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120. बाउंड्री वॉल : चारदीवारी या चहारदीवारी?

किसी इलाक़े को चारों तरफ़ से घेरने वाली दीवार को क्या कहते हैं – चारदीवारी या चहारदीवारी? जब मैं फ़ेसबुक पर यह पोल डाला तो मैंने इन दोनों के अलावा एक और विकल्प डाला – दोनों सही। मुझे लगा कि दोनों को सही बताने वाले सबसे ज़्यादा होंगे क्योंकि ये दोनों ही शब्द प्रचलन में हैं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क़रीब 43% ने चहारदीवारी को सही बताया। तो क्या चारदीवारी ग़लत है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

फ़ेसबुक पर किए गए पोल में जहाँ चहारदीवारी को सही बताने वाले 46% थे, वहीं चारदीवारी के समर्थक उसके आधे से भी कम थे – 22%। चहारदीवारी को सही बताने वालों ने इसे क्या सोचकर उसे सही बताया होगा, इसपर बाद में बात करते हैं। पहले उन लोगों की बात जिन्होंने चारदीवारी को सही और चहारदीवारी को ग़लत ठहराया। मेरे हिसाब से उनको लगा होगा कि जिस दीवार से किसी इलाक़े को ‘चारों‘ ओर से घेर लिया जाए, वह हुई चारदीवारी और यह चहारदीवारी उसका बिगड़ा हुआ रूप लगता है। जिस तरह ‘चाय’ को कहीं-कहीं ‘चाह’ भी बोलते हैं, संभवतः उसी तरह कुछ इलाक़ों के लोग चारदीवारी को चहारदीवारी बोलते हों।

जी नहीं, चहार चार का बिगड़ा हुआ रूप नहीं। वह एक स्वतंत्र शब्द है और उसका मतलब भी चार ही है – हिंदी में नहीं, फ़ारसी में। चहार भी फ़ारसी और दीवार भी फ़ारसी। दोनों शब्दों के मिलने से बना चहारदीवारी (देखें चित्र)।

चहारदीवारी शब्द फ़ारसी से हिंदी में आया। फिर उससे हिंदी में चारदीवारी बना क्योंकि कई लोगों को चहारदीवारी के मुक़ाबले चारदीवारी बेहतर लगा – चार चहार से छोटा है, आसान भी है। सो वे चारदीवारी बोलने और लिखने लगे। कुछ ने शायद इसलिए भी चारदीवारी को अपनाया होगा कि (हमारे 22% वोटरों की तरह) उन्हें भी ‘चहार’ अटपटा और ग़लत लगा।

आप यूँ कह सकते हैं कि जिस तरह से अंग्रेज़ी के हॉस्पिटल (Hospital) से हिंदी और उर्दू में अस्पताल बना, उसी तरह फ़ारसी के चहारदीवारी से हिंदी का चारदीवारी बना। शब्दकोश भी यही बताते हैं (देखें चित्र)।

लेकिन दोनों उदाहरणों में एक मौलिक फ़र्क़ है। फ़र्क़ यह कि अस्पताल हॉस्पिटल से बना है, इसमें हिंदी का अपना कोई अंश नहीं है। मगर चारदीवारी का ‘चार’ चहारदीवारी के ‘चहार’ से नहीं बना है। वह हमारा अपना ‘चार’ है जो संस्कृत के चत्वारः से बना है। हैरानी की बात केवल यह हो सकती है कि फ़ारसी के ‘चहार’ और हिंदी के ‘चार’ में इतनी समानता क्यों और कैसे है जबकि दोनों अलग-अलग देशों की बिल्कुल अलग-अलग भाषाएँ हैं।

अगर आप वाक़ई यह सोचकर हैरान हो रहे हैं तो और अधिक चौंकने के लिए तैयार हो जाइए। कारण, चहार और चार ही नहीं, एक से लेकर दस तक की सारी संख्याएँ दोनों भाषाओं में मिलती-जुलती हैं, बस एक तीन ही अपवाद है। नीचे हिंदी की संख्याओं की फ़ारसी की संख्याओं से तुलना कीजिए। आप देखेंगे कि कई शब्द तो हिंदी के मुक़ाबले संस्कृत के ज़्यादा क़रीब हैं।

यक/एक, दो/दो, सिह/तीन, चहार/चार, पंज/पाँच, शश/छह, हफ़्त/सात, हश्त/आठ, नुह/नौ, दह/दस।

