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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

138. जो चला आ रहा है सालों से, वह ‘रिवाज’ है या ‘रिवाज़’?

1972 में एक मूव़ी आई थी जिसका नाम था ‘रिवाज’। उसके 40 साल बाद एक और मूव़ी आई इसी नाम से मगर आख़िर में ‘ज’ की जगह ‘ज़’ था – यानी ‘रिवाज़’। तो क्या 40 सालों में रिवाज की स्पेलिंग बदलकर रिवाज़ हो गई? या फिर दोनों में से कोई एक स्पेलिंग ग़लत है? कौनसी सही और कौनसी ग़लत है, यह तो शब्दकोश ही बता सकते हैं। मगर यह क्या? वहाँ भी झोल है। उर्दू का शब्दकोश ‘रिवाज’ को सही बताता है तो हिंदी का शब्दकोश ‘रिवाज़’ को। तो क्या उर्दू का ‘रिवाज’ हिंदी में आकर ‘रिवाज़’ हो गया? जानने के लिए आगे पढ़ें।

रिवाज और रिवाज़। ये दोनों ही शब्द हिंदी में चल रहे हैं। लेकिन कौनसा ज़्यादा चल रहा है, यह पता करने के लिए हमने जब फ़ेसबुक पोल किया तो पता चला कि हर तीन में दो लोग व्यक्ति रिवाज को और एक व्यक्ति रिवाज़ को सही मान रहा है। जो रिवाज़ को सही बता रहे थे, उनमें ऐसे भी कुछ लोग थे जो मानते थे कि यह उर्दू का शब्द है इसलिए रिवाज़ ही होना चाहिए क्योंकि उर्दू के शब्दों में ‘ज़’ होता है, ‘ज’ नहीं।

मगर यह भ्रांत धारणा है। उर्दू और अरबी-फ़ारसी में जिससे यह बनी है, ‘ज’ और ‘ज़’ दोनों हैं। इसलिए ‘रिवाज’ भी सही हो सकता है और ‘रिवाज़’ भी। आइए, पता करते हैं कि कौनसा सही है।

चूँकि यह उर्दू का शब्द है, इसलिए बेहतर है कि हम उर्दू-हिंदी शब्दकोश में तलाशें कि उसमें क्या है। मैंने सबसे पहले मद्दाह का कोश देखा। उसमें रिवाज था (देखें चित्र)।

रिवाज की एंट्री में आप एक और शब्द देख पा रहे होंगे – रवाज। इसका मतलब रिवाज के साथ-साथ रवाज भी चलता है। अगर प्लैट्स के उर्दू-अंग्रेज़ी शब्दकोश में देखें तो वहाँ रिवाज नहीं है, रवाज ही है। उसमें रवाज को मूल और रिवाज को परिवर्तित/विकृत रूप माना है (देखें चित्र)।

मद्दाह और प्लैट्स के साथ-साथ रेख़्ता में भी रिवाज ही है।

यानी उर्दू के शब्दकोशों से यह साबित होता है कि अरबी और फ़ारसी में रवाज और रिवाज ही हैं, रिवाज़ नहीं है। मगर यह भी सच है कि हिंदी में रिवाज़ इतना प्रचलित हो गया है कि एक-तिहाई लोग इसे सही मानते हैं। यह शब्द हिंदी समाज में कितना प्रचलित है, इसके दो बड़े उदाहरण मुझे इस शब्द पर पड़ताल करते हुए मिले।

1. राजपाल का हिंदी शब्दकोश रिवाज़ को ही सही बताता है (देखें चित्र)। 

2. 2011 में आई एक मूव़ी का नाम रिवाज़ है (देखें चित्र)।

इनके अलावा अभी हाल में ही फ़ैब इंडिया ने अपने एक कलेक्शन का नाम ‘जश्न-ए-रिवाज़’ रखा था, ‘जश्न-ए-रिवाज’ नहीं (देखें चित्र)।

