सर्दी के दिन आ गए हैं और साथ में ताज़ा मटर भी। लेकिन यह मटर है क्या – पुल्लिंग या स्त्रीलिंग? इसे हरा मटर कहेंगे या हरी मटर? आज की चर्चा इसी पर है। रुचि हो तो पढ़ें।
मटर के लिंग को लेकर हिंदी जगत बँटा हुआ नज़र आता है क्योंकि जब इस विषय में फ़ेसबुक पर एक पोल किया गया तो क़रीब दो-तिहाई यानी 67% ने कहा – मटर स्त्रीलिंग है, शेष 33% ने कहा – मटर पुल्लिंग है।
स्पष्ट है, इस विषय में बहुमत स्त्रीलिंग की तरफ़ झुका हुआ है।
लेकिन शब्दकोशों का झुकाव बिल्कुल विपरीत दिशा में है। वे इस मामले में ज़रा भी विभाजित नहीं है और एक राय से इसे पुल्लिंग बताते हैं (देखें चित्र)।
मैं ख़ुद कोलकाता में पैदा और बड़ा हुआ हूँ और मैं शुरू से मटर को पुल्लिंग ही बोलता-लिखता आया हूँ। लेकिन शायद उत्तर भारत में इसे स्त्रीलिंग बोला जाता है।
मटर की तरह और भी कई शब्द हैं जो किसी इलाक़े में स्त्रीलिंग और किसी इलाक़े में पुल्लिंग बोले जाते हैं। इनमें देशी-विदेशी – सभी भाषाओं से आए हुए शब्द हैं। जैसे दही (दधि) संस्कृत से आया, प्याज़ फ़ारसी से और टिकट (Ticket) अंग्रेज़ी से। शब्दकोश इन तीनों को भी पुल्लिंग बताते हैं (देखें चित्र) लेकिन बड़ी तादाद में लोग इन्हें स्त्रीलिंग बोलते हैं। कहीं आप भी तो उनमें शामिल नहीं हैं?
अगर संस्कृत के हिसाब से चलें तो मटर पुल्लिंग होना चाहिए क्योंकि तत्सम शब्दों में अकारांत शब्द पुल्लिंग होते हैं और आकारांत या इ/ईकारांत शब्द स्त्रीलिंग। राम-सीता, कृष्ण-राधा और शिव-पार्वती के नामों पर ही ग़ौर करें तो एक अनुमान लग जाएगा। मटर भी संस्कृत के मधुर से बना बताया जाता है (देखें चित्र)।
मैं जानता हूँ कि जो लोग मटर को स्त्रीलिंग बताते हैं, वे इस चर्चा के बाद भी उसे स्त्रीलिंग के तौर पर बोलना जारी रखेंगे क्योंकि यह आदत की बात होती है। मेरा मक़सद उनको बदलना भी नहीं है। मेरा काम बस यह है कि जिन शब्दों के बारे में हिंदी जगत में संशय और अनिश्चय है, उनपर शब्दकोशों या व्याकरण के हिसाब से रोशनी डालूँ।