शेर-ओ-शायरी में यह शब्द बहुत आता है, ख़ासकर परवाने के साथ। लेकिन यह शब्द है क्या – शमा या शमाँ? जब मैंने फ़ेसबुक पर इसके बारे में एक पोल किया तो 90% ने कहा – शमा सही है। 10% का अंदाज़ा था कि शमाँ सही है। सही क्या है, ख़ासकर हिंदी में, यह हम आगे जानेंगे। साथ में यह भी जानेंगे कि उर्दू में इसका जो रूप है, वह इन दोनों से अलग है। न वह शमा है, न ही शमाँ। क्या है वह, जानने के लिए आगे पढ़ें।
सही शब्द है शमा, न कि शमाँ, ख़ासकर हिंदी में यही चलता है। परंतु अरबी या उर्दू में इसकी स्पेलिंग और उच्चारण कुछ अलग है।
इसका मूल उच्चारण है शम्अ (देखें चित्र)।
हिंदी में ऐसे शब्द नहीं हैं जिनमें आख़िर में केवल ‘अ’ स्वर हो। दूसरे, हिंदी में आख़िरी अकार ध्वनि हमेशा व्यंजन के तौर पर बोली जाती है (प्रिय, सत्य जैसे कुछ अपवादों को छोड़कर)। इसलिए हिंदी में यह शम्अ से शमा हो गया।
उर्दू में भी ऐसे शब्द बहुत कम हैं। कुछ हैं जो हिंदी में चलते हैं जैसे मन्अ (मना) और जम्अ (जमा) और कुछ हैं जो नहीं चलते जैसे सब्अ (सात) और सुन्अ (शिल्प) आदि।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अंग्रेज़ी में ऐसे कई शब्द हैं जैसे सोफ़्अ (Sofa), वीज़्अ (Visa), डेट्अ (Data), पैर्अ (Para), कोल्अ (Cola) आदि। इन सबमें भी हम भारतीय अंत में आ की मात्रा लगा देते हैं और बोलते हैं सोफ़ा, वीज़ा, डेटा, पैरा, कोला आदि।
राम जिसकी अंग्रेज़ी स्पेलिंग Rama है और जिसको हम अंग्रेज़ी में रामा बोलते/समझते हैं, उसका अंग्रेज़ी उच्चारण रामा नहीं, राम्अ है – बिल्कुल वही जो संस्कृत में है। दूसरे शब्दों में राम का अंग्रेज़ी उच्चारण (राम के हिंदी उच्चारण के मुक़ाबले) संस्कृत उच्चारण के ज़्यादा क़रीब है, हालाँकि उनकी र की ध्वनि हमारी र की ध्वनि से थोड़ी अलग है।
चलिए, फिर से शमा पर आते हैं। हमने देखा कि उर्दू के वे शब्द जिनमें आख़िर में ‘अ’ है, हिंदी में उनका उच्चारण ‘आ’ हो जाता है। एक और तरह के शब्द हैं जिनमें हम ऐसा परिवर्तन देखते हैं – जिनमें आख़िर में विसर्ग (ह्) की ध्वनि है। जैसे ख़ान: (ख़ाना), दानः (दाना), माशूक़ः (माशूक़ा), शोलः (शोला), सूबः (सूबा), सीनः (सीना) आदि।
ऊपर मैंने मना (मन्अ) शब्द का उल्लेख किया है। कई लोग इसका ग़लत इस्तेमाल करते हैं। मसलन अगर मैं किसी का चाय पीने का निवेदन अस्वीकार कर दूँ तो उसे इस तरह कहना कि ‘मैंने चाय पीने से मना कर दिया’, ग़लत है। क्यों ग़लत है, जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जा सकते हैं जहाँ मैंने मना (forbid) और इन्कार (refuse) के अंतर पर चर्चा की है।