साज़िश के लिए हिंदी में एक शब्द चलता है जिसको तीन तरह से बोला और लिखा जाता है। षडयंत्र जिसमें ष के बाद ड है, षड्यंत्र जिसमें ष के बाद ड् है और षड़यंत्र जिसमें ष के बाद ड़ है। इनमें से कौनसा रूप सही है और क्यों, यही जानेंगे हम आज की इस क्लास में।
षडयंत्र, षड्यंत्र या षड़यंत्र – इन तीनों में से कौनसा शब्द सही है, यह जानना आसान होता अगर संस्कृत के शब्दों से बना यह शब्द संस्कृत शब्दकोशों में होता। लेकिन संस्कृत के किसी कोश में यह शब्द नहीं है। दूसरे, इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है छह यंत्र जो कि साज़िश वाले अर्थ से मेल नहीं खाता। आख़िर षड्यंत्र का अर्थ साज़िश कब और कैसे हुआ, यह भी एक पहेली है।
जब मैंने इस शब्द के बारे में हिंदी कविता पर पोल किया तो षड्यंत्र (ष के बाद ड्) के पक्ष में 49% वोट पड़े। बाक़ी दो विकल्पों में षड़यंत्र (ष के बाद ड़) के पक्ष में 34% और षडयंत्र (ष के बाद ड) के पक्ष में शेष 17% लोगों ने वोट डाला (देखें चित्र)।
स्पष्ट है कि बड़ी संख्या में लोग जानते हैं कि सही शब्द षड्यंत्र ही है। हो सकता है, आप भी उन्हीं में हों। इसलिए मुझे ज़्यादा कुछ बताने की आवश्यकता नहीं लगती।। फिर भी जिन 51% लोगों ने षडयंत्र या षड़यंत्र के पक्ष में मतदान किया था, उनको बताना मेरा कर्तव्य है कि षड्यंत्र क्यों सही है और उनका चयन क्यों ग़लत है।
षड्यंत्र के बारे में बाक़ी लोगों की तरह मेरी भी यही धारणा थी कि वह संस्कृत से आया है और तत्सम शब्द है मगर संस्कृत के शब्दकोशों में मुझे यह शब्द नहीं मिला। सो हो सकता है, संस्कृत में यह शब्द न चलता हो। या चलता हो मगर साज़िश वाले अर्थ में नहीं चलता हो। ऐसा मैं क्यों कह रहा हूँ, यह मैं नीचे बताऊँगा।
षड्यंत्र शब्द भले ही संस्कृत से न आया हो मगर इसमें कोई संदेह नहीं कि जो दो शब्द इसमें मौजूद हैं – षट् और यंत्र – वे दोनों संस्कृत के हैं और व्यंजन संधि के एक नियम के कारण षट् का ट् ड् में बदल जाता है (देखें चित्र)। हो जाता है षट्+यंत्र=षड्यंत्र। इसका शाब्दिक अर्थ होता है छह यंत्र।
अब प्रश्न यह है कि छह यंत्रों का साज़िश से क्या लेना-देना है। आख़िर वे कौनसे छह विशेष यंत्र हैं जिनसे कोई साज़िश रची जाती है? सामान्य बुद्धि तो यही कहती है कि कोई भी साज़िश बिना किसी यंत्र के भी की जा सकती है।
हिंदी शब्दसागर ने इस यंत्र शब्द का अर्थ कौशल बताया है। षड्+यंत्र यानी छह प्रकार के कौशल (देखें चित्र)।
मगर यंत्र कहें या कौशल कहें, यह प्रश्न तो बचा रह ही गया कि वे कौनसे छह प्रकार के यंत्र/कौशल है जिनकी मदद से कोई साज़िश रची जाती है।
षड्यंत्र के छह यंत्रों और साज़िश के बीच की अनबूझ पहेली मुझे बरसों से परेशान कर रही थी और नेट पर सर्च करने से पता चला कि औरों के दिमाग़ में भी यही सवाल है। क्वोरा पर किसी सज्जन ने यह सवाल पूछा है जिसके जवाब में तीन लोगों ने तीन अलग-अलग राय दी हैं।
- एक सज्जन ने कहा कि षड्यंत्र राज्यशास्त्र का अंग है और शत्रु को परास्त करने की विधि है लेकिन आज उसका अर्थ बदलकर साज़िश हो गया है।
- दूसरे सज्जन कहते हैं कि यह युद्ध कौशल सिखाने की कोई गोपनीय विद्या है जो राजपरिवारों तक ही सीमित थी। उनके अनुसार अगस्त्यसूत्रम् में इसका उल्लेख है।
