पुरानी फ़िल्म ‘नसीब अपना-अपना’ आपने देखी होगी। इसमें ऋषि कपूर ने एक ऐसे बेटे का रोल निभाया है जिसकी अपने पिता अमरीश पुरी के सामने बोलती बंद हो जाती है। शब्दों में भी ऐसा ही होता है। जैसा कि पिछली क्लास में हमने जाना, दो से ज़्यादा सिल्ॲबॅल वाले शब्दों में कोई एक सिल्ॲबॅल होता है जिसपर ज़्यादा ज़ोर यानी स्ट्रेस दिया जाता है। इसे अमरीश पुरी समझें। इस अमरीश पुरी के सामने उसके दाएँ या बाएँ वाले सिल्ॲबॅल ऋषि कपूर बन जाते हैं और अपनी वास्तविक बोली भूलकर मिमियाने लगते हैं। अब मिमियाने का असर क्या होता है, यह हम नीचे कुछ उदाहरणों से समझेंगे।
एक शब्द लीजिए Management। हम हिंदुस्तानी इसे मैनेजमेंट बोलते हैं जो कि सुनने में सही भी लगता है। यदि इसे सिल्ॲबॅल में तोड़ें तब भी यही उच्चारण सामने आता दिखता है। Man से मैन (CaC=ऐ), Age से एज (CaCe/aCe=लंबा ए) और Ment से मेंट (CeC=छोटा ए)। मिलाकर हो गया मैनेजमेंट। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, इंग्लिश को सही तरीक़े से बोलना है तो इसे सही तरीक़े से मत बोलो।
ऐसा क्यों कहा जाता है? इसलिए कि Man, Age और Ment भले ही अलग-अलग मैन, एज और मेंट होते हों लेकिन जब वे एक कॉमन शब्द का हिस्सा बनते हैं तो उनमें से कुछ का उच्चारण बदल जाता है।
उच्चारण किसका बदलेगा? उसका नहीं जिसपर स्ट्रेस पड़ना है। बदलेगा उसका/उनका जिस/जिनपर स्ट्रेस नहीं पड़ना है। अब Man.age.ment में Man पर स्ट्रेस पड़ता है (क्यों Man पर स्ट्रेस पडता है, इसके नियम हम आगे की क्लासों में जानेंगे) यानी वह है अमरीश पुरी। तो वह तो बना रहेगा मैन (CaC=ऐ। बाक़ी Age और Ment हो गए ऋषि कपूर यानी उनका उच्चारण हो गया कमज़ोर।
जब किसी सिल्ॲबॅल का उच्चारण कमज़ोर होता है तो वह (छोटा) ॲ, इ या उ हो जाता है। सो Age तो हो गया इज और Ment हो गया मॅन्ट। शब्द बना मैन+इज+मॅन्ट यानी मैनिजमॅन्ट।
इसी तरह एक और शब्द लीजिए Market। इसे सिल्ॲबॅल में तोड़ें तो बनता है Mar (माऽ) और Ket (केट)। देखने से लगता है उच्चारण माऽकेट होगा। लेकिन फिर वही रौबदार अमरीश पुरी और मिमयाते ऋषि कपूर का चक्कर। यहाँ भी Mar पर स्ट्रेस है तो वह तो रहेगा माऽ लेकिन Ket हो जाएगा केट से किट। शब्द का उच्चारण होगा माऽकिट।
ऊपर के दोनों उदाहरणों से आपने जान लिया होगा कि अंग्रेज़ी में हलका और भारी का क्रम चलता है। जिस सिल्ॲबॅल पर स्ट्रेस है, वह भारी होता है और उसके आजू-बाजू वाले सिल्ॲबॅल हल्के होते हैं। इसी को मैं हलका-भारी का सिद्धांत कहता हूँ।
यानी यदि आपको पता चल गया कि किसी शब्द में कौनसे सिल्ॲबॅल पर स्ट्रेस है तो आप उसका भारी उच्चारण कीजिए जैसा कि CVC और CVCe के नियमों के आधार पर उसका होना चाहिए और बाक़ी के सिल्ॲबॅल का हलका उच्चारण कीजिए। हल्का यानी (छोटा) ॲ, इ या उ और भारी यानी (बड़ा) अ, ॲऽ, आ, आऽ, ऑ, आऽ, ई, ए, एऽ, एॲ, ऐ, ऊ, ओ, आइ, आउ और ऑइ।
हलका-भारी के सिद्धांत के आधार पर आप कैसे पता कर सकते हैं कि A का उच्चारण कहाँ ‘अ’ होगा और कहाँ ‘ऐ’, यह हम अगली क्लास में जानेंगे। साथ ही जानेंगे (बड़े) ‘अ’ और (छोटे) ‘ॲ’ में क्या अंतर है।
इस क्लास का सबक़
एक से ज़्यादा सिल्ॲबॅल (स्वर या स्वर समूह) वाले शब्दों में कोई एक सिल्ॲबॅल होता है जिसपर स्ट्रेस होता है। इस सिल्ॲबॅल का उच्चारण वैसा ही होता है जैसा CVC और CVCe के नियमों के आधार पर उसकी स्पेलिंग देखकर लगता है। लेकिन बाक़ी के सिल्ॲबॅल का उच्चारण कमज़ोर होकर बदल जाता है। जैसे Man.age.ment में पहले सिल्ॲबॅल Man पर ज़ोर है तो उसे तो CVC के नियमानुसार बोला जाएगा ‘मैन’ मगर बाक़ी के दो सिल्ॲबॅल Age और Ment का उच्चारण ‘एज’ और ‘मेंट’ न होकर इज और मॅन्ट हो जाएगा। आम तौर पर स्ट्रेस वाले सिसिल्ॲबॅल का उच्चारण भारी होता है और बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल का उच्चारण हलका होता है। ॲ, इ और उ हल्के उच्चारण हैं और अ, ॲऽ, आ, आऽ, ऑ, ऑऽ, ई, ए, एऽ, ऐ, ऊ, ओ भारी उच्चारण हैं। अंग्रेज़ी में आइ, आउ और ऑइ (उच्चारण ऑय जैसा) द्विस्वर माने जाते हैं और वे भी भारी की श्रेणी में आते हैं।
अभ्यास
मैं आपको दस शब्द दे रहा हूँ। इन सबको सिल्ॲबॅल में बाँट दिया है और जिस शब्द पर स्ट्रेस है, उसे बोल्ड कर दिया है। एक शब्द में सेकंडरी स्ट्रेस है, उसे भी अंडरलाइन कर दिया है। अब आप ऊपर बताए गए नियम के अनुसार बा़क़ी सिल्ॲबॅल के उच्चारण का अंदाज़ा लगाएँ और उनको किसी भी डिक्श्नरी से मिलाएँ। Knowl.edge, Mat.ter, O.pen, Cric.ket, Par.ent, Va.cate, Dup.li.cate, Beau.ti.ful, Cen.tu.ry, Break.fast.
![](https://aalimsirkiclass.com/wp-content/uploads/2021/05/ASEC-Promotion-1024x506.png)