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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

144. आग के कण को क्या कहेंगे, चिनगारी या चिंगारी?

अग्नि के छोटे-से कण को क्या कहते हैं – चिनगारी या चिंगारी? जब मैंने इसपर फ़ेसबुक पोल किया तो सबसे ज़्यादा वोट पड़े चिंगारी के पक्ष में – क़रीब 80%। इस परिणाम ने मुझे चौंकाया नहीं क्योंकि इससे दो साल पहले मैंने एक और मंच पर यही पोल किया था और वहाँ भी मिलता-जुलता परिणाम आया था। तब 82% ने चिंगारी को सही बताया था। यानी हर पाँच में चार लोग चिंगारी को सही मानते हैं। मगर क्या वे सही है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

चिनगारी सही है या चिंगारी? मैं नहीं जानता। लेकिन अधिकतर शब्दकोशों में चिनगारी है, चिंगारी नहीं। जिनमें चिंगारी है, उनमें भी चिनगारी की एंट्री पर जाने का इशारा किया गया है (देखें चित्र), इसलिए कहना पड़ेगा कि सही शब्द चिनगारी ही है।

राजपाल के हिंदी शब्दकोश में चिनगारी, चिनगी और चिंगारी

हिंदी शब्दसागर के अनुसार संस्कृत के चूर्ण से चुन बना जिसमें अंगार जुड़ने से बना चिनगारी लेकिन कोशकार भी इसके बारे में आश्वस्त नहीं है, इसीलिए प्रश्नवाचक चिह्न लगा दिया है (देखें चित्र)।

हिंदी शब्दसागर में चिनगारी

चिनगारी का एक पर्याय चिनगी है। उसके बारे में भी यही कल्पना है – चून+(संस्कृत) अग्नि या (प्राकृत) आगि (देखें चित्र)।

हिदी शब्दसागर में चिनगी

अब प्रश्न यह कि चिनगारी का उच्चारण चिंगारी कैसे हुआ होगा कि आज हर पाँच में से चार लोग उसी को सही मान रहे हैं? मेरा अनुमान यह कि लोग अंगार या अंगारे बोलते हैं तो उसी की तर्ज़ पर चिनगारी चिंगारी हो गया। अंगार और चिंगारी।

कुछ लोग जो चिंगारी और चिनगारी के उच्चारण का अंतर नहीं समझ पा रहे हों, उनको बता दूँ कि चिंगारी में ‘चि’ के बाद ‘ङ्’ की ध्वनि है जैसी कि कंघा (कङ्घा), गंगा (गङ्गा) आदि में होती है जबकि चिनगारी में स्पष्ट आधे ‘न’ की ध्वनि है। यानी चिनगारी का उच्चारण चिन्+गारी की तरह है, चिङ्गारी की तरह नहीं। इसलिए उसे चिंगारी लिखना या बोलना सही नहीं होगा।

जिस तरह अनबन को हम अंबन (उच्चारण हो जाएगा अम्बन) और इम्तहान को इंतहान (उच्चारण हो जाएगा इन्तहान) नहीं लिख सकते, उसी तरह चिनगारी को चिंगारी लिखने से उच्चारण ग़लत हो जाएगा। अनुस्वार के उच्चारण पर हम पहले चर्चा कर चुके हैं कि कहाँ बिंदी लगाना सही है और कहाँ नहीं। रुचि हो तो वह पोस्ट पढ़ सकते हैं। लिंक नीचे दिया हुआ है।

चिनगारी के मुक़ाबले चिंगारी का उच्चारण कितना अधिक प्रचलित है, इसकी गवाही ‘अमर प्रेम’ फ़िल्म का वह गाना भी देता है जो मेरी किशोरावस्था में बहुत ही लोकप्रिय था और मुझे बहुत ही प्रिय। गीत के बोल हैं – चिनगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए। सावन जो अगन लगाए, उसे कौन बुझाए…। आज जब यह पोस्ट लिखते समय वह गाना याद आया तो मैंने जानने की कोशिश की कि उस गाने में किशोर कुमार क्या बोल रहे हैं – चिंगारी या चिनगारी? पाया कि वे भी चिंगारी ही बोल रहे थे। इस लिंक सुनें वह गाना।