- एक तीसरे सज्जन ने चाणक्य नीति का हवाला देते हुए लिखा कि चाणक्य ने राज्य में स्थिरता और शांति क़ायम करने के जो छह सूत्र दिए थे, उसी का नाम षड्यंत्र है। ये छह सूत्र हैं – संधि (सुलह), विग्रह (युद्ध), आसन (निष्पक्षता), यान (भावमुद्रा), समाश्रय (गठजोड़), द्वैधीभाव (दोहरा खेल)।
इन तीन सज्जनों में से किसकी बात में कितना दम है, यह पता लगाने का मेरे पास कोई उपाय नहीं है। लेकिन तीनों ही जवाबों से एक बात स्पष्ट है कि शुरू में इस शब्द का अर्थ साज़िश नहीं था। इसका अर्थ साज़िश कैसे हुआ, यह पता नहीं चल पाया। हमारे एक साथी धीरज कुमार ने 2017 में फ़ेसबुक पर यही सवाल पूछा था। उनके सवाल पर जो टिप्पणियाँ आईँ, उन्हें पढ़ने के लिए आप यहाँ क्लिक/टैप करें।
हमारे पोल में यह भी पता चला कि भले ही बहुमत षड्यंत्र को सही मानने वालों का हो, मगर षड़यंत्र को सही मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है – एक-तिहाई। निश्चित रूप से ये सभी लोग षड़यंत्र ही बोलते भी होंगे। तो फिर आख़िरी सवाल यही बचा रहा कि षड्यंत्र षड़यंत्र में क्यों बदला।
मैं भाषाविज्ञानी तो हूँ नहीं लेकिन इतना समझ पाया हूँ कि ‘ड’ और ‘ड़’ के उच्चारण की पद्धति कुछ ऐसी है कि जब यह ध्वनि शब्द के शुरू में होती है या किसी और ध्वनि के साथ संयुक्त होती है तो जीभ को ‘ड’ बोलने में समस्या नहीं होती लेकिन जब यह ध्वनि बीच में या आख़िर में हो तो मुँह से ‘ड़’ निकलता है। जैसे डमरू और अड्डा में ‘ड’ मगर पेड़ और बड़प्पन में ‘ड़’।
षड्यंत्र में ‘ड्’ बीच में है इसीलिए मुँह को ‘ड्’ के मुक़ाबले ‘ड़’ बोलने में सुविधा है। यही कारण है कि स्वरमुक्त ‘ड्’ की ध्वनि स्वरयुक्त ‘ड़’ में बदल जाती है। खड्ग भी बोलने की सुविधा के चलते खड़ग हो जाता है। याद कीजिए – खड़क सिंह के खड़कने से खड़कती है खिड़कियाँ, खिड़कियों के खड़कने से खड़कता है खड़क सिंह।
षड्यंत्र की तरह एक और शब्द है जिसपर लोगों में भ्रम है। वह है Prima Facie के अर्थ में इस्तेमाल होने वाला शब्द। यह प्रथमदृष्टया है या प्रथमदृष्ट्या – शब्द में ट है या ट्? इसपर हम पहले चर्चा कर चुके हैं। रुचि हो तो लिंक पर टैप या क्लिक करके पढ सकते हैं।
3 replies on “142. छह यंत्रों से होने वाली साज़िश में ड है, ड् है या ड़ है?”
सर, मुझे एक बात बात की confusion है कि क्या ‘ऑ ‘और ‘औ ‘की ध्वनि एक जैसी है कि अलग अगर ‘औ ‘ये अउ है तो अंग्रेज़ी में नई ध्वनि ‘ऑ’ बनाना सही है लेकिन इस हिसाब से ‘ऐ’ अइ होना चाहिए और ‘ऐ’ के लिए कुछ और होना चाहिए। जैसे bat बैट होता है उसी तरह से dog ‘डौग’ भी तो हो सकता है , डॉग ही क्यों?
नमस्ते। अंग्रेज़ी ऑ और हिंदी के औ की ध्वनि एक नहीं है। ऑ की ध्वनि डॉक्टर वाली ध्वनि है जबकि औ के हिंदी में दो उच्चारण चलते हैं – अउ (कौआ) और अव् (औरत)। इसी तरह ऐ का उच्चारण अइ (गैया) और अय् (पैसा) होता है। इसलिए Dog का डौग नहीं लिख सकते क्योंकि उसे हम न तो डउग बोलते हैं न ही डव्ग।
षड्यंत्र
https://youtube.com/@shadyantra
Shadyantra was invented in India and Shri Lanka because Shri Lanka was part of india 8800 yrs back. Initially it was named as Dhyut. Shadyantra is system and played as per Shadgunya. It is based on 10×10 board called Dashpaad or Dashpada. Chaturanga was evolved from Shadyantra in 200 BC after it was latter was banned. And Chaturanga was played on 8×8 board called Ashtpada or Ashtpaad