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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

252. कई सौ के लिए सैकड़ों लिखेंगे या सैंकड़ों?

सैकड़ों सही है या सैंकड़ों? यानी कई सौ के लिए हिंदी में जो शब्द लिखा जाता है, उसमें ‘सै’ पर बिंदी लगेगी या नहीं? आज की चर्चा इसी पर है। रुचि हो तो आगे पढ़ें।

सैकड़ों सही है या सैंकड़ों? जब हाल ही में यह सवाल फ़ेसबुक पर पूछा गया तो 77% ने कहा कि सैकड़ों (बिना बिंदी) लिखना सही है, 17% ने सैंकड़ों (बिंदी सहित) को सही बताया जबकि बाक़ी 6% का मत था कि दोनों ही लिखे जा सकते हैं।

यही सवाल जब साढ़े पाँच साल पहले पूछा गया था, तब भी सैंकड़ों के पक्ष में वोट देने वाले इसी के आसपास थे – 16%।

यानी सैकड़ों के पक्षधर अधिक हैं और सैंकड़ों लिखने वाले बहुत कम हालाँकि इंटरनेट पर सैंकड़ों की तादाद कम नहीं है (देखें चित्र)।

सैकड़ों या सैकड़ों Hindi word for Hundreds
कई नामी वेबसाइटों पर सैंकड़ों लिखा जाता है।

सही है सैकड़ों (देखें चित्र) यानी बिना बिंदी के। सैकड़ों में बिंदी क्यों नहीं है, इसका भी एक वाजिब कारण है।

Hindi word for Hundreds in Hindi Dictionary

लेकिन उससे पहले हम समझ लें कि सैकड़ों शब्द कैसे बना होगा। यह तो आप समझ ही रहे होंगे कि सैकड़ा या सैकड़ों ‘सौ’ से बना है। जैसे 60 से एक कम संख्या को हम उनसठ कहते हैं (साठ का सठ हो गया), शाह के बेटे को शहज़ादा लिखते हैं (शाह को शह हो गया), वैसे ही कई ‘सौ’ के लिए पहले सौकड़ों बना होगा और बाद में सैकड़ों हो गया होगा।

‘सौ’ बना है संस्कृत के ‘शत‘ से। ‘शत’ में कोई अनुस्वार नहीं है। यदि होता (यानी मूल शब्द लैटिन के Centum की तरह शंतम् होता) तो इसकी पूरी संभावना थी कि उससे बनता ‘सौं’ और तब ‘सौं’ से बनता सैंकड़ों।

मिसाल के तौर पर हिदी की पहली दस संख्याओं की वर्तनी पर ग़ौर कीजिए। एक से दस तक की संख्याओं में केवल ‘पाँच‘ में अनुनासिक ध्वनि है। इसका कारण यही नज़र आता है कि संस्कृत में इन संख्याओं के लिए जो शब्द हैं, उनमें एकमात्र ‘पंच/पञ्च’ में अनुस्वार/पंचम ध्वनि है, शेष किसी में नहीं। इसीलिए एक से दस तक में भी केवल ‘पाँच’ अनुनासिक हैं, और कोई नहीं।

वैसे इस नियम के भी अपवाद हैं। विंशतिः में ‘वि’ में अनुस्वार है लेकिन उससे बने ‘बीस’ में कोई नासिक्य ध्वनि नहीं है। इसी तरह त्रिंशतिः में भी अनुस्वार है परंतु ‘तीस’ में नहीं है।

यही हाल चेहरे के अंगों का भी है। दंत से बने दाँत में तो इस नियम का पालन होता दिखता है मगर भौं (भ्रू), आँख (अक्षि), होंठ (ओष्ठ) और मुँह (मुख) अपवाद नज़र आते हैं – उनके मूल शब्दों में नासिक्य ध्वनि नहीं है मगर उनसे बने हिदी शब्दों में है।

इसलिए अंत में यही कहा जा सकता है कि प्रचलन में सैकड़ों है और शब्दकोश में भी यही है, इसी कारण सैकड़ा और सैकड़ों लिखना ही उचित है।

जैसा कि ऊपर बताया, सौ संस्कृत के शत से बना है। इस शत से शताब्दी बनेगा या शताब्दि? इसपर पहले चर्चा की जा चुकी है। रुचि हो तो पढ़ें।

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