‘विहंगम दृश्य’ का बहुत ही कम इस्तेमाल होता है और जब होता है तो ग़लत अर्थ में। जब भी कहीं कोई सुंदर दृश्य दिखता है, लोग कह देते हैं, बड़ा विहंगम दृश्य था। लेकिन यह सही नहीं है। विहंगम दृश्य का अर्थ है ऊपर (आसमान) से देखा गया नज़ारा क्योंकि विहंग का अर्थ है पक्षी। इस विषय में और जानने के लिए आगे पढ़ें।
विहंगम शब्द का इस्तेमाल आप तभी कर सकते हैं जब आप प्लेन या हेलिकॉप्टर में सवार हों या किसी बहुत ऊँची इमारत या पर्वत की चोटी पर खड़े होकर नीचे का नज़ारा देख रहे हों या उसकी तस्वीर उतार रहे हों। लेकिन मैंने देखा है कि अकसर किसी भी दृश्य के लिए, ख़ासकर जिसमें काफ़ी संख्या में लोग इकट्ठा हों, विहंगम विशेषण का इस्तेमाल कर लिया जाता है। यही वजह है कि फ़ेसबुक पर हुए एक पोल में 45% की अच्छी-ख़ासी तादाद ने विहंगम का अर्थ सुंदर और मनोहर बताया। 55% ने कहा, इसका अर्थ है ऊपर से दिखने वाला दृश्य।

विहंगम शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों का सुंदर से कोई लेना-देना नहीं है। विशेषण के तौर पर इसका अर्थ है आकाश में विचरण या गमन करने वाला और इसी से उसका संज्ञा वाला अर्थ निकलता है – बादल, सूर्य, पक्षी क्योंकि यही हैं जो आकाश में गमन करते हैं (देखें चित्र)। यह शब्द संभवतः विहायस् से आया है जिसका अर्थ है आकाश।


अब यदि विहंगम का अर्थ है पक्षी, बादल या सूर्य तो विहंगम दृश्य का क्या अर्थ हुआ? इस मामले में हिंदी के शब्दकोश कोई मदद करते नहीं दिखते क्योंकि मेरे पास जो शब्दकोश हैं, उनमें किसी में भी ‘विहंगम दृश्य’ का अर्थ नहीं है। लेकिन मुझे लगता है कि यह शब्द ख़ास तौर पर हिंदी के किसी पत्रकार द्वारा बनाया गया है अंग्रेज़ी के BIRD’S-EYE VIEW के अनुवाद के तौर पर। अंग्रेज़ी में किसी ऊँचाई से, ख़ासकर हवाई जहाज़ या हेलिकॉप्टर से नज़र आने वाले नीचे के दृश्य को BIRD’S-EYE VIEW कहते हैं और ऐसी ऊँचाई से लिए गए किसी भी चित्र का कैप्शन लिखते समय यही लिखा जाता था – A bird’s-eye view of…। अब इस कैप्शन का हिंदी करते समय यह तो नहीं लिखा जा सकता था कि ‘चिड़िया की आँख से देखा गया दृश्य’। सो किसी क़ाबिल और जानकार पत्रकार ने इसका यह अनुवाद किया होगा – विहंगम दृश्य। फ़ादर बुल्के के अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश में भी BIRD’S-EYE VIEW का अर्थ विहंगम दृष्टि ही लिखा हुआ है (देखें चित्र)।

मेरी युवावस्था तक लोग इसका अर्थ समझते थे। हमारे ऊपर जो सीनियर थे, वे भी इसका अर्थ समझते थे और समझाