हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में बप्पी दा का नाम उन लोगों में लिया जाता है जिन्होंने पश्चिमी धुनों का इस्तेमाल करके कई हिट गाने दिए। लेकिन मुश्किल यह है कि लोग बप्पी दा का नाम ठीक से नहीं जानते। हिंदी के रेडियो जॉकी और नामी साइटों के पत्रकार भी उनका सरनेम ग़लत लिखते हैं। आज की इस क्लास में हम यही जानेंगे कि क्या है बप्पी दा का सरनेम। रुचि हो तो पढ़ें।
हाल ही में मैंने विविध भारती पर एक रेडियो जॉकी को बप्पी लाहिड़ी को बप्पी लहरी बोलते सुना। मुझे लगा कि जिन लोगों का गानों से रोज़ पाला पड़ता है, वे ही जब एक जाने-माने संगीतकार का नाम नहीं जानते तो आम लोग भी अवश्य ग़लत जानते होंगे। मैंने नेट पर भी सर्च किया। कई बड़ी साइटों पर मुझे बप्पी लहरी मिला (देखें चित्र)।
कहने की ज़रूरत नहीं कि सही सरनेम लाहिड़ी ही है। बप्पी लाहिड़ी। बांग्ला में बाप्पि लाहिड़ी। वैसे उनका असल नाम आलोकेश है – आलोक+ईश यानी मेरे हिसाब से सूर्य।
जैसा कि ऊपर बताया, मैं बप्पी लाहिड़ी का प्रशंसक नहीं हूँ। उनका केवल एक गाना मुझे थोड़ा-बहुत पसंद है, वह भी उसका मुखड़ा – ‘चलते-चलते, मेरे ये गीत याद रखना, कभी अलविदा ना कहना’। लेकिन इसका श्रेय संगीतकार के बजाय गीतकार को ज़्यादा जाता है। गीतकार को भी श्रेय दूँ या नहीं, समझ में नहीं आता क्योंकि इन्हीं भावों को व्यक्त करता हुआ रवींद्रनाथ टैगोर का एक बहुत ही मशहूर गाना है – एइ कथा टि मोने रेखो, आमि जे गान गेये छिलेम, मोने रेखो (बात मेरी तुम याद रखना, मैंने जो गीत गाए थे, याद रखना)। वैसे दो कवियों में मन में एक जैसे भाव और शब्द आ सकते हैं।
बप्पी लाहिड़ी की ही तरह दो और बंगाली शख़्सियतें हैं जिनके नाम पर हिंदी जगत में भ्रम है। एक हैं सत्यजित उर्फ़ मानिक दा (रे या राय?) और दूसरे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान गांगुली दा (सौरव या सौरभ?)। इन दोनों के नामों पर मैं चर्चा कर चुका हूँ। रुचि हो तो नीचे दिए गए लिंक पर जाकर जान सकते हैं – सही क्या है।
सत्यजित रे या राय?
सौरव या सौरभ गांगुली?
अलविदा का अर्थ
ऊपर मैंने जिस गाने का उल्लेख किया है, उसमें ‘अलविदा’ शब्द आया है। अलविदा का अर्थ क्या है – हमेशा के लिए विदा या फ़िलहाल के लिए विदा? इसपर भी मैं शब्दचर्चा कर चुका हूँ। लिंक आगे दिया हुआ है।