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185. तार पुल्लिंग या स्त्रीलिंग, सितार ‘के’ तार या ‘की’ तारें?

तार पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग? कुछ लोगों को यह सवाल बहुत आसान लग सकता है। लेकिन यह उतना आसान नहीं है क्योंकि फ़ेसबुक पर किए गए एक पोल से पता चला कि सौ में से पचीस लोगों को नहीं मालूम नहीं कि इसका सही लिंग क्या है। क्या आप उन 75 लोगों में हैं जिन्हें मालूम है तार का सही लिंग या उन 25 लोगों में जिनको ग़लत जानकारी है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

जब मैंने फ़ेसबुक पर पूछा कि ‘तार’ पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग तो 75% ने कहा – पुल्लिंग, 25% ने कहा – स्त्रीलिंग। सही है पुल्लिंग क्योंकि शब्दकोश ऐसा ही कहते हैं (देखें चित्र)।

चलिए, पुल्लिंग और स्त्रीलिंग का सवाल तो हल हो गया मगर एक सवाल है जो हल होने का नाम नहीं ले रहा। वह यह कि तार संस्कृत का शब्द है या फ़ारसी का। हिंदी के शब्दकोश देखें तो उनमें इसे संस्कृत का बताया गया है। उर्दू के कोश देखें तो वहाँ इसे फ़ारसी का बताया गया है (देखें नीचे दोनों चित्र)।

आचार्य रामचंद्र वर्मा के सामने भी यह सवाल आया जब उन्होंने उर्दू-हिंदी कोश बनाया कि इस शब्द का स्रोत क्या बताया जाए। सो उन्होंने आसान रास्ता चुना। लिखा – फ़ारसी मिलाएँ संस्कृत तार। यानी यह फ़ारसी में भी है और संस्कृत में भी (देखें चित्र)।

आ. रामचंद्र वर्मा के उर्दू-हिंदी कोश में तार की एंट्री।

यह कोई अजीब बात नहीं है। ऐसे कई शब्द हैं जो फ़ारसी और संस्कृत दोनों में हैं। कुछ हूबहू एक जैसे हैं, कुछ का रूप बदल गया है। जैसे ‘माँ’ फ़ारसी में भी है और संस्कृत में भी। हाँ, संस्कृत में चंद्रबिंदु नहीं है, केवल ‘मा’ है जैसा कि गुजराती और बांग्ला सहित कई भाषाओं में भी है। हिंदी ने न जाने क्यों ‘माँ’ का रूप अपनाया है।

आज ज़्यादा कुछ नहीं है बताने को लेकिन तार से जुड़ा एक रोचक क़िस्सा शेयर करना चाहता हूँ। बात है सितार की जिसमें सात तार होते है। कई लोग समझते हैं (इनमें मैं भी शामिल था) कि इसमें सात तार होते हैं, इसीलिए इसका नाम सितार है। हिंदी शब्दसागर सितार शब्द की व्युत्पत्ति के जो दो संभावित स्रोत बताता है, उनमें एक है सप्ततार (संस्कृत) और दूसरा सेहतार (फ़ारसी)। देखें चित्र।

हिंदी शब्दसागर में सितार की एंट्री।

यदि हम सप्ततार को मूल शब्द मानें तो यही प्रतीत होता है कि सितार सप्ततार का ही बिगड़ा हुआ रूप है। लेकिन यह अनुमान इसलिए ग़लत साबित होता है कि आरंभ में सितार में सात नहीं, तीन ही तार होते थे और इसीलिए फ़ारसी में इसे सेहतार कहा जाता था। फ़ारसी में सेह का अर्थ है तीन। बाद में यह छह तार का और अंततः सात तारों वाला वाद्ययंत्र हो गया। इसके बारे में आप नीचे दिए गए पुस्तकांश से और जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह जानकारी मेरे भाषामित्र सुबोध दुबे ने सुलभ कराई है।

ख़ैर, मैं यहाँ सितार शब्द के स्रोत के बारे में नहीं, उसके लिंग के बारे में बात करना चाहता हूँ। आप जानते ही होंगे कि तार की ही तरह सितार भी पुल्लिंग है। लेकिन मैंने एक पुरानी फ़िल्म ‘वारिस’ का बहुत ही लोकप्रिय गाना सुना जिसके एक स्वरूप में सितार को पुल्लिंग बताया गया है और उसी गाने के धीमे स्वरूप में उसे स्त्रीलिंग।

आपमें से कई लोगों ने यह फ़िल्म नहीं देखी होगी जिसमें तलत महमूद ने हीरो की भूमिका निभाई है लेकिन उनका गया यह गाना ज़रूर सुना होगा – राही मतवाले, तू छेड़ इक बार, मन का सितार, जाने कब चोरी-चोरी आई है बहार, छेड़ मन का सितार...

इसी गाने का एक धीमा और उदासी भरा रूप भी है जिसे सुरैया ने गाया है और जो उतना लोकप्रिय नहीं है। उसके बोल हैं – राही मतवाले, तू आ जा इक बार, सूनी है सितार, तेरे बिना रूठ गई हमसे बहार, तू आ जा इक बार। आप चाहें तो नीचे दिए गए विडियो पर और विडियो न खुले तो इस लिंक पर क्लिक/टैप करके दोनों वर्श्ज़न सुन सकते हैं।

आपने सुना, पहले गाने में है – मन ‘का‘ सितार और दूसरे में – ‘सूनी‘ है सितार। ऐसा लगता है मानो पुरुष गाए तो सितार पुल्लिंग हो जाता है और स्त्री गाए तो स्त्रीलिंग।

दोनों गाने एक ही व्यक्ति ने लिखे हैं – क़मर जलालाबादी ने। समझ में नहीं आता, उन्होंने ऐसी चूक कैसे की।

इस गाने के बारे में बता दूँ कि यह रवींद्रनाथ टैगोर के गीत की धुन पर बना है। मूल गाने के बोल हैं – ओ रे गृहवासी, द्वार खोल द्वार…

टैगोर की धुनों पर हिंदी में कई-कई गाने बने हैं। इन धुनों और उनपर टैगोर द्वारा ही लिखे गए गीतों को बांग्ला में रवींद्र संगीत कहा जाता है।

यदि आपको टैगोर का यह गीत सुनना हो तो नीचे दिए गए लिंक पर टैप या क्लिक करें। अगर वह लिंक काम न करे, इस लिंक पर जाएँ। सुनकर आनंदित होंगे।

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