स्वाधीनता दिवस जिस स्वाधीन शब्द से बना है, वह स्वाधीन शब्द ख़ुद किनके मेल से बना है – स्व+आधीन से या स्व+अधीन से। फ़ेसबुक पर हुए एक पोल में 75 % ने अधीन को सही बताया और 25% ने आधीन के पक्ष के पक्ष में वोट दिया। सही है अधीन लेकिन कभी आधीन भी सही माना जाता था।
अधीन सही है या आधीन – इस सवाल का जवाब पता करने के लिए हर बार की तरह इस बार भी शब्दकोश का ही सहारा लेते हैं। यह शब्द आया है संस्कृत से। इसलिए पहले संस्कृत कोश में ही दोनों शब्दों को तलाशा। मैंने पाया कि आप्टे के शब्दकोश में अधीन ही है। वहाँ आधीन नहीं है। अर्थात पहले हाफ़ में आगे रहा अधीन।
अब हिंदी शब्दसागर देखा जाए। वहाँ भी अधीन है, लेकिन साथ में आधीन भी है हालाँकि उसमें शब्दार्थ नहीं दिया हुआ है। लिखा है – देखें अधीन। इसका मतलब शब्दसागर के अनुसार भी सही शब्द अधीन ही है और इसी अधीन से पहले स्व के जुड़ने से स्वाधीन (स्व+अधीन) बना है। दूसरे हाफ़ में भी अधीन ही आगे रहा। यानी विजेता रहा अधीन।

अब प्रश्न केवल यह बचता है कि जब सही शब्द अधीन है तो 25% को ऐसा क्यों लगा कि अधीन नहीं, आधीन ही सही है! मुझे लगता है, इसका कारण है स्वाधीन, पराधीन और निर्माणाधीन जैसे शब्दों में मौजूद आधीन की ध्वनि। चूँकि इन तीनों शब्दों में आधीन की ध्वनि है (स्वाधीन, पराधीन, निर्माणाधीन), इसीलिए कुछ लोग समझते हैं कि मूल शब्द आधीन ही होगा। उन्हें लगता है कि ‘स्व’ और ‘आधीन’ के मिलने से स्वाधीन बना होगा, ‘पर’ और ‘आधीन’ के मिलने से पराधीन बना होगा और ‘निर्माण’ और ‘आधीन’ के मिलने से निर्माणाधीन बना होगा। स्वर संधि के नियमों के हिसाब से यह संभव है क्योंकि ‘अ’ और ‘अ’ मिलकर भी ‘आ’ होता है (सर्व+अधिक=सर्वाधिक) और ‘अ’ तथा ‘आ’ मिलकर भी ‘आ’ होता है (विवेक+आनंद=विवेकानंद)। इसलिए स्व+अधीन के मिलने से भी स्वाधीन बन सकता है और स्व+आधीन के मिलने से भी स्वाधीन ही बनेगा।
पहले आधीन भी चलता था
लेकिन कुछ लोगों द्वारा आधीन को सही बताने का एक और कारण हो सकता है। कारण यह कि आधीन शब्द कोई आज का नहीं है। पहले भी आधीन का इस्तेमाल होता था, ख़ासकर कविताओं में।
मैंने जब हिंदी शब्दसागर की आधीन वाली एंट्री देखी तो वहाँ पु. से मिलता-जुलता एक चिह्न लगा मिला। संकेतिका में इसका अर्थ दिया हुआ है – काव्य प्रयोग, पुरानी हिंदी। उदाहरण के तौर पर वहाँ भिखारीदास की एक काव्यपंक्ति भी दी हुई है – करौं घरी आधीन मैं, करौं हरी आधीन (देखें चित्र)।

इसका मतलब वर्तमान में भले अधीन को सही माना जा रहा हो लेकिन दो-तीन सौ साल पहले तक आधीन का भी प्रयोग होता था, ख़ासकर कविताओं में।
जब मुझे शब्दसागर से यह जानकारी मिली तो मैंने सोचा कि क्या पूर्व काल के और कवियों ने भी आधीन का इस्तेमाल किया था। और लीजिए, एक क्या, कई मिल गए। सूर, तुलसी, रसखान, कबीर सभी ने अपनी रचनाओं में अधीन के साथ-साथ आधीन का भी प्रयोग किया है। नीचे कुछ उदाहरण देखें –
हरि के सब आधीन पै, हरि प्रेम आधीन। रसखान जबहीं जब मन आवत तब-तब अधरनि पान करै। रहत स्याम आधीन सदाई आयसु तिनहिं करै॥ सूरदास सो सुतंत्र अवलंब न आना। तेहि आधीन ग्यान-बिग्याना।। तुलसीदास रामहिं थोड़ा जाँणि करि, दुनियाँ आगैं दीन। जीवाँ कौ राजा कहै, माया के आधीन॥ कबीरदास
इसका मतलब जिन पाठकों ने इन कवियों की रचनाएँ पढ़ी हैं, उनमें से कुछ पाठकों को इन कविताओं के आधार पर यह लग सकता है कि आधीन ही सही है।
परंतु जैसा कि हिंदी शब्दसागर में ही बताया गया है कि यह आधीन शब्द पुरानी हिंदी में और ख़ासकर कविताओं में चलता था और अब नहीं चलता। इसलिए आज की तारीख़ में हमें अधीन को ही सही मानते हुए उसी का इस्तेमाल करना चाहिए। यह सलाह विशेष कर दैनिक भास्कर और पत्रिका के पत्रकारों के लिए है जहाँ मैंने आधीन का प्रयोग देखा है।
2 replies on “75. स्वाधीन में स्व के बाद अधीन है या आधीन?”
मेरे हिसाब से अधीन ही सही है
क्योंकि हम अधीनस्थ इस्तेमाल करते हैं ना कि आधीनस्थ
आप सही कह रहे हैं। आज की तारीख़ में अधीन ही सही है। लेकिन पहले आधीन भी चलता था।