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EC46: A, E, I, O और U का उच्चारण कब होता है ॲ?

पिछली क्लास में हमने जाना कि Man.age.ment का उच्चारण मैनेजमेंट नहीं, मैनिजमॅन्ट होता है। यानी जिस Ment का Men.tal में मेंट उच्चारण होता है, उसी का उच्चारण Man.age.ment में मॅन्ट हो गया। और यह इसलिए कि Men.tal में वह उस सिल्ॲबॅल (शब्दांश) का हिस्सा है जिसपर स्ट्रेस है और Man.age.ment में वह उस सिल्ॲबॅल का हिस्सा है जिसपर स्ट्रेस नहीं है। यानी किसी सिल्ॲबॅल में मौजूद व़ावल का उच्चारण इस बात पर निर्भर करता है कि वह स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल का हिस्सा है या नहीं।

यदि कोई स्वर स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल का हिस्सा है तो उसका उच्चारण CVC और CVCe के नियमों के अनुसार या फिर अपनी प्रकृति के अनुसार भारी यानी अ, आ, ऑ, ई, ऊ, ए, एऽ, एॲ, ऐ, ओ, अं, आइ और आउ में से कोई होगा और यदि बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल का हिस्सा है तो उसका उच्चारण ॲ (छोटा अ), इ और उ (तथा कुछ मामलों में छोटा ए भी) होगा। आज हम इस छोटे अ यानी ॲ की बात करेंगे और जानेंगे कि कैसे यह किसी शब्द का उच्चारण बदल देता है।

ऊपर हमने E की बात की जिसका उच्चारण ए के बजाय ॲ हो गया। बाक़ी व़ावल का भी यही हाल होता है जब वे बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल का हिस्सा होते हैं। नीचे उदाहरण देखें :

शब्दअर्थउच्चारणव़ावल का उच्चारण
A.goपहलेॲगोA का उच्चारण ॲ
O.penखुलाओपॅनE का उच्चारण ॲ
De.vilशैतानडेवॅलI का उच्चारण ॲ
At.omपरमाणुऐटॅमO का उच्चारण ॲ
Sup.plyआपूर्तिसॅप्लाइU का उच्चारण ॲ

निष्कर्ष यह कि इंग्लिश में A, E, I, O, U — इन पाँचों व़ावल का उच्चारण ॲ हो सकता है। ऐसा क्यों होता है, यह मैंने ऊपर बता ही दिया है। लेकिन आपने देखा होगा कि ऊपर भारी उच्चारण की लिस्ट में भी एक ‘अ’ है और यह स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल में आता है। देखें, यह कब होता है और दोनों में क्या फ़र्क़ है।

हिंदी में जहाँ एक ही ‘अ’ होता है, वहीं इंग्लिश में दो ‘अ’ होते हैं। दोनों के उच्चारण में ख़ास फ़र्क़ नहीं है और सुनने पर पता भी नहीं चलेगा हालाँकि दोनों जिस जगह से बोले जाते हैं, वे अलग-अलग हैं। एक मुँह के बीच वाले हिस्से से बोला जाता है और दूसरा पीछे वाले हिस्से से। एक को मध्य स्वर कहते हैं, दूसरे को पश्च स्वर। डिक्श्नरी में दोनों के लिए अलग-अलग चिह्न इस्तेमाल किए जाते हैं। एक के लिए ʌ (उलटे v जैसा चिह्न), दूसरे के लिए ǝ (उलटे e जैसा चिह्न जिसे श्वा साउंड कहते हैं)। उदाहरण के लिए Ov.en (अवन)  शब्द लें जिसमें O का उच्चारण ‘अ’ है और E का ‘ॲ’। डिक्श्नरी में इसे फ़नेटिकली यूँ लिखा जाएगा –  ʌv.ǝn। 