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आप सोच रहे होंगे कि इसका क्या कारण है? क्या फ़ारसी संख्याएँ हिंदी ने अपनाईं या भारतीय संख्याएँ फ़ारसी में गईं? ऐसा कुछ नहीं हुआ। हुआ यह कि हिंदी ने अपनी संख्याएँ जिस संस्कृत से ली हैं और फ़ारसी ने अपनी संख्याएँ जिस भाषा से ली हैं, वे दो-तीन हज़ार साल पहले सगी बहनें थीं। इसे यूँ समझिए कि अगर मेरे पूर्वजों द्वारा संचित सोने की मुहरें समय के साथ-साथ अगली सात पीढ़ियों तक पहुँची हों तो आज की तारीख़ में जैसी मुहरें मेरे पास मिलेंगी, वैसी ही मेरे किसी बहुत-बहुत दूर के भाई के पास भी मिल सकती हैं भले ही हम दोनों एक-दूसरे को बिल्कुल ही न जानते हों और कई पीढ़ियों से हमारे बीच कोई संपर्क न रहा हो। हमारी भाषाओं के कई शब्द सोने की यही मुहरें हैं जो अलग-अलग भाषाओं में बिखरी पड़ी हैं।

अब आप पूछेंगे कि ईरान की वह प्राचीन भाषा क्या थी जो संस्कृत की सगी बहन थी। विद्वान उस भाषा को अवेस्ता कहते हैं। अवेस्ता वह भाषा है जिसमें पारसियों का धर्मग्रंथ अवेस्ता लिखा गया है। यही भाषा ईरान में ईसा से पहले की सदियों में चलती थी। अवेस्ता धर्मग्रंथ की भाषा वैदिक संस्कृत से इतनी मिलती-जुलती है उसके कई श्लोकों को कोई भी संस्कृत के श्लोक कह सकता है।

ये दो भाषाएँ क्यों आपस में इतनी मिलती-जुलती है, इसपर हम आगे बात करेंगे। पहले ज़रा संस्कृत और अवेस्ता की संख्याओं की भी तुलना कर लें क्योंकि आज बात चहार और चार नामक दो संख्याओं की हो रही है। खुले में अवेस्ता और ब्रैकिट में संस्कृत की संख्याएँ हैं।

अएव (एकः), द्वा (द्वौ), त्रि (त्रयः), चथ्वर (चत्वारः), पंच (पंच), श्वश् (षट्), हप्त (सप्त), अश्त (अष्ट), नव (नव), दश (दश)।

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इन्हीं संख्यानामों से हिंदी और फ़ारसी को अपने-अपने संख्यानाम मिले।

अवेस्ता में और भी कई शब्द है जो वैदिक संस्कृत से काफ़ी मिलते-जुलते हैं। नीचे कुछ उदाहरण देखें –

असुर और अहुरा, मित्र और मिथ्र, वेद और वएद, यज्ञ और यस्न, जंघा और जंगा, देव और दएव, सेना और हएना, हिरण्य और ज़रन्य आदि।

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अब हम यह समझते हैं कि क्यों अवेस्ता और संस्कृत में इतनी समानता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा इसलिए है कि आर्य जब मध्य एशिया में कश्यप सागर के आसपास के इलाक़े से बिखरे तो कोई दल उत्तर की ओर गया तो कोई दक्षिण की ओर। इनमें से एक दल तत्कालीन ईरान में आकर बस गया। फिर वहाँ से एक और दल भारत आया और यहाँ सिंधु नदी के आसपास अपना ठिकाना कर लिया। चूँकि दोनों के पूर्वज एक थे, इसलिए दोनों की भाषा भी एक थी। इसीलिए अवेस्ता और संस्कृत भाषाओं के कई शब्द इतने समान हैं।

अवेस्ता भाषा आगे जाकर ख़त्म हो गई। उसके बारे में जो भी जानकारी है, वह उनके धार्मिक ग्रंथ अवेस्ता से ही मिलती है। अवेस्ता का भी एक-चौथाई हिस्सा ही बच पाया है।

चूँकि आज की फ़ारसी भी ईरान की पुरानी भाषाओं से ही निकली है जिनमें अवेस्ता भी एक है, इस कारण फ़ारसी में बहुत सारे शब्द ऐसे हैं जो संस्कृत से मिलते-जुलते हैं। अरब आक्रमण के बाद भले ही उसकी लिपि बिल्कुल ही बदल गई है लेकिन कई शब्द एक जैसे हैं मसलन नाम शब्द दोनों में है, गौ और गऊ भी दोनों जगह है। इनके अलावा खान और कान,  बेवा और विधवा, बाद और वात, अब्र और अभ्र, अंगुश्त और अंगुष्ठ, द्वार और दर, हस्त और दस्त, शत और सद, दंत और दंद, दुहित्र और दुख़्तर, अश्व और अस्ब, सम और हम आदि न जाने कितने शब्द हैं जिनमें भारी समानता है। संस्कृत और फ़ारसी शब्दों में समानता के बारे में और जानने के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं।

कुछ साथी पूछ सकते हैं कि दीवार सही है या दीवाल? अगर दोनों सही हैं तो दीवार से दीवाल बना या दीवाल से दीवार? चलिए, इसपर फिर कभी चर्चा करते हैं। तब तक यह सोचते रहिए कि इस दीवाल और अंग्रेज़ी की Wall में इतनी समानता क्यों है।

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