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132. हँसती ‘हुई’ लड़कियाँ या हँसती ‘हुईं’ लड़कियाँ?

हँसता ‘हुआ’ लड़का और हँसते ‘हुए’ लड़के। इन दोनों प्रयोगों में आपको क्या अंतर दिख रहा है? यही कि लड़का को लड़के (बहुवचन) करते ही ‘हुआ’ अपने एकारांत और बहुवचन रूप ‘हुए’ में बदल जाता है। अब अगर यही प्रयोग लड़की और लड़कियाँ के मामले में किया जाए तो क्या लिखा जाएगा?  हँसती ‘हुई’ लड़की तो ठीक है। मगर बहुवचन में क्या होगा – हँसती ‘हुई ‘लड़कियाँ या हँसती ‘हुईं’ लड़कियाँ? जानने के लिए आगे पढ़ें।

सामान्य बुद्धि तो यही कहती है कि जिस तरह लड़का का लड़के करते ही ‘हुआ’ का ‘हुए’ (बहुवचन रूप) हो जाता है, उसी तरह लड़की का लड़कियाँ करते ही ‘हुई’ को भी ‘हुईं’ (बहुवचन रूप) में बदल जाना चाहिए। लेकिन जब मैंने यही सवाल फ़ेसबुक पर पूछा तो मेरी उम्मीद के विपरीत 85% के विशाल बहुमत ने हँसती ‘हुई’ लड़कियाँ को सही ठहराया। यानी तीन-चौथाई से भी ज़्यादा लोगों के अनुसार लड़की को लड़कियाँ करने पर भी ‘हुई’ ‘हुईं’ में नहीं बदलेगा। केवल 15% ने हँसती ‘हुईं’ लड़कियाँ को पक्ष में राय दी। विशाल बहुमत की यह राय बहुत अजीब थी… लेकिन सही थी।

क्यों, यह हम नीचे समझते हैं।

‘हुई’ और ‘हुईं’ का यह सवाल बहुत लंबे अरसे से मुझे परेशान कर रहा था। पत्रकारिता जीवन में ऐसे प्रयोग आते थे कि बढ़ी हुई/हुईं क़ीमतों को कम करने के लिए सरकार क़दम उठा रही है। यहाँ बढ़ी ‘हुई’ लिखा जाए या बढ़ी ‘हुईं’? कारण, बहुवचन करते ही सामान्य तौर पर क्रिया का रूप बदल जाता है जैसे – बिजली की दर ‘बढ़ी’ और बिजली-पानी की दरें ‘बढ़ीं’। यानी दर का दरें करते ही ‘बढ़ी’ का ‘बढ़ीं’ हो जाता है (कई लोग इसमें ग़लती करते हैं और बढ़ी ही लिखते हैं)। फिर क़ीमत का क़ीमतें (बहुवचन) करते ही बढ़ी ‘हुई’ का बढ़ी ‘हुईं’ क्यों नहीं होना चाहिए? ख़ासकर तब जब पुल्लिंग शब्दों में ‘हुआ’ का ‘हुए’ होता है – बढ़ा ‘हुआ’ मूल्य, बढ़े ‘हुए’ मूल्यों।

मेरे पास जो व्याकरण की किताब थी, उसमें इसका हल नहीं मिला। आसपास जो सीनियर थे, उनके पास भी इसका जवाब नहीं था। अंत में कुछेक साल पहले एक साहित्यकार-पत्रकार महोदय ने बताया कि सही क्या है और क्यों है।

उनके अनुसार ‘हुई’ जब क्रिया के रूप में इस्तेमाल होगा तो बहुवचन के साथ ही उसका रूप भी बदलेगा। मसलन मुझसे ग़लती ‘हुई’ और मुझसे ग़लतियाँ ‘हुईं’। लेकिन ‘हुई’ जब विशेषण के रूप में प्रयुक्त होगा, तब उसका रूप नहीं बदलेगा। हँसती हुई लड़की/लड़कियाँ में ‘हँसती हुई’ विशेषण के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है और इसीलिए यहाँ उसपर विशेषण के नियम लागू होंगे, क्रिया के नहीं।

विशेषण का नियम क्या है? चलिए, उदाहरणों से समझते हैं। एकवचन में ‘अच्छा’ बहुवचन में ‘अच्छे’ हो जाएगा यानी आकारांत विशेषण बहुवचन में एकारांत हो जाता है जैसे अच्छा लड़का और अच्छे लड़के (इसीलिए हँसता ‘हुआ’ का हँसते ‘हुए’ हो गया)। लेकिन क्या अच्छी बहुवचन में अच्छीं होता है? नहीं होता। अच्छी लड़की और अच्छी लड़कियाँ। यहाँ लड़की का लड़कियाँ करने पर भी अच्छी का अच्छीं नहीं हुआ, अच्छी ही रहा। यानी ईकारांत विशेषण में कोई बदलाव नहीं होता। इसीलिए लड़की को लड़कियाँ करने पर भी हँसती ‘हुई’ ही रहेगा, हँसती ‘हुईं’ नहीं होगा।

मैं इस तर्क से कनविंस हो गया लेकिन मुझे अब तक किसी किताब से इसकी पुष्टि नहीं मिली थी। हाल ही में किसी युवा पत्रकार ने मुझसे फ़ेसबुक मेसिंजर पर पूछा कि नौकरी खो ‘चुकी’ लड़कियाँ होगा या नौकरी खो ‘चुकीं’ लड़कियाँ। मैंने उससे ऊपर बताई गई दलील के आधार पर कहा कि नौकरी खो ‘चुकी’ लड़कियाँ होगा। जवाब तो दे दिया मगर भीतर से धुकधुकी भी हो रही था कि कहीं मैं ग़लत ज्ञान तो नहीं बाँट रहा। तब मैंने कामताप्रसाद गुरु के ‘हिंदी व्याकरण’ को फिर से टटोला और देखा कि उसमें भी इसी प्रयोग को सही बताया गया था हालाँकि कारण के तौर पर कुछ बताया नहीं गया है। देखें साथ का चित्र जिसमें मरी ‘हुई’ मक्खियाँ लिखा हुआ है, मरी ‘हुईं’ मक्खियाँ नहीं। तो जिस तरह मरी ‘हुई’ मक्खियाँ, उसी तरह हँसती ‘हुई’ लड़कियाँ और नौकरी खो ‘चुकी’ लड़कियाँ। इन सबमें ‘हुई’ या ‘चुकी’ विशेषण का हिस्सा है।

मेरे भाषामित्र योगेंद्रनाथ मिश्र हालाँकि इस राय से सहमत नहीं है। उनका मानना है कि हँसती ‘हुईं’ लड़कियाँ या मरी ‘हुईं’ मक्खियाँ या नौकरी खो ‘चुकीं’ लड़कियाँ ही होगा।

चूँकि मिश्र जी व्याकरण के अच्छे जानकार हैं इसलिए मैं उनके मत की उपेक्षा नहीं कर सकता। मगर फ़िलहाल कामताप्रसाद गुरु की राय को पुष्टि मानते हुए मेरा भी यही मत है कि हँसती ‘हुई’ लड़कियाँ ही होगा। एक लाइन में कहूँ तो ‘हुई’ या ‘चुकी’ जैसे स्त्रीलिंग क्रियारूप जब किसी विशेषण का हिस्सा होंगे तो बहुवचन में भी वे ‘हुई और ‘चुकी’ ही रहेंगे, ‘हुईं’ या ‘चुकीं’ नहीं होंगे।

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