‘आकलन’ सही है या ‘आँकलन’? इसका जवाब बहुत आसान होना चाहिए क्योंकि इसका अर्थ है ‘किसी चीज़ या परिस्थिति का अंदाज़ा लगाना’। यही अर्थ ‘आँकना’ का भी है जिसमें शुरू में आँ है। तो इस हिसाब से सही शब्द ‘आँकलन’ ही होना चाहिए क्योंकि ‘आँकलन’ से ही ‘आँकना’ बना होगा। लेकिन शब्दकोश तो ‘आकलन’ को सही बताते हैं। क्यों, यह जानने में रुचि हो तो आगे पढ़ें।
इस लेख के साथ लगा चित्र देखकर आप समझ ही गए होंगे कि हिंदी में ‘आकलन’ और ‘आँकलन’ दोनों चलते हैं। कौनसा अधिक चलता है, इसकी पड़ताल करने के लिए जब हिंदी भाषा’ और साहित्य में रुचि रखने वाले लोगों के बीच फ़ेसबुक पोल किया गया तो 61% लोगों ने ‘आकलन’ के पक्ष में वोट किया। लेकिन ‘आँकलन’ को सही बताने वाले भी कम नहीं थे। क़रीब 31%। शेष वे लोग थे जो दोनों शब्दों को सही मानते थे। इस आधार पर कहा जा सकता है कि क़रीब 40% लोगों के अनुसार ‘आँकलन’ सही शब्द है।
जिन 61% ने ‘आकलन’ को सही बताया, उनका मामला तो समझ में आता है – क्योंकि शब्दकोश में वही है (देखें चित्र)।
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लेकिन जिन 39% लोगों ने ‘आँकलन’ को सही बताया, उन्होंने ऐसा क्यों किया। आइए, समझते हैं।
आकलन और आँकलन के बीच ‘आँकलन’ को सही समझने का कारण है उसी से मिलता-जुलता एक और शब्द जो ‘आँ‘ से शुरू होता है।
यह शब्द है ‘आँकना’ जिसका मतलब है ‘अंदाज़ा लगाना’। वही अर्थ जो उस शब्द का भी अर्थ है जिसपर हम चर्चा कर रहे हैं। उस हिसाब से सही स्पेलिंग ‘आँकलन’ ही होनी चाहिए, न कि ‘आकलन’।
लेकिन सही है ‘आकलन’। केवल इसलिए नहीं कि हिंदी के शब्दकोश उसे सही बताते हैं। बल्कि इसलिए कि ‘आकलन’ और ‘आँकना’ का भले ही मिलता-जुलता अर्थ हो लेकिन वे संस्कृत के दो अलग-अलग शब्दों से बने हैं।
शब्दसागर के अनुसार ‘आँकना’ बना है संस्कृत के ‘अंकन’ से हालाँकि ‘अंकनम्’ का संस्कृत में जो अर्थ है (चिह्न, प्रतीक, चिह्नित करने की क्रिया), उसका अनुमान वाले अर्थ से कोई सीधा रिश्ता नहीं दिखता (देखें चित्र)।
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उधर ‘आकलन’ तत्सम शब्द है यानी यह बना है संस्कृत के इसी शब्द से जहाँ उसका अर्थ है गिनना, हिसाब लगाना, पूछताछ, समझ-बूझ। इन अर्थों को आप अनुमान वाले अर्थ को जोड़ सकते हैं क्योंकि जब हम कोई अनुमान लगाते हैं तो अपनी समझ-बूझ के आधार पर ही कोई जोड़-घटाव करते हैं कि क्या हो सकता है, क्या नहीं हो सकता।
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कहने का अर्थ यह कि संस्कृत के ‘अंकन’ में हमें वह अर्थ नहीं मिलता तो जो हिंदी के ‘आँकना’ में है लेकिन ‘आकलन’ का अनुमान वाला अर्थ संस्कृत के मूल शब्दार्थ से काफ़ी-कुछ मैच करता है।
भले ही ये दो शब्द संस्कृत के अलग-अलग शब्दों से बने हों परंतु आज की तारीख़ में ‘आँकना’ और ‘आकलन’ का हिंदी में एक जैसा अर्थ है – अनुमान लगाना। दुश्मन की ताक़त ‘आँकना’ और दुश्मन की ताक़त का ‘आकलन’ करना – मोटामोटी एक जैसा अर्थ देते हैं। लेकिन दोनों के बीच एक महीन मगर महत्वपूर्ण अंतर यह नज़र आता है कि ‘आकलन’ में थोड़ी ज़्यादा गहराई दिखती है। इसीलिए राजपाल ने अपने कोश में जहाँ ‘आँकना’ के लिए लिखा है – अनुमान करना, वहीं ‘आकलन’ की एंट्री में लिखा है – ठीक-ठीक अनुमान लगाना (देखें चित्र)।
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तो फिर आज की चर्चा का निष्कर्ष यही कि अर्थ के मामले में ‘आँकना’ का समानार्थी होने और लगने के बावजूद ‘आकलन’ का उससे कोई जन्मगत रिश्ता नहीं है। इसलिए ‘आँकलन’ लिखना ग़लत है। ‘आकलन’ ही सही है क्योंकि यह बना है संस्कृत के ‘आकलनम्’ से।
आकलन और आँकलन की तरह दुनिया और दुनियाँ के बीच भी भ्रम की स्थिति है। इस शब्द पर भी अतीत में चर्चा हो चुकी है। रुचि हो तो यहाँ क्लिक/टैप करके पढ़ें।