Ov.en (अवॅन) के मामले  में O वाला अ (ʌ) हिंदी वाला अ है और यह अधिकतर O और U वाले शब्दों में आता है जैसे Run (रन), Come (कम), Must (मस्ट), Son (सन) आदि। लेकिन यह जो en में बोला जानेवाला ॲ (ǝ) है, वह इंग्लिश की ताश की गड्डी का जोकर है। जैसे जोकर ताश के किसी भी पत्ते की जगह फ़िट हो सकता है, वैसे ही यह भी किसी भी शब्द के उच्चारण को बदलकर ख़ुद बैठ जाता  है। ऊपर जो मैंने कहा कि सभी व़ावल का उच्चारण ॲ हो सकता है, वह इसी के ॲ (ǝ) के कारण है और यह बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल में बोला जाता है।

स्ट्रेस और सिल्ॲबॅल पर हम पिछली दो क्लासों में पढ़ चुके हैं लेकिन आपका रिविश्ज़न हो जाए, इसलिए मैं ऊपर के पाँचों शब्दों में इस ॲ की भूमिका को फिर से समझाता हूँ।

पहले Ox.ford को लें। इसका सामान्य उच्चारण क्या हो सकता है? ऑक्स.फ़ोर्ड। Ox से ऑक्स और Ford से फ़ॉर्ड। लोग बोलते भी यही हैं और उन्हें इसमें कुछ भी ग़लत नहीं लगता। लेकिन इसका सही उच्चारण है ऑक्सफ़ॅड (ब्रिटिश) या आक्सफ़ॅर्डus । और वह इसलिए कि Ox का O तो स्ट्रेस वाले सिल्‌अबल का हिस्सा है सो उसका उच्चारण हो गया ‘ऑ’ मगर Ford वाला O बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल का हिस्सा है, इसीलिए उसका उच्चारण कमज़ोर होकर हो गया ‘ॲ’। शब्द बना ऑक्सफ़ॅड और आक्सफ़ॅर्डus

यही बात O.pen में है। O का उच्चारण तो ‘ओ’ रहा है क्योंकि वह स्ट्रेस वाले हिस्से में है लेकिन Pen में E का उच्चारण ‘ए’ के बजाय ‘ॲ’ हो रहा है चूँकि वह बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल का हिस्सा है। पूरे शब्द का उच्चारण हुआ – ओपन। । De.vil में भी Vil का उच्चारण बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल का हिस्सा होने के कारण विल न होकर वॅल हो रहा है। At.om और Sup.ply में O और U बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल के हिस्से हैं और इनका उच्चारण भी हो रहा है ‘ॲ’।

मैंने यहाँ और पूरी साइट पर उन हिस्सों को गहरे काले रंग में दिखाया है जिसपर स्ट्रेस है। जब किसी शब्द में कोई काला हिस्सा देखें तो समझ जाएँ कि उस हिस्से का या तो वही उच्चारण होगा जो CVC और CVCe के हिसाब से होता है (पढ़ें क्लासें – EC3EC9) या उस हिस्से के स्वतंत्र शब्द होने पर होता लेकिन बाक़ी का हलका या कमज़ोर हो जाएगा — कई मामलों में वह ॲ हो जाएगा। बाक़ी मामलों में यह इ या उ होगा और कभी-कभी ए रहेगा।। 

कुछ स्वरों या व़ावल को हल्का बोलने की यह प्रवृत्ति केवल इंग्लिश में पाई जाती है, ऐसा नहीं है। हिंदी और उर्दू में कम ही सही मगर ऐसे शब्द हैं जिनमें समय के साथ कुछ हिस्से घिस गए हैं। जैसे वापिस को लें। वा तो वा रहा, पिस पस हो गया। बहिन में ब भी ब रहा लेकिन हिन हन हो गया। यमुना का य ज में बदल गया और उ हट गया। बन गया नया शब्द जमना। उर्दू में शाहज़ादा का शाह शह हो गया और बन गया शहज़ादा।

आप जानना चाहते हैं कि इसका कारण क्या है। दरअसल हम जब बात करते हैं तो कम-से-कम समय में बात ख़त्म करना चाहते हैं। इसीलिए शब्दों के कुछ हिस्सों के स्वर या व़ावल को हलका या मिनिमम कर दिया जाता है। यही नहीं, वाक्य बोलते समय भी कई शब्द हलके बोले जाते हैं या पूरी तरह ग़ायब कर दिए जाते हैं। It is का It’s और cannot का can’t में परिवर्तन तो आप जानते ही होंगे लेकिन ‘want to’ या ‘want a’ का wanna भी इसी आदत के चलते हुआ है।

