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112. मेरे ‘महबूब’ क़यामत होगी, आज तेरे नाम पे चर्चा होगी

जिससे आप प्यार करते हैं, उसे महबूब कहेंगे या मेहबूब? जब मैंने इसके बारे में फ़ेसबुक पोल किया तो तीन-चौथाई ने महबूब को सही बताया। उनका जवाब सही है। लेकिन क्या वे बोलते समय भी महबूब ही बोलते हैं या उनके मुँह से मेहबूब निकलता है? आप हिंदी फ़िल्मों के वे गाने सुन लीजिए जिसमें महबूब या महबूबा का इस्तेमाल हुआ है, सबमें गायकों के मुँह से मेहबूब और मेहबूबा ही निकला है। और महबूब ही नहीं, ऐसे ढेर सारे शब्द हैं जिनमें शुरू का ‘अ’ बदल जाता है ‘ए’ में। कौनसे हैं वे शब्द और कब ऐसा होता है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

जब मैंने महबूब और मेहबूब पर फ़ेसबुक पोल किया तो मुझे लग रहा था कि अधिकतर लोग मेहबूब के पक्ष में वोट करेंगे लेकिन हुआ उलटा। मेहबूब के पक्ष में वोट करने वाले केवल एक-चौथाई थे। तीन-चौथाई के भारी बहुमत ने महबूब को सही बताया।

बहुमत सही है क्योंकि अरबी की शब्द निर्माण प्रक्रिया से महबूब ही बनेगा, मेहबूब नहीं और शब्दकोशों में भी यही दिया हुआ है (देखें चित्र) लेकिन अल्पमत भी ग़लत नहीं है। क्यों नहीं है, इसके बारे में हम नीचे जानेंगे।

मुझे नहीं मालूम, जिन लोगों ने महबूब के पक्ष में मतदान किया था, वे बोलते क्या हैं – महबूब या मेहबूब। एक बार आप भी बोलकर देखें। मेरी समझ यह है कि भले ही हम लिखते समय महबूब लिखें लेकिन बोलते समय मुँह से मेहबूब ही निकलता है। अगर आपको अपने उच्चारण पर भरोसा नहीं हो नीचे दिए गए तीन गाने सुन लीजिए – मुहम्मद रफ़ी का ‘मेरे महबूब (मेहबूब), तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम’, किशोर कुमार का ‘मेरे महबूब (मेहबूब) क़यामत होगी’ और मुकेश का ‘ओ महबूबा (मेहबूबा), तेरे दिल के पास ही है मेरी मंज़िले मक़सूद’।

https://www.youtube.com/watch?v=2oyTPSdlxBk

एक गायक ग़लत उच्चारण कर सकता है, दो कर सकते हैं लेकिन सभी नहीं।

दरअसल ग़लती इनमें से किसी भी गायक की नहीं है, ग़लती अगर है तो हमारे मुँह की जो एक ख़ास स्थिति में ‘अ’ का उच्चारण ‘ए’ जैसा करता है। ध्यान दीजिए, मैं ‘ए’ जैसा कह रहा हूँ। अगर आप ऊपर बताए गए गाने सुनेंगे तो आप भी पाएँगे कि गायक महबूब या महबूबा का उच्चारण मेहबूब और मेहबूबा जैसा कर रहे हैं – ठीक-ठीक मेहबूब और मेहबूबा नहीं बोल रहे। ख़ैर, हम अपने मूल प्रश्न पर आते हैं और जानते हैं, कौनसी है वह स्थिति जब शब्द में आने वाले शुरुआती ‘अ’ का उच्चारण ‘ए’ जैसा होता है।

जब किसी शब्द के आरंभ में अकार हो और उसके बाद ‘ह’ आए तो ऐसी स्थिति बनती है। महबूब और महबूबा ऐसे ही शब्द हैं। ऐसे ही कुछ और शब्द मसलन महमूद, महफ़ूज़, महदूद आदि का उच्चारण भी मेहमूद, मेहफ़ूज, मेहदूद जैसा होता है।

रोचक बात यह है कि इसी मीटर वाले और शब्दों जैसे मशहूर, मजबूर, मज़दूर, मक़सूद, मक़तूल, मक़बूल, मज़लूम आदि में ‘म’ का उच्चारण ‘मे’ में नहीं बदलता, वह ‘म’ ही रहता है। आप मशहूर को मेशहूर नहीं बोलते, न ही मज़दूर को मेज़दूर बोलते हैं। मगर ‘म’ के बाद ‘ह’ आते ही ‘म’ ‘मे’ में बदल जाता है जैसा कि हमने ऊपर के कुछ शब्दों में देखा और जैसा कि अली सरदार जाफ़री भी अपनी किताब ‘दीवान-ए-ग़ालिब’ की भूमिका में लिखते हैं कि मह्बूब और वह्शत जैसे शब्दों में म और व में मौजूद अ का उच्चारण अ और ए के बीच करना चाहिए (देखें चित्र)।

ऐसा भी नहीं है कि ‘म’ के बाद ‘ह’ आने पर ही ऐसा होता है या फिर उर्दू के शब्दों में ही ऐसा होता है। ‘म’ की जगह कोई और वर्ण हो, तब भी यही नतीजा निकलता है। मसलन वह्शत का ज़िक्र ख़ुद सरदार जाफ़री ने किया है। इनके अलावा कहना, गहना, रहना में क, ग और र हैं लेकिन इनको बोलते समय केहना, गेहना और रेहना जैसा उच्चारण होता है। इसी तरह पहला का पेहला, दहला का देहला। याद कीजिए, देहली और देहरी किससे बने हैं – दहलीज़ से। द का दे हो गया। ‘यह’ का ‘ये’ और ‘वह’ का ‘वे’ भी इसी प्रवृत्ति का परिणाम हैं – यहाँ ह ग़ायब हो गया लेकिन ग़ायब होने से पूर्व अपने से पहले वाले अकार वर्ण को एकार बना गया। हिंदी के अलावा गुजराती और पंजाबी में भी यह प्रवृत्ति दिखती है जहाँ बहन को ब्हेन और भैण कहते हैं।

निष्कर्ष यह कि ऐसे ढेरों शब्द हैं जहाँ शुरू में कोई अकार वर्ण हो और उसके बाद ‘ह’ हो तो अकार वर्ण एकार हो जाता है। ऐसा क्यों होता है, इसका कारण मुझे नहीं मालूम। इस कारण की खोज में ही मैं महीनों से यह पोल टालता रहा। सोचता था कि कारण मालूम हो जाए तो यह पोस्ट और सार्थक हो जाएगा। लेकिन मुझे न किताबों से कुछ मदद मिली, न लोगों से।

मैंने अपने भाषामित्र योगेंद्र नाथ मिश्र से भी इसपर चर्चा की। उनका मत यह है कि ‘अ’ बोलते समय उत्तर भारतीयों का मुँह कुछ ज़्यादा खुल जाता है, जिससे ‘ए’ जैसी ध्वनि निकलती है। लेकिन मेरे दो सवाल है –

  1. यह ‘ए’ जैसी ध्वनि तभी क्यों निकलती है जब शब्द के दूसरे स्थान पर ‘ह’ हो? जब दूसरे स्थान पर कोई और व्यंजन होता है मसलन मज़दूर, तब ऐसा क्यों नहीं होता? 
  2. गुजरात तो उत्तर भारत में नहीं आता। वहाँ बहन का ब्हेन क्यों हुआ?

जवाब का इंतज़ार है। जब मिलेगा तो इसमें जोड़ दिया जाएगा।

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