महाराष्ट्र के एक नेता हैं देवेंद्र फड़नवीस। उनके सरनेम का उच्चारण दो तरह से हो सकता है और होता भी है – फड़+नवीस और फड़न+वीस। आप क्या बोलते हैं? और जो बोलते हैं, क्या सही है या ग़लत, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
जब देवेंद्र फड़नवीस के सरनेम के उच्चारण के बारे में फ़ेसबुक पर एक पोल किया गया तो दो साथियों ने कहा कि ये दोनों ही उच्चारण ग़लत हैं क्योंकि उनके हिसाब से सही उच्चारण फडनवीस/फड़णवीस है। यानी एक के हिसाब से ड़ की जगह ड होना चाहिए था और दोनों के हिसाब से न की जगह ण होना चाहिए (देखें चित्र)।
आगे बढ़ने से पहले इस आपत्ति पर ही विचार कर लें। इस सरनेम का सही उच्चारण क्या है, इसका दो तरह से निबटारा किया जा सकता है।
- मराठी में इसे कैसे बोलते-लिखते हैं?
- हिंदी में इसे कैसे बोलते-लिखते हैं?
मैंने पोल में यह स्पष्ट नहीं किया था कि मैं मराठी के उच्चारण की बात कर रहा हूँ या हिंदी के। लेकिन चूँकि मैं अपने पोल में हिंदी की ही बात करता रहा हूँ, इसलिए मुझे लगा कि वोट देने वाले समझ जाएँगे कि हमें हिंदी के उच्चारण से ही मतलब है।
अब हिंदी का उच्चारण क्या है?
यदि आप नागरी प्रचारिणी सभा का हिंदी शब्दसागर टटोलेंगे तो वहाँ आपको फड़नवीस ही मिलेगा (देखें चित्र)।
यह शब्द फ़ारसी के फ़र्दनवीस का परिवर्तित रूप है। फ़र्द का अर्थ है रजिस्टर या खाता और नवीस का अर्थ है लेखक। फ़र्द से बिगड़कर बना फड या फड़।
मराठी में निस्संदेह फड लिखा (और शायद बोला भी) जाता है क्योंकि उनकी वर्णमाला में ड़ के लिए अलग से कोई वर्ण नहीं है जिसमें ड के नीचे बिंदी हो। लेकिन जहाँ तक हिंदी का मामला है, हिंदी के सम्मानित शब्दकोश में भी हमने फड़नवीस ही देखा। वैसे भी इतिहास की क्लासों में मैंने हमेशा नाना फड़नवीस ही पढ़ा, बोला और लिखा था। क्या आप लोग बताएँगे कि स्कूल में आप नाना फड़नवीस के नाम का क्या उच्चारण करते थे?
रहा ‘नवीस’ और ‘णवीस’ का मामला तो आपने देखा कि मूल शब्द नवीस (फ़ारसी, अर्थ लेखक) ही है जो न जाने क्यों, मराठी में णवीस भी लिखा जाता है। ‘भी’ इसलिए कह रहा हूँ कि मैंने मराठी के पाँच शब्दकोश टटोले, कुछेक में तो यह शब्द था ही नहीं, एक-दो में फडणवीस था और एक में फडनवीस भी। मराठी में इसी शब्द का एक और छोटा रूप चलता है जिसे ‘फडनीस’ और ‘फडणीस’ दोनों रूपों में लिखा जाता है (देखें चित्र)। इससे निष्कर्ष यह निकलता है कि मराठी में न और ण दोनों का प्रचलन है या कम-से-कम पहले तो था।
न और ण का यह घालमेल क्यों हुआ? एक कारण वह हो सकता है जिसका सूत्र मुझे बांग्ला में मिलता है। बांग्ला में ‘न’ और ‘ण’ के लिए दो वर्ण हैं – ন और ণ लेकिन दोनों का उच्चारण एक जैसा होता है। रावण के लिए लिखेंगे রাবণ लेकिन उच्चारण उसका राबोन जैसा ही सुनाई देगा।
हो सकता है, मराठी में भी ‘न’ और ‘ण’ का उच्चारण बांग्ला की ही तरह बहुत-कुछ मिलता-जुलता हो और इस कारण कुछ इलाक़ों के लोग ‘ण’ लिखते हों और कुछ और इलाक़ों के ‘न’। वैसे देवेंद्र फड़नवीस ने जब शपथ ली तो वे भी फड’ण’वीस नहीं, फड’न’वीस जैसा ही कुछ बोल रहे थे। सुनिए – उनकी शपथ का हिस्सा जहाँ वे अपना नाम ले रहे हैं।
इसलिए मेरा मत है कि देवेंद्र फड़नवीस द्वारा शपथ में बोले गए अपने सरनेम के आधार पर भी यदि हम हिंदी में लिप्यंतरण करेंगे तो वह फड+नवीस ही होगा, फड+णवीस नहीं। फड+णवीस हम हिंदीवाले बोल भी नहीं सकते। बहुत मुश्किल होगी। हिंदी में ऐसा कोई शब्दांश (सिल्अबल) नहीं है जिसके अंत में स्वतंत्र रूप से ड हो। अगर होगा तो वह ड़ में बदल जाएगा। जैसे संस्कृत के वट का हिंदी में बड़ हुआ, बड नहीं। क्या इसी कारण मराठी का फड हिंदी में फड़ हो गया? संभव है।
अब आते हैं नतीजे पर। ऊपर की चर्चा से आप जान ही गए होंगे कि फड़ और नवीस अलग-अलग शब्द हैं और उनका मतलब है खाता और लेखक। इसलिए सही उच्चारण है – फड़+नवीस न कि फड़न+वीस। 69% वोटरों ने इसी विकल्प पर वोट दिया था, यह बताता है कि इस शब्द को लेकर भ्रम है लेकिन वह इतना ज़्यादा भी नहीं।
इस मामले में रिसर्च करते हुए मुझे कुछ और रोचक जानकारियाँ मिलीं। जैसे इसी फड़नवीस से मिलता-जुलता एक और शब्द है चिटनवीस (चिट+नवीस) जिसका अर्थ है चिट यानी (सरकारी) चिट्ठियाँ लिखने वाला। इन दोनों ही शब्दों के छोटे रूप भी प्रचलित हैं। फडनीस/फडणीस शब्द तो आपने ऊपर पढ़ा ही, चिटनवीस का छोटा रूप है चिटनीस। चिटनीस के भी दो रूप हैं – हिंदी में चिटनीस या चिटनिस और मराठी में चिटणीस।
अंग्रेज़ी में जो chit शब्द है, वह भी चिट्ठी से ही बना है।