एक ही औज़ार जब छोटे आकार का हो तो सब्ज़ियाँ काटने के काम में आता है और बड़े आकार का हो तो किसी हत्यारे का हथियार बन जाता है और रक्त बहाता है। समझ तो गए होंगे आप कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ। लेकिन प्रश्न यह है कि उसे बोला क्या जाए – छुरा या छूरा। आज की चर्चा इसी शब्द पर।
छुरा और छूरा के बीच जब सही शब्द चुनने का वक़्त आया तो एक फ़ेसबुक पोल में 88% लोगों ने छुरा के पक्ष में वोट दिया। 12% को लगा कि छूरा ठीक है। आइए, नीचे देखते हैं कि क्या सही है और क्यों?
88% के विशाल बहुमत ने कैसे छुरा के पक्ष में राय दी, मुझे नहीं मालूम क्योंकि मैं जब भी बोलने की कोशिश करता हूँ, लगता है छूरा या छूरी ही बोलता हूँ। किचन में छूरी देना – यही निकलता है मुँह से। शायद इसी आधार पर 12% लोगों ने छूरा को सही बताया हो।
लेकिन शब्दकोशों में छुरा को सही बताया गया है इसलिए उसे ही सही मानना होगा।
अधिकतर कोशों में छूरा शब्द ही नहीं है। जहाँ है यानी हिंदी शब्दसागर में, वहाँ भी छूरा की एंट्री पर जाने पर यही राय दी गई है कि देखें – छुरा (देखें चित्र)।
वजह भी स्पष्ट है। छुरा/छूरा संस्कृत के जिस शब्द से बना है, वह है क्षुरः। इसलिए इससे छुरा ही बनता है, छूरा नहीं।
संस्कृत की ‘क्ष’ ध्वनि का हिंदी में ‘छ’ और ‘ख’ दोनों में परिवर्तन देखा गया है। जैसे ‘क्षमा’ को ‘छमा’ भी कहते हैं और ‘खमा’ (बांग्ला) भी। क्षत्रिय से छत्री बना और खत्री भी। क्षुरः भी छुरा के साथ-साथ खुर में भी बदला। वही खुर जो गाय-घोड़े आदि जानवरों में होता है। खुर से ही खुरपी भी बना है।
अब प्रश्न यह कि क्यों कुछ लोग छुरा को छूरा बोलते हैं। मेरे ख़्याल से इसकी वजह यह है कि छुरा/छूरा से मिलते-जुलते जो शब्द हैं हिंदी में, उनमें एक ‘बुरा’ को छोड़कर सबमें शुरू में ऊ ही है। जैसे कूड़ा, घूरा, चूरा, चूड़ा, जूड़ा, धूरा, पूरा, पूड़ा, बूढ़ा, भूरा, मूढ़ा आदि।
हो सकता है, इसी कारण छुरा भी कुछ लोगों के लिए छूरा हो गया हो। लेकिन यह केवल मेरा अनुमान है। इसका कोई भाषा-वैज्ञानिक आधार फ़िलहाल नहीं है मेरे पास। कारण, हिंदी में कई शब्द हैं जो ‘उआ’ वाली शैली में हैं जैसे कुआँ, ख़ुदा, गुहा, जुआ, दुआ, धुआँ, बुआ, मुआ आदि।