बेवक़ूफ़ के दो उच्चारण हैं – बेऽवक़ूफ़ और बेव्क़ूफ़। इनमें से कौनसा उच्चारण ज़्यादा लोकप्रिय है, यह जानने के लिए जब एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो 90% ने कहा कि वे बेऽवक़ूफ़ बोलते हैं हालाँकि एक वॉइस सर्वेक्षण से पता चला कि बेऽवक़ूफ़ बोलने वाले बहुत ही कम हैं – सिर्फ़ 20%। आख़िर फ़ेसबुक पोल और वॉइस सर्वे में इतना अंतर क्यों, जानने के लिए आगे पढ़ें।
जब मैंने बेवक़ूफ़ के उच्चारण पर फ़ेसबुक पोल किया तो उसके नतीजे ने मुझे बहुत उलझन में भी डाल दिया। उलझन इसलिए कि मैंने जैसा परिणाम सोचा था, वह उसके बिल्कुल विपरीत था।
सवाल था कि बेवक़ूफ़ का सही उच्चारण क्या है – बेऽवक़ूफ़ या बेव्क़ूफ़। इन दोनों उच्चारणों में अंतर यह है कि अगर आप बोलते समय ‘व’ पर ज़ोर देंगे तो बेऽवक़ूफ़ का उच्चारण निकलेगा और ‘व’ पर ज़ोर नहीं देंगे तो बेव्क़ूफ़ का उच्चारण निकलेगा। क़रीब 90% लोगों ने सही विकल्प यानी बेऽवक़ूफ़ पर वोट किया जबकि 10% ने बेव्क़ूफ़ के पक्ष में राय दी। मेरी समझ से नतीजा इसका उलटा आना चाहिए था क्योंकि मेरा अनुमान था कि 90% लोग बेऽवक़ूफ़ नहीं, बेव्क़ूफ़ बोलते हैं।
मेरे अनुमान में और पोल के नतीजे में ज़मीन-आसमान का अंतर क्यों है, इसके बारे में सोचते-विचारते मुझे एक उपाय सूझा। मैंने वॉट्सऐप पर क़रीब 20 साथियों को एक संदेश भेजा – आप बेवक़ूफ़ और बेवक़ूफ़ी शब्द बोलकर तुरंत अपना वॉइस मेसिज भेजिए। 20 में से 11 लोगों ने तुरंत जवाबी वॉइस मेसिज भेजे। मैंने सबके उच्चारण सुनें। लेकिन यहाँ भी वही नतीजा था। 11 में से 10 लोगों ने सही उच्चारण किया था – बेऽवक़ूफ़ और बेऽवक़ूफ़ी।
तो क्या मैं ही ग़लत था? क्या वाक़ई अधिकतर लोग बेवक़ूफ़ और बेवक़ूफी का सही उच्चारण करते हैं और मैं ही उलटा सोच रहा था? मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था हालाँकि ये सारे उच्चारण मैंने अपने कानों से सुने थे।
मैंने उन सभी साथियों को फिर से संदेश भेजा – अब आप वाक्य में इन शब्दों का इस्तेमाल करके भेजिए। एक-एक कर सबके संदेश आने लगे और उनको सुनकर मेरे होठों पर मुस्कान तैरने लगी। समझ में आने लगा कि माजरा क्या है।
शब्द और वाक्य में अलग-अलग उच्चारण
मामला यह है कि जब हम स्वतंत्र रूप से बेवक़ूफ़ या बेवक़ूफ़ी बोलते हैं तो ठीक बोलते हैं क्योंकि हम सचेत होते हैं (इसी कारण पोल का सकारात्मक परिणाम आया) लेकिन जब वाक्य में उनका प्रयोग करते हैं तो मुँह से बेव्क़ूफ़ और बेव्क़ूफ़ी ही निकलता है। 11 में से 9 साथियों के संदेशों में मैंने यही पाया। यानी मेरा अनुमान सही था – बहुत बड़ी तादाद में लोग बेवक़ूफ़ का उच्चारण बेव्कूफ़ की तरह करते हैं।
अब सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है। आख़िर क्यों बेवक़ूफ़ बोलते समय हमारे मुँह से बेऽवक़ूफ़ के बजाय बेव्क़ूफ़ निकलता है लेकिन उसी ढर्रे से बने दूसरे शब्द जैसे बेलगाम, बेज़बान या बेक़रार बोलते समय बेल्गाम, बेज़्बान या बेक्रार नहीं निकलता जबकि बेवक़ूफ़ में भी नकारसूचक ‘बे’ प्रत्यय है और बेलगाम, बेज़बान और बेक़रार में भी।
मेरी समझ से इसका कारण यह कि अधिकतर लोगों को बेवक़ूफ़ का मतलब तो पता है लेकिन वक़ूफ़ का अर्थ नहीं मालूम। इसलिए वक़ूफ़ हमारे ज़ेहन में किसी अलग शब्द के तौर पर उस तरह दर्ज़ नहीं है जिस तरह लगाम, ज़बान और क़रार दर्ज़ हैं। इसी वजह से वाक्य में बोलते समय हम ‘वक़ूफ़’ को उस तरह ‘बे’ से अलग नहीं कर पाते जिस तरह ‘लगाम’, ‘ज़बान’ और ‘क़रार’ को कर पाते है।
ध्यान दीजिए, बेऽवक़ूफ़ को आप वाक्य में इस्तेमाल करते हुए बेध्यानी में बेव्क़ूफ़ बोल जाते हैं लेकिन नाऽसमझ को नास्मझ नहीं बोलेंगे क्योंकि आप जानते हैं कि ‘समझ’ एक अलग शब्द है जिसके आगे ‘ना’ प्रत्यय लगा है। हाँ, अगर अर्थ न पता हो तो लोग बेऽनज़ीर को भी बेन्ज़ीर बोल सकते हैं, कुछ लोग बोलते भी हैं।
बेवक़ूफ़ में मौजूद वक़ूफ़ का अर्थ
अरे हाँ, मैंने वक़ूफ़ का अर्थ तो अब तक बताया ही नहीं। वक़ूफ़ का अर्थ है जानकारी, ज्ञान, परिचय और इसी कारण बेवक़ूफ़ का अर्थ हुआ जिसे ज्ञान या जानकारी न हो। वैसे मद्दाह के शब्दकोश के अनुसार मूल शब्द है वुक़ूफ़ जिससे बना है बेवुक़ूफ़ (देखें चित्र)। यही बेवुक़ूफ़ घिसकर बेवक़ूफ़ बन गया।


वुक़ूफ़ या उसका परिवर्तित रूप वक़ूफ़ हिंदी में बिल्कुल नहीं चलते लेकिन इससे मिलते-जुलते एक शब्द से आप ज़रूर ‘वाक़िफ़’ होंगे। जी हाँ, मैं वाक़िफ़ शब्द की बात कर रहा हँ जिसका अर्थ है वह जिसे जानकारी हो।