कुछ लोग शौक़िया जादूगर होते हैं जैसे मेरे मित्र प्रदीप जायसवाल और अनुराग अन्वेषी हैं। कुछ पेशेवर जादूगर होते हैं जैसे पी. सी. सरकार और ओ. पी. शर्मा। और कुछ धूर्त जादूगर होते हैं जैसे सत्य साईं बाबा और उनके जैसे ढेरों अन्य। पहले के ज़माने में पता नहीं चल पाता था इन धूर्त बाबाओं की बेईमानियों का। लेकिन आज विडियो और स्लोमोशन के ज़माने में साफ़ पता चल जाता है कि बाबा कैसे पब्लिक को उल्लू बना रहा है।
मेरा दोस्त प्रदीप महफ़िलों की जान है। अगर वह हो तो कोई बोर हो ही नहीं सकता, क्योंकि वह कुछ छोटे-मोटे जादू दिखाना शुरू कर देता है। रूमाल के अंदर से सिक्का ग़ायब कर देना, फिर उसे हवा से निकालना, रस्सी को काटना, फिर उसमें गाँठ लगाना और गाँठ का गायब हो जाना।
मेरा पूर्व सहकर्मी अनुराग अन्वेषी तो और भी अच्छा जादूगर है। वह कई पब्लिक शो कर चुका है, टीवी पर भी। लड़की को हवा में लेटा देना, उसे बीच से काट देना – यह सब उसके लिए बाएँ हाथ का खेल है। दफ़्तर में भी कभी-कभार छोटे-मोटे शो करता रहता है।
ये दोनों हमारी-आपकी तरह के इंसान हैं। नौकरी या बिज़नेस करते हैं। घर है, गाड़ी है, परिवार है, बच्चे हैं, क्योंकि जादू उनका पेशा नहीं, शौक़ है। अगर इन्होंने इसे अपना पेशा बनाया होता तो वे बहुत आगे जा सकते थे। बहुत आगे का मतलब – या तो जादूगर ओ. पी. शर्मा की तरह देश-विदेश में हज़ारों शो करके लाखों कमाते… या फिर पुट्टिपर्थी के सत्य साईं की तरह बाबा बनकर आश्रम बनाते, अरबों में खेलते।
जादूगर ओ.पी.शर्मा अक्सर अपने शो में वह सब करके दिखाते थे जो सत्य साईँ बाबा करते थे, बल्कि वह तो 6 फ़ुट तक उड़कर भी दिखाते थे, हवा में हाथ घुमाकर नोटों की वर्षा भी करते थे, ख़रगोश को कुत्ते में बदलते थे और भी न जाने क्या-क्या! लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि वह कोई चमत्कार दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विज्ञान और हाथ की कलाकारी है।
उनका यह विडियो देखें जिसमें वह यही बात कह रहे हैं।
ओ. पी. शर्मा ईमानदार थे और यही उनकी नादानी थी। अगर उन्होंने थोड़ी चालाकी दिखाई होती तो उनका नाम भी उतना ही फ़ेमस होता जितना सत्य साईं का या बागेश्वर धाम वाले बाबा का है, उन्हें लोग जादूगर ओ.पी.शर्मा की जगह सत्यश्री ओमी बाबा या बंगेश्वर धाम के बाबा के नाम से जानते, उनके पास भी अरबों-खरबों की जायदाद होती, उनसे आशीर्वाद लेने के लिए भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पधारते।
इंडिया टीवी ने उस कार्यक्रम में सत्य साईं के कुछ विडियो दिखाए जो इंटरनेट पर भी हैं। इनमें से एक विडियो में साफ दिख रहा है कि सत्य साईं किस तरह भभूत की गोली अपनी उँगली में छुपाते हैं, फिर उसे मसलते हैं और फिर भक्तों में बाँट देते हैं। एक विडियो में यह भी दिखता है कि कैसे उनके मुँह से निकलने वाला शिवलिंग वास्तव में एक बड़े-से तौलिए में छुपा हुआ होता है और जिसे वह अपने मुँह तक ले जाते हैं। एक विडियो यह भी दिखाता है कि कैसे वह सोने की चेन एक ट्रोफ़ी के नीचे से निकालते हैं। आप बाबा की सारी कारस्तानियाँ इस लिंक पर या नीचे दिए गए विडियो पर क्लिक/टैप करके देख सकते हैं।