तो आपने देखा कि स्ट्रेस और सिल्ॲबॅल के बारे में जानने से क्या फ़ायदा है। फ़ायदा यह है कि यदि आपको मालूम है कि फ़लाँ शब्द में स्ट्रेस किसी सिल्ॲबॅल पर है तो आप उसके और बिना स्ट्रेस वाले सिल्ॲबॅल के उच्चारण का अंदाज़ा लगा सकते हैं। नीचे मैंने अभ्यास के तौर पर कुछ शब्द दिए हैं जिनमें स्ट्रेस वाला हिस्सा बोल्ड कर दिया है। अब आप आसानी से शब्द के उच्चारण का अंदाज़ा लगा सकते हैं बिना मेरे बताए या शब्दकोश देखे।

हाँ, हाँ, मैं जानता हूँ कि आप पूछना चाहते हैं कि यह सही है कि स्ट्रेस वाला सिल्ॲबॅल मालूम होने पर हम पूरे शब्द के उच्चारण का पता लगा लेंगे लेकिन सर, स्ट्रेस शब्द के किस हिस्से पर होगा, यह कैसे मालूम होगा? यानी बिल्ली के गले में घंटी बँध जाए तो चूहों को उसके आने का पता चल जाएगा। लेकिन बिल्ली के गले में घंटी बँधेगी कैसे?

सही सवाल है। उसका जवाब भी मैंने आगे की क्लासों में दिया है लेकिन उससे पहले एक ज़रूरी क्लास हलका-भारी के सिद्धांत पर। उसके बाद बताऊँगा कि स्ट्रेस का पता लगाने के क्या-क्या नियम हैं।

इस क्लास का सबक़

इंग्लिश शब्दों को टुकड़ों में बाँटकर उनका उच्चारण किया जाता है। इन हिस्सों को सिल्ॲबॅल कहते हैं। हर सिल्ॲबॅल में कम-से-कम एक व़ावल का होना ज़रूरी है। शब्द में मौज़ूद किसी एक सिल्‌अबल पर ज़्यादा स्ट्रेस यानी ज़ोर दिया जाता है जबकि बाक़ी हिस्सों का कमज़ोर उच्चारण किया जाता है। कमज़ोर उच्चारण के कारण ही A, E, I, O और U या इनके कॉम्बिनेशंस का ॲ, इ, उ और कभी-कभी छोटे ए का उच्चारण होता है। यह कमज़ोर ‘ॲ’ स्ट्रेस वाले ‘अ’ से थोड़ा अलग होता है और उसको उच्चारण शास्त्र में श्वा साउंड कहा जाता है। डिक्श्नरी में इसका चिह्न है (ǝ) जबकि नॉर्मल अ का चिह्न है (ʌ)। नॉर्मल ‘अ’ U और O वाले शब्दों में होता है — जैसे Run (रन), Come (कम) आदि।

अभ्यास

नीचे दिए गए दस शब्दों के उच्चारण का आइडिया लगाइए। मैंने आपकी सहूलियत के लिए शब्द के स्ट्रेस वाले हिस्से को बोल्ड कर दिया है। कमज़ोर हिस्सों का उच्चारण ॲ या इ हो सकता है। बाद में किसी डिक्श्नरी से मिलाएँ कि आपने कितना सही अंदाज़ा लगाया।

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चलते-चलते

शब्द किस तरह घिसते हैं, इसका एक अच्छा उदाहरण है Cup.board जिसका मतलब है अलमारी। आपको लगेगा कि इसका उच्चारण कप.बोर्ड होता होगा। लेकिन है कबड। कारण वही — स्ट्रेस Cup पर है तो बिना स्ट्रेस वाला Board  बॉऽड और बॉर्डus की जगह बड और बर्डus हो गया।

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