इस गाने से मेरा एक यादगार प्रसंग जुड़ा हुआ है। तब मैं आठवीं क्लास में था और हमारी क्लास टीचर ख़ाली पीरियड में कभी-कभी अंत्याक्षरी करवाती थीं। लड़कों का गुट अलग, लड़कियों का अलग। मैं तब यह गाना गाने का मौक़ा खोजा करता था क्योंकि मुझे लगता था, मैं अच्छा गाता था, कम-से-कम बाक़ियों के मुक़ाबले। मेरे गानों का ख़ास लक्ष्य रहती थी क्लास की वह लड़की जो मेरी नंबर वन प्रतिस्पर्धी थी और मुझे सबसे अधिक प्रिय भी। वह न केवल पढ़ाई में अव्वल थी बल्कि रूप और गुण में भी सबसे आगे थी। उसका असली नाम बताना ठीक नहीं रहेगा। यहाँ उसका नाम रख देते हैं – समिता।

ऐसा ही एक दिन था। क्लास का आख़िरी पीरियड था और अंत्याक्षरी चल रही थी। लड़कों की टीम के पास ‘ह’ अक्षर आया। चूँकि चिनगारी वाला गाना ‘हुँ‌‌ऽऽऽ’ से शुरू होता था, तो मेरे पास मौक़ा था कि मैं यह गाना गाता। लेकिन मुझसे पहले ही राजकुमार नाम के एक और लड़के ने वही गीत गाना शुरू कर दिया। मैं मौक़ा चूक गया। समिता उस दिन अंत्याक्षरी में भाग नहीं ले रही थी। बेंच पर सिर टिकाए चुपचाप या तो सो रही थी या किन्हीं ख़यालों में गुम थी। पता नहीं, अंत्याक्षरी की तरफ़ उसका ध्यान था भी या नहीं। इसी कारण मैं भी उस दिन बहुत उत्साहित नहीं था।

लेकिन थोड़ी देर के बाद ही पता चल गया कि वह ध्यान से सारे गाने सुन रही थी। छुट्टी होने के बाद क्लास से निकलते समय समिता ने शिकायती लहज़े में मुझसे कहा, ‘तुमने आज चिनगारी वाला गाना नहीं सुनाया ना?’ मैं चौंक गया। बोला, ‘राजकुमार ने तो गाया था…’

जानते हैं, उसने आगे क्या कहा? बोली, ‘उसके और तुम्हारे गाने में बहुत अंतर है।’

मैं नहीं जानता था कि मैं कैसा गाता था। आज भी नहीं पता। लेकिन गाने के लिए उससे बेहतर कॉम्प्लिमेंट फिर कभी न तो मुझे किसी से मिला, न ही मैंने चाहा। समिता का दिया हुआ वह कॉम्प्लिमेंट मेरे लिए ग्रैमी अवॉर्ड से कम नहीं था।

उसके बाद जब-जब क्लास में अंत्याक्षरी हुई या कभी गीत सुनाने की माँग हुई तो मैं वही गीत गाता लेकिन तभी अगर समिता क्लास में होती। दसवीं के बाद हम अलग हो गए, उसके बाद वह गीत मैंने लोगों के सामने कभी नहीं गाया। जब कभी अकेले में गाया-गुनगुनाया तो हमेशा समिता भी चुपके से सामने चली आई, और जब कभी समिता की याद आती है तो वह गीत भी हवाओं में लहराता चला आता है।

जैसे कि अभी लहरा रहा है…

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2 replies on “144. आग के कण को क्या कहेंगे, चिनगारी या चिंगारी?”

सर पुण्य का उच्चारण पुन्य क्यों होता है क्या ऐसे और शब्द हैं

पुण्य का उच्चारण पुण्य ही होता है। कुछ लोग जो ण् नहीं बोल पाते, वे ण् की जगह न बोलते हैं। जैसे रावण का रावन, कृष्ण का कृश्न, प्राण का प्रान।

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