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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

95. शोचनीय का अर्थ संस्कृत में और, हिंदी में कुछ और है

शोचनीय का क्या अर्थ है – सोचने लायक़ या चिंताजनक? जब मैंने फ़ेसबुक पर इस विषय में पोल किया तो 84% ने ‘चिंताजनक’ के पक्ष में वोट दिया। 16% का ख़्याल था कि शोचनीय का अर्थ है ‘सोचने लायक़’। आपको जानकर हैरत होगी कि शब्दकोशों के अनुसार शोचनीय का अर्थ न ‘चिंताजनक’ है, न ‘सोचने लायक़’। क्या है संस्कृत में शोचनीय का मूल अर्थ, जानने के लिए आगे पढ़ें।

शोचनीय पर पोल करने से पहले मैं काफ़ी पसोपेश में था कि यह पोल करूँ या न करूँ। कारण दो थे। एक, मुझे पता था कि अधिकतर लोग शोचनीय के ‘सही अर्थ’ (चिंताजनक) से वाक़िफ़ हैं और बहुत कम ही होंगे जो दूसरे विकल्प (सोचने लायक़) के पक्ष में वोट करेंगे। ऐसा हुआ भी।

दूसरा कारण यह था कि शोचनीय का जो ‘सही अर्थ’ (चिंताजनक) अधिकतर लोग जानते हैं, उसका वह अर्थ किसी भी प्रामाणिक शब्दकोश में नहीं दिया हुआ था।

यानी शब्दकोशों के अनुसार शोचनीय का अर्थ न तो सोचने लायक़ है, न ही चिंताजनक। उनके अनुसार शोचनीय का अर्थ है दुख या शोक करने लायक़ (देखें चित्र)।

हिंदी शब्दसागर में शोचनीय का अर्थ
आप्टे के संस्कृत-अंग्रेज़ी शब्दकोश में शोचनीय का अर्थ

इसका मतलब यह निकलता है कि शोचनीय का यह संशोधित अर्थ हिंदी में प्रचलन के तहत बना है और आज वह अर्थ इतना प्रचलित हो गया है कि उसका मूल संस्कृत अर्थ (शोक करने योग्य) खो ही गया है।

शोचनीय की तरह शोचनम् या शोचना भी हिंदी में आकर अपना अर्थ बदल चुके हैं। शोचनीय, शोचनम् या शोचना, ये सभी शुच् धातु से बने हैं जिसका अर्थ है शोक करना। इस आधार पर शोचनम् का अर्थ हुआ शोक या दुख। लेकिन शोचनम् या शोचना से ही बने हिंदी तद्भव शब्द सोच या सोचना का अर्थ कुछ और हो गया। उसका शोक से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि वह भावनिरपेक्ष है। सोचने के तहत आपके ज़ेहन में ख़ुश करने वाली बातें भी आ सकती हैं और दुखी करने वाली बातें भी।

हिंदी शब्दसागर में सोचना (हिंदी) और शोचन, शोचना (सं) के भिन्न-भिन्न अर्थ

सोच (हिंदी) और शोचनम् (संस्कृत) का जो रिश्ता है कि एक से दूसरा बना लेकिन अर्थ बदल गया, वैसा ही रिश्ता हिंदी और संस्कृत के चिंता का भी है। संस्कृत में चिंता का मूल और व्यापक अर्थ है सोच-विचार लेकिन हिंदी में इसका सीमित अर्थ हो गया है – किसी के हिताहित के बारे में परेशान और व्याकुल करने वाला चिंतन।

ऊपर की सारी बातों को एक वाक्य में समेटें तो कह सकते हैं कि सोच और चिंता संस्कृत के जिन शब्दों से बने हैं – शोचनम् (शोक) और चिंता (सोच-विचार) – हिंदी में आकर उनका अर्थ काफ़ी-कुछ बदल गया है।

वैसे बांग्ला में अभी भी चिंता का अर्थ सोचना-विचारना ही होता है। यदि आपको कोई बंगाली सज्जन कहें कि ‘चिंता कोरे देखो’ तो इसका मतलब यह नहीं कि वह आपको चिंताग्रस्त करना चाहता है, उसका अर्थ है कि आप उसके प्रस्ताव पर ‘सोच-विचार’ करें।

शोचनीय और चिंता की ही तरह संस्कृत का एक और शब्द है धूमपान लेकिन हिंदी में आकर वह धूम्रपान हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि संस्कृत में धूम्र का अर्थ धुआँ नहीं है, कुछ और है। क्या है संस्कृत में धूम्र का अर्थ, यह जानने के लिए आप क्लास 44 में हुई चर्चा को पढ़ सकते हैं।

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2 replies on “95. शोचनीय का अर्थ संस्कृत में और, हिंदी में कुछ और है”

नमस्ते। सोचनीय कोई शब्द नहीं है। अनीयर् प्रत्यय (कमनीय, माननीय, विश्वसनीय) आदि संस्कृत धातुओं में लगता है। चूँकि सोच हिंदी का शब्द है, इसलिए इसमें अनीयर् प्रत्यय (अंत में नीय) नहीं लगेगा।

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