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210. लावारिस का अर्थ क्या है – अनाथ या निस्संतान?

अगर आपने अमिताभ बच्चान की ‘लावारिस’ फ़िल्म देखी होगी तो आप जानते होंगे कि इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने एक ऐसे बेटे की भूमिका की थी जिसे उसके पिता अमजद ख़ान ने गर्भ में ही मार डालने की साज़िश की थी और जन्म के बाद कई सालों तक उसे अपने पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इस नाते ‘लावारिस’ का अर्थ निकलता है ‘अनाथ’ या ‘परित्यक्त’। लेकिन शब्दकोश लावारिस (ला+वारिस) का कुछ और अर्थ बताते हैं – वह जिसका कोई वारिस न हो। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

‘लावारिस’ शब्द का अर्थ बताना बहुत आसान भी है और कठिन भी। आसान इसलिए कि हम सब इसका अर्थ जानते हैं। लावारिस बच्चा यानी ऐसा बच्चा जिसका पिता जीवित न हो, लावारिस पशु यानी ऐसा पशु जिसका कोई मालिक न हो।

लेकिन अगर इस शब्द की रचना पर जाएँ तो अर्थ बिल्कुल ही अलग निकलता है। लावारिस में वारिस से पहले ‘ला’ लगा हुआ है। अरबी में ‘ला’ का मतलब होता है ‘नहीं’। जैसे लाइलाज (ला+इलाज) बीमारी यानी जिस बीमारी का कोई इलाज नहीं हो। लाजवाब (ला+जवाब) करना यानी ऐसी बात कहना या सवाल पूछना जिसका कोई जवाब नहीं हो। इसी तरह लावारिस (ला+वारिस) का अर्थ हुआ वह व्यक्ति जिसका कोई वारिस यानी उत्तराधिकारी न हो। सिंपल।

मगर यह तो बिल्कुल उलटी बात हो गई। लावारिस का प्रचलित अर्थ है वह बेटा जिसके बाप का पता न हो या जिसका बाप मर चुका हो जबकि उसका संरचनामूलक अर्थ लें तो इसका अर्थ है वह पुरुष जिसका कोई बेटा न हो या बेटा मर चुका हो।

एक वाक्य में कहें तो लावारिस का अर्थ हम अनाथ समझते हैं मगर लावारिस का अर्थ निस्संतान निकलता है।

यह गड़बड़ क्यों है? यह गड़बड़ इसलिए है कि लावारिस में जो वारिस है, उसका हम एक ही अर्थ समझते हैं – उत्तराधिकारी जबकि वारिस का एक और अर्थ है – संरक्षक, अभिभावक, पालक (देखें चित्र)।

जब वारिस के दो अर्थ हैं तो निश्चित रूप से लावारिस के भी दोनों अर्थ हो सकते हैं।

1. वह जिसका कोई वारिस (संरक्षक) न हो। यह संरक्षक पिता भी हो सकता है और कोई और भी। इस हिसाब से लावारिस का अर्थ अनाथ निकलता है।

2. वह जिसका कोई वारिस (उत्तराधिकारी) न हो। यहाँ उत्तराधिकारी बेटा भी हो सकता है तथा कोई रिश्तेदार भी। इस हिसाब से लावारिस का अर्थ बेऔलाद भी निकलता है।

यानी लावारिस के दोनों अर्थ हैं। कोई अगर निस्संतान मर जाए तो आप कह सकते हैं कि वह लावारिस (बिना उत्तराधिकारी के) ही मर गया। इसी तरह यदि किसी के पिता (जीवित या ज्ञात) न हों तो हम कह सकते हैं कि एक लावारिस (अनाथ) की तरह उसने अपना बचपन गुज़ारा।

लेकिन एक बात हैरान करने वाली है। मैंने उर्दू व फ़ारसी के जितने भी कोश देखे (रेख़्ता के अलावा), उन सबमें वारिस के दो-दो अर्थ दिए हुए हैं मगर लावारिस का एक ही अर्थ दिया हुआ है – जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो। केवल रेख़्ता के कोश में इसका ‘परित्यक्त’ वाला अर्थ भी है (देखें चित्र)।

यानी अनाथ वाला अर्थ जो भारत में अधिक प्रचलित है, वह उर्दू-फ़ारसी के अधिकतर कोशों में कहीं नहीं है। इसका क्या मतलब निकालें? क्या उर्दू में अनाथ के अर्थ में लावारिस शब्द उतना नहीं चलता?

पिछले सप्ताह की शब्दपहेली में मैंने एक सवाल पूछा था – सुनहरा मौक़ा सही है या सुनहरी मौक़ा। इसका जवाब है – हिंदी में सुनहरा मौक़ा और उर्दू में सुनहरी मौक़ा।

सुनहरी एक अच्छा उदाहरण है यह समझने का कि कैसे कोई भाषा किसी शब्द को अपनाकर उसे अपने रंगढंग में ढाल लेती है। ताज़ा उर्दू का शब्द था जिसे हिंदी ने अपनाया और उसे (कुछ मामलों में) ताज़ी कर दिया। सुनहरा हिंदी का शब्द था जिसे उर्दू ने अपनाया (हालाँकि उसने इसका मूल रूप न अपनाकर इसके स्त्रीलिंग रूप – सुनहरी – को क्यों अपनाया, यह मुझे नहीं मालूम)। लेकिन जब अपनाया तो उसे पुल्लिंग-स्त्रीलिंग सबके साथ एक समान इस्तेमाल किया क्योंकि वहाँ तो लिंग के हिसाब से विशेषण का रूप नहीं बदलता। इसलिए उर्दू में सुनहरी चादर (स्त्रीलिंग) और सुनहरी मौक़ा (पुल्लिंग)। हिंदी में सुनहरी चादर और सुनहरा मौक़ा।

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