Iron का उच्चारण आम तौर पर आयरन किया जाता है और यह ग़लत भी नहीं लगता क्योंकि R के बाद जब कोई vowel होता है तो R का उच्चारण होता ही है चाहे वह शुरू में हो (जैसे Rule=रूल, Road=रोड आदि) या बीच में (जैसे Bread=ब्रेड, Crow=क्रो आदि)। हाँ, R जब शब्द के आख़िर में हो या R के बाद कोई कॉन्सनंट हो तो R का उच्चारण नहीं होता जैसे Ear=इअर, Birthday=बऽथडे।
लेकिन Iron में R न तो शब्द के अंत में है, न ही R के बाद कोई कॉन्सनंट है। उसके ठीक बाद O के रूप में एक vowel है, फिर भी इसमें R का उच्चारण नहीं होता। इसका सही उच्चारण है आयनuk और आयर्नus.
- ऐसा क्यों होता है, यह जानना चाहते हों तो आगे पढ़ें।
Iron का सही उच्चारण आयरन नहीं, बल्कि आयन/आयर्न है मानो उसकी स्पेलिंग IRON न होकर IORN हो यानी r और o ने अपनी जगह बदल ली हो। और वास्तव में हो भी यही रहा है। यह बात विचित्र तो है मगर अनोखी नहीं। शब्दों में अक्सर ऐसा होता है कि ध्वनियाँ अपनी जगहें बदल लेती हैं। इस प्रक्रिया को अंग्रेज़ी में Metathesis और हिंदी में विपर्यय कहते हैं।
मसलन जिसे हम आज Bird=बऽड (चिड़िया) कहते हैं, वह Brid से आया है और उसका उच्चारण भी वैसा ही था – r का उच्चारण होता था। जिसे Wasp=वॉस्प (बर्र) कहते हैं, वह पहले Wæps था। उच्चारण भी वैसा ही था – ‘प‘ पहले, ‘स‘ बाद में।लेकिन बीच में दोनों का उच्चारण बदला और बाद में स्पेलिंग भी। Brid Bird बन गया और Wæps Wasp।
परंतु IRON के साथ ऐसा नहीं हुआ। नए उच्चारण के अनुसार इसी संशोधित स्पेलिंग IORN हो जानी चाहिए थी लेकिन इसकी स्पेलिंग नहीं बदली। वह भाषा में पक्के तौर पर स्थापित (standardised) हो चुकी थी। इसी कारण इसकी स्पेलिंग और उच्चारण में आज भी घालमेल बना हुआ है।
हिंदी-उर्दू में भी ऐसे कुछ उदाहरण मिलते हैं जहाँ समय के साथ कुछ शब्दों में ध्वनियों की अदलाबदली हुई। जैसे लखनऊ का नखलऊ, वाराणसी का बनारस, जानवर का जनावर, वबाल का बवाल। फ़र्क सिर्फ़ यह है कि यहाँ नई स्पेलिंग पुरानी स्पेलिंग को खा नहीं गईं। दोनों बनी रहीं।