी? आइए, नीचे जानने की कोशिश करते हैं।
शेर और बबर ये दोनों ही शब्द फ़ारसी से आए हैं। शेर का मूल अर्थ है सिंह लेकिन यह बाघ के लिए भी इस्तेमाल होता है (देखें चित्र)। उधर बबर (बब्र) का मूल अर्थ है बाघ लेकिन यह सिंह के लिए भी इस्तेमाल होता है (देखें चित्र)। निष्कर्ष यह कि शेर और बबर के मूलतः अलग-अलग अर्थ होने के बावजूद वे बाघ और सिंह (Tiger और Lion) दोनों के लिए इस्तेमाल होते हैं।
अब प्रश्न यह है कि अगर बबर और शेर दोनों शब्दों का एक ही अर्थ है और दोनों ही सिंह और बाघ के अर्थ में इस्तेमाल होते है तो फिर बबर शेर का अर्थ क्या होगा? बाघ-बाघ? सिंह-बाघ? या सिंह-सिंह? आख़िर इस दोहरे प्रयोग की आवश्यकता क्यों पड़ी?
मैंने फ़ारसी शब्दकोश देखें। वहाँ मुझे बबर शेर का इस्तेमाल नहीं मिला। लेकिन उर्दू शब्दकोशों में यह है। मद्दाह का उर्दू शब्दकोश के अनुसार बब्र के दो अर्थ हैं।
1. बिल्ली के आकार का एक ऐसा दुमविहीन जानवर जो सिंह की भी जान ले लेता है (देखें चित्र में पहली एंट्री)। मुझे नहीं मालूम, सृष्टि में ऐसा भी कोई जानवर है और वह भी बिल्ली के आकार का जो सिंह की जान ले ले! क्या आपको ऐसे किसी जानवर के बारे में मालूम है?
2. मद्दाह के अनुसार बब्र का दूसरा अर्थ है शेर की एक जाति। साथ ही वह यह भी कहता है कि बबर का इस्तेमाल संज्ञा के बजाय विशेषण के तौर पर अधिक आता है। यानी वह अलग से बाघ या शेर के अर्थ में इस्तेमाल होने के बजाय शेर के आगे विशेषण के तौर पर अधिक लगता है (देखें चित्र)।
मद्दाह साहब यह तो बताते हैं कि ‘बबर’ शब्द ‘शेर’ से पहले विशेषण के तौर पर इस्तेमाल होता है परंतु यह नहीं बताया कि विशेषण के रूप में इसके इस्तेमाल की ज़रूरत क्यों पड़ी और इससे शब्द के अर्थ में क्या अंतर पड़ा। क्यों शेर के आगे बबर लगाना पड़ा जबकि दोनों के एक ही अर्थ हैं?
मैंने इसके बारे में सोचा और जो अनुमान लगा पाया हूँ, वह आपके लिए पेश है।
हम जानते हैं (और हमारे पोल से भी यह संकेत मिलता है) कि हिंदी में आम तौर पर शेर का अर्थ सिंह ही समझा जाता है, बाघ नहीं। कारण, हिंदी में बाघ शब्द पहले से है जो संस्कृत के व्याघ्र से बना है। सिंह उच्चारण के तौर पर थोड़ा मुश्किल शब्द है, इसलिए हिंदीवालों ने उसके बदले शेर को अपना लिया। शेर यानी सिंह जिसके सिर पर लंबे-लंबे केश होते हैं और बाघ यानी वह जिसके शरीर पर धारियाँ होती हैं।
लेकिन उर्दूवालों के पास यह रास्ता नहीं था। जब उन्हें बाघ या सिंह में से किसी एक के बारे में स्पष्ट तौर पर लिखना या बोलना हो तो उनके सामने समस्या आती होगी। हो सकता है, इसी कारण उन्होंने शेर के आगे बबर लगाना शुरू कर दिया ताकि स्पष्ट हो जाए कि वे बालों वाले शेर यानी सिंह के बारे में बात कर रहे हैं, धारियों वाले शेर यानी बाघ के बारे में नहीं। चूँकि पंजाबी भी उर्दू से बहुत प्रभावित रही है, इसलिए पंजाबी में भी बबर शेर का इस्तेमाल होता है। इस तरह वहाँ दो शब्द हो गए – शेर (बाघ) और बबर शेर (सिंह)।
इस पोल पर अध्ययन करते हुए एक रोचक जानकारी यह मिली कि सिंह शब्द की उत्पत्ति हिंस् से हुई है। हिंस् में वर्ण उलट गए तो बन गया सिंह। आप्टे के कोश में लिखा है – सिंहः siṃhaḥ [हिंस्-अच् पृषो˚] 1 A lion; (it is said to be derived from हिंस्, cf. भवेद्वर्णागमाद्धंसः सिंहो वर्णविपर्ययात् Sk.)। पिछली बार हमने बवाल और वबाल पर चर्चा करते समय वर्णों के उलट-पलट पर बात की थी। वहाँ वर्णों के उलट-पुलट से शब्द का अर्थ नहीं बदला लेकिन यहाँ बदल गया।
इसके अलावा फ़ेसबुक पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए एक साथी सुदीप कुमार ने बर्बर देश की एक सिंह प्रजाति के बारे में बताया जिसे Barbary Lion कहा जाता है और विकिपीडिया का एक लिंक भी शेयर किया। मैंने भी ऐसी ही जानकारी हिंदी शब्दसागर में देखी थी लेकिन उसके बारे में विस्तृत जानकारी न मिलने से पोस्ट में उसका हवाला देना उचित नहीं समझा। देखें, शब्दसागर में क्या लिखा है बर्बर वाली एंट्री में।
ऊपर मैंने सिंह शब्द की चर्चा करते हुए उसे उच्चारण के तौर पर मुश्किल शब्द बताया है। मुश्किल इसलिए कि इसके चार उच्चारण हो सकते हैं – सिँह, सिंग्ह, सिंग और सिंघ। इनमें से कौनसा उच्चारण सही है, इसपर मैं क्लास 79 में बात कर चुका हूँ। जानने की रुचि हो तो आगे दिए गए लिंक पर जा सकते हैं।