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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

215. अहम का अर्थ ईगो या अहंकार नहीं है

अगर मैं कहूँ कि अहम का अर्थ अहंकार नहीं है तो आपमें से कई लोग सहमत नहीं होंगे। कारण, अक्सर हम पढ़ते-सुनते हैं कि यह तो दोनों के बीच अहम की लड़ाई है। अहम यानी ईगो। सही है। हम ईगो को अहम बोलते हैं लेकिन लिखते नहीं हैं। लिखते क्या हैं, यही हम जानेंगे आज की चर्चा में। रुचि हो तो पढ़ें।

अहम का एक अर्थ महत्वपूर्ण है, यह अधिकतर लोग जानते हैं। यह बहुत ही अहम मसला है – इसमें अहम का मतलब महत्वपूर्ण ही है। लेकिन क्या अहम का कोई और अर्थ भी है? मसलन ईगो?  कई लोग ऐसा मानते हैं। जब मैंने हिंदी कविता पर एक पोल किया तो पता चला कि हर तीन में से दो लोग समझते हैं कि अहम का एक अर्थ ईगो यानी अहंकार भी है। यह बहुत बड़ी संख्या है।

परंतु सच बात यह है कि अहम का अर्थ ईगो नहीं है। ईगो के लिए जो शब्द है, वह है अहम् जिसे अहं भी लिखा जाता है। 

अहम और अहम् में अंतर है।

अहम अरबी-फ़ारसी परिवार का एक शब्द है। उसका एक ही अर्थ है – महत्वपूर्ण। उसी से मिलता-जुलता एक शब्द है अहम् जिसका अर्थ है अहंकार या ईगो। दोनों का उच्चारण एक है मगर लिखने का तरीक़ा अलग-अलग है (देखें चित्र)।

जैसे अंग्रेज़ी में No और Know दो शब्द हैं जिनके अलग-अलग अर्थ हैं – ‘जानना’ और ‘नहीं’। लेकिन दोनों का उच्चारण एक है – ‘नो’। तो क्या हम Know की जगह No लिख सकते हैं? I know की जगह क्या I no लिखा जा सकता है क्या? नहीं लिखा जा सकता। इसी तरह अहं/अहम् की जगह अहम नहीं लिखा जा सकता भले ही उनका उच्चारण एक हो।

कोई कह सकता है कि हल् चिह्न तो हिंदी से ग़ायब होते जा रहे हैं जैसे महान्, भगवान्, विद्युत् आदि को हिंदी में महान, भगवान और विद्युत लिखा जा रहा है और ये सारे शब्द स्वीकार्य भी हो चुके हैं। तो फिर अहम् को अहम लिखने की ज़िद क्यों?

यह ज़िद इसलिए कि महान्, भगवान् या विद्युत् को महान, भगवान या विद्युत लिखने से उसके अर्थ को लेकर कोई संशय नहीं उपजता क्योंकि महान, भगवान या विद्युत की स्पेलिंग वाले और कोई शब्द हिंदी में मौजूद नहीं हैं। महान् लिखें या महान, दोनों का एक ही अर्थ है। लेकिन अहम के रूप में हिंदी में एक शब्द प्रचलित है जिसका अर्थ है महत्वपूर्ण। इसलिए अहम् के लिए भी अगर अहम लिखेंगे तो पाठक को भ्रम होने की आशंका बनी रहती है। जैसे ‘लड़ाई का कारण अहम है’ – इस वाक्य में अहम का आप क्या अर्थ निकालेंगे? लड़ाई का कारण ‘महत्वपूर्ण’ है या कारण ‘अहंकार’ है?

इसीलिए अहम और अहम् के मामले में दोनों की अलग-अलग स्पेलिंग लिखना ज़रूरी है। महत्वपूर्ण के लिए अहम और अहंकार के लिए अहम्। वैसे भी आप अहंकार के लिए अहम लिखेंगे तो अहंकार (अहम्+कार) शब्द बनेगा ही नहीं। वह तो अहमकार हो जाएगा। अब यह तो हो नहीं सकता कि एक तरफ़ हम अहम लिखें और दूसरी तरफ अहंकार!

अहम और अहम् की तरह के कुछ और शब्द भी हैं जिनका उच्चारण एक जैसा है मगर अर्थ भिन्न हैं। जैसे मंद का मतलब संस्कृत में धीमा और सुस्त है और फ़ारसी में वाला (अक़्लमंद, ज़रूरतमंद)। इसी तरह दान भी दोनों भाषाओं में है मगर संस्कृत का दान देने के अर्थ में प्रयुक्त होता है (गोदान, अंशदान) तो फ़ारसी के दान का मतलब है पात्र या बर्तन (क़लमदान, रोशनदान)।

इसी तरह हिंदी का फूल और अंग्रेज़ी का फ़ूल हैं। एक का अर्थ है पुष्प तो दूसरे का मूर्ख। वैसे एक बात यहाँ ध्यान देने की है। जहाँ दान या मंद के उच्चारण दोनों भाषाओं में एक हैं, वहीं हिंदी का फूल अंग्रेज़ी के Fool से कुछ अलग है। क्या है दोनों के उच्चारण में अंतर, यह आप इस विडियो से जान सकते हैं।

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