सत्य साईं के भक्त यह दावा कर सकते हैं कि ये विडियो फ़र्ज़ी हैं, कि उसमें सत्य साईं जैसा जो शख़्स दिख रहा है, वह कोई डुप्लिकेट है, या फिर टेप के साथ छेड़छाड़ की गई है। लेकिन अगर आप निष्पक्ष हैं तो विडियो देखकर ख़ुद फैसला कर सकते हैं कि सत्य साईं बाबा का सत्य क्या है।
ये विडियो देखकर मेरे मन में इस इंसान के प्रति जितना ग़ुस्सा आया, उतना ही ग़ुस्सा इस देश के नेताओं पर आया। छोटे-मोटे मंत्रियों-मुख्यमंत्रियों को तो छोड़िए, इस देश के विद्वान प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक इस जादूगर के झाँसे में आ गए। पी.वी. नरसिंह राव तो इनके चेले ही थे और उनका पुट्टपर्थी आश्रम में लगातार आना-जाना था।
वाजपेयी ने भी इनको महत्व दिया जबकि बताया जाता है कि जब उनको देश भर में गणेश जी के दूध पीने की बात बताई गई थी तो उन्होंने ज़ोरदार ठहाका लगाया था। इसी तरह डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे व्यक्ति जो 2020 तक देश को सुपरपावर के रूप में देखना चाहते हैं और साइंटिफिक विज़न की बात करते थे।
लल्लनटाप के इस विडियो में उन सभी नेताओं के नाम हैं और साईं बाबा की करतूतों का भंडाफोड़ भी।
कोई और देश होता तो सत्य साईं पर इन विडियो के आधार पर मुक़दमा चल गया होता लेकिन हमारे भारतवर्ष में अधिकतर लोग इस विडियो की सच्चाई पर यक़ीन नहीं करेंगे। यक़ीन करें भी कैसे! जिस देश में पढ़े-लिखे लोग गणेश जी के दूध पीने की अफ़वाह सुनकर दूध का बर्तन लेकर मंदिर-मंदिर दौड़ने लगें, वहाँ का बेपढ़ा-लिखा या कमपढ़ा व्यक्ति यह कैसे मान लेगा कि हवा से भभूत और मुँह से सोने का शिवलिंग निकालने वाला यह भगवान हक़ीक़त में एक जादूगर है।
ऐसा नहीं है कि सत्य साईं की असलियत इंडिया टीवी के प्रोग्राम या इंटरनेट के विडियो से सामने आई है। सालों पहले केरल के डॉ. अब्राहम कोवूर ने उनके चमत्कारों को खुलेआम चुनौती दी थी।
1963 में डॉ.कोवूर ने ऐलान किया था कि दुनिया को कोई भी व्यक्ति उनके सामने चमत्कार करके दिखा देगा, उसे 1 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। आज 1 लाख छोटी रक़म लग रही है लेकिन 1963 में यह बहुत बड़ी रक़म थी। लेकिन आज तक कोई यह रक़म क्लेम नहीं कर पाया। उन्होंने चमत्कारों की जो लिस्ट बनाई थी, उममें ये कारनामे शामिल हैं – सील्ड लिफ़ाफ़े में रखे करंसी नोट का नंबर बताना, हवा से चीज़ें निकालना, भविष्यवाणी करना, पानी पर चलना आदि।
डॉ. कोवूर का निधन 1978 में हो गया लेकिन इंडियन रैशनलिस्ट असोसिएशन ने आज भी उनकी चुनौती को जीवित रखा है, और इनाम की रक़म भी बढ़ा दी है। लेकिन दुनिया के किसी भी भगवान में इतना दम नहीं है कि इस चुनौती को स्वीकार करे।
यह लेख 19 अप्रैल 2010 को नवभारत टाइम्स के एकला चलो ब्लॉग सेक्शन में प्रकाशित हुआ था। यह लेख उसका संशोधित रूप है।