यह सब बताता है कि हिंदी समाज में एक बड़ा तबक़ा है जो रिवाज़ को सही मान रहा है।

इसका कारण क्या है? मेरी समझ से कारण यह है कि कई लोगों को नहीं पता कि उर्दू में ‘ज’ और ‘ज़’ दोनों ध्वनियाँ हैं। इसी कारण जहाँ उनको लगता है कि यह उर्दू का शब्द है, वहाँ वे ‘ज’ की जगह ‘ज़’ कर देते हैं और सोचते हैं कि वे शुद्ध उच्चारण कर रहे हैं। मेरा एक मित्र ‘ल्दबाज़ी’ को ‘ज़ल्दबाज़ी’ बोलता था जब तक कि मैंने उसे नहीं बताया कि सही शब्द ‘जल्द’ है, ‘ज़ल्द’ नहीं।। इसी तरह ‘नतीजा’ को कई लोग ‘नतीज़ा’ बोलते हैं। ‘बावजूद’ को ‘बावज़ूद’ बोलने वाले भी अनेक मिलेंगे। और कल ही मुझे पता चला कि ‘जन्नत’ को ‘ज़न्नत’ बोलने वाले लोग भी हैं।

हुआ यह कि मैं खाना का रहा था और टीवी पर धर्मेंद्र-हेमा की पुरानी मूवी ‘ड्रीमगर्ल’ चल रही थी। फ़िल्म के आरंभ में ही गाना है – ड्रीमगर्ल-ड्रीमगर्ल। उसी गाने में मैंने किशोर कुमार को बोलते हुए सुना – …ज़न्नत ही ज़न्नत है। मैं चौंका ज़न्नत? टीवी पर तो रिवाइंड कर नहीं सकता था, सो यूट्यूब पर वही गाना फिर से सुना। किशोर दा ज़न्नत ही बोल रहे थे। हो सकता है, उनको जो स्क्रिप्ट मिली होगी, उसमें ज़न्नत लिखा होगा या फिर वे ज़ीनत के चक्कर में घालमेल कर गए। आप भी चाहें तो यूट्यूब पर सुनकर कन्फ़र्म कर सकते हैं। गीत के 21वें सेंकड पर ही यह शब्द आता है।

20 दिसंबर 2022 को ऊपर का हिस्सा हटा दिया गया।

मुझे नहीं पता, ‘रिवाज’, ‘नतीजा’, ‘बावजूद’ और ‘जन्नत’ जैसे कितने शब्द हैं जिनके ‘ज़’ वाले ग़लत रूप हिंदी में प्रचलित हैं। परंतु एक शब्द है जिसके दोनों रूप चल रहे हैं मगर दोनों सही हैं। वह है ‘जात’ और ‘ज़ात’। हिंदी में ‘जात’ है, उर्दू में ‘ज़ात’। 

कल साहिर लुधियानवी का जन्मदिन था और विविध भारती पर उनके गाने आ रहे थे। उन्हीं में से एक गाने में ‘ज़ात’ शब्द का उपयोग हुआ है – 

रंग और नस्ल, ज़ात और मज़हब,
जो भी हो, आदमी से कमतर है…

कितनी बड़ी बात है और यही हक़ीक़त है। परंतु कितने लोग हैं जो आज के समय में ऐसे विचार रखते हैं। यहाँ तो ‘जश्न’ और ‘रिवाज’ के नाम पर कुछ लोगों की धार्मिक भावनाएँ आहत हो जाती हैं। सोचता हूँ, क्या ऐसे लोगों को ख़ुद को ‘हिंदू’ कहे जाने पर एतराज़ नहीं होता होगा? कारण, हिंदू भी तो फ़ारसी शब्द है।

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2 replies on “138. जो चला आ रहा है सालों से, वह ‘रिवाज’ है या ‘रिवाज़’?”

Bhai aapne riwaj/riwaz ke bare me jo bataya wo sahi hai 50-50 wali baat hai…
But dream girl gane me kishore da ne zannat nahi Jannat hi kaha hai..
Kuch confusion hai may be kisi clone singer ka gana aapne sun liya ho.

नमस्ते। आपके कॉमेंट के बाद मैंने फिर सुना। आप सही कह रहे हैं। मैं वह हिस्सा हटा देता हूँ। ग़लती सुधारने के लिए शुक्रिया।

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