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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

119. इस गायक का नाम क्या है – मेहदी, मेहँदी, मेंहदी या…?

किशोरावस्था में एक गाना सुना था जिसे किसी पाकिस्तानी गायक ने गाया था – ज़िंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं, मैं तो मरकर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा। सुनते ही मैं मुग्ध हो गया। लगा, जैसे यह मेरे ही लिए लिखा गया है और मानो मैं उस लड़की के लिए गा रहा हूँ जिसे तब मैं बेहद प्यार करता था। गायक का नाम था मेहदी हसन… या मेहंदी हसन… या कि मेंहदी हसन…? तभी से मुझे यह सवाल परेशान किए जा रहा था जिसका हल कुछ साल पहले निकला। क्या आप भी जानना चाहते हैं मख़मली वाले उस गायक का सही नाम क्या है? तो आगे पढ़ें।

जब मैंने हसन साहब के नाम पर फ़ेसबुक पर एक पोल किया तो मैंने चार विकल्प दिए – 1. मेहदी, 2. मेहँदी, 3. मेंहदी और 4. महदी। सबसे ज़्यादा वोट पहले विकल्प यानी मेहदी के पक्ष में पड़े – 46%। दूसरे नंबर पर वे थे जिनको मेंहदी सही मालूम पड़ता है – 32%। मेहँदी के पक्षधर इसके आधे यानी 16% थे जबकि सबसे कम वोट महदी पर पड़े – केवल 6% (देखें मुख्य चित्र)।

सही क्या है, यह जानने से पहले हम यह जानते हैं कि क्या-क्या सही नहीं है।

मेहँदी और मेंहदी सही नहीं हैं। कारण, मेहँदी हिंदी का एक शब्द है जो संस्कृत के मेन्धी /मेन्धिका से आया है और इसका अर्थ तो आप जानते ही हैं। मेंहदी इसी का ही एक और रूप है। उर्दू में इसके लिए हिन्ना या हिना शब्द है।

अब बचा मेहदी और महदी। जैसा कि ऊपर बताया, मेहदी के पक्ष में सबसे ज़्यादा वोट पड़े (46%) और यह उच्चारण के हिसाब से सही है मगर अर्थ और स्पेलिंग के हिसाब से पूरा सही तो महदी ही है जिसपर सबसे कम – 6% – वोट पड़े। इसका मूल रूप है मह्दी।

मह्दी या महदी का अर्थ है वह जिसे सही मार्ग पर चलने की हिदायत मिली हो। एक तरह से धार्मिक नेता या पथप्रदर्शक। शिया संप्रदाय के 12वें इमाम का नाम भी महदी था। इसी शब्द से महदी हसन नाम पड़ा है। उर्दू में उनके नाम की यही स्पेलिंग है। अगर उस स्पेलिंग का रोमनीकरण करें तो अंग्रेज़ी में वह Mahdi Hassan ही होगा (देखें चित्र)।

विकिपीडिया पर महदी हसन के नाम की रोमनीकृत स्पेलिंग।
मद्दाह के उर्दू-हिंदी शब्दकोश में मह्दी और उसका अर्थ।

अब प्रश्न यह कि अगर नाम मह्दी या महदी है तो वह बदलकर मेहदी कैसे हुआ। इसका कारण वही है जिसका हम पहले भी कई चर्चाओं में ज़िक्र कर चुके हैं यानी जब ‘अ’ स्वर से शुरू होने वाले किसी शब्द का दूसरा वर्ण ‘ह’ हो तो शुरुआती वर्ण अकार से एकार हो जाता है। जैसे महबूबा का मेहबूबा। ऐसे ही महमूद, महफ़ूज़, महदूद, महफ़िल आदि का उच्चारण भी मेहमूद, मेहफ़ूज, मेहदूद और मेहफ़िल जैसा होता है। फ़र्क़ बस यह है कि इनमें से अधिकतर शब्दों की स्पेलिंग नहीं बदली मगर महदी की स्पेलिंग बदलकर मेहदी हो गई।

इसका कारण शायद यह भी है कि अंग्रेज़ी में उनके नाम की स्पेलिंग है Mehdi। सारे म्यूज़िक ऐल्बमों और रिकॉर्डों में अंग्रेज़ी नाम के तौर पर Mehdi Hassan ही छपता रहा है। सो उसी के आधार पर हम हिंदी वालों ने भी मेहदी लिखना शुरू कर दिया जिसे कुछ लोग मेहँदी और मेंहदी  समझने लगे जैसा कि वोटिंग के परिणाम से भी मालूम पड़ता है और जैसा कि मैं ख़ुद भी किशोरावस्था में समझता था।

आज की क्लास में ज़्यादा कुछ कहने को है नहीं लेकिन एक विषय पर मैं कुछ कहना चाहता हूँ। वह यह कि महदी हसन को कुछ लोग ‘शहंशाह-ए-ग़ज़ल’ कहते हैं। मैं इससे असहमति रखता हूँ। असहमति इसलिए नहीं कि मैं उनकी गायन कला का क़ायल नहीं। असहमति इसलिए कि अगर किसी को ग़ज़ल का शहंशाह कहना है तो वह ग़ज़ल लिखने वाला यानी शायर होना चाहिए, गाने वाला यानी गायक नहीं। इसमें दो राय नहीं कि कई ग़ज़लें केवल इसलिए इतनी लोकप्रिय हुईं कि उन्हें महदी हसन या दूसरे मशहूर गायकों ने अपनी आवाज़ दी। लेकिन इसी के आधार पर उस ग़ज़ल का पूरा क्रेडिट गायक को तो नहीं दिया जा सकता, नहीं दिया जाना चाहिए। याद कीजिए, ‘रंजिश ही सही’ क्या केवल इसलिए इतनी मशहूर हुई कि उसे महदी हसन या रूना लैला ने आवाज़ दी या इसलिए कि उसमें अहमद फ़राज़ द्वारा पिरोए गए शब्दों का जादू है। यदि महदी हसन, ग़ुलाम अली या बेगम अख़्तर की आवाज़ से ही सारी ग़ज़लें नाम कमा लेतीं तो उनकी गाई हर ग़ज़ल ‘रंजिश’, ‘चुपके-चुपके’ या फिर ‘ऐ मुहब्बत’ जितनी लोकप्रिय होती।

कई लोगों को दूध वाली चाय पसंद होती है लेकिन क्या बिना चाय पत्ती डाले केवल दूध और चीनी से कोई चाय बन सकती है? चाय पत्ती ही वह ग़ज़ल है जिसमें सुर और स्वर के दूध-चीनी मिल जाएँ तो ख़ुशबूदार पेय बन जाता है।

मेरे हिसाब से यदि ग़ज़ल की दुनिया का कोई सरताज है तो वह मिर्ज़ा ग़ालिब ही हो सकते हैं, कोई और नहीं। भले ही जगजीत सिंह या दूसरे गायकों ने उनकी ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी हो और उन्हें बेहतरीन तरीक़े से पेश किया हो लेकिन किसी भी गायक को मिर्ज़ा ग़ालिब से ऊपर नहीं रखा सकता, ख़ासकर ग़ज़लों के मामले में।

ऊपर मैंने शकील बदायुनी की ग़ज़ल ‘ऐ मुहब्बत, तेरे अंजाम पे रोना आया’ का हवाला दिया है। आपमें से कई लोग सोचते होंगे कि मुहब्बत सही है या मोहब्बत? इसी तरह मुहलत या मोहलत, मुहताज या मोहताज? इस मुद्दे पर हम पहले चर्चा कर चुके हैं। अगर आपसे वह चर्चा मिस हो गई हो तो इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं –

https://aalimsirkiclass.com/shabd-paheli-64-hindi-word-quiz-muhtaj-or-mohtaj-muhlat-or-mohlat-urdu-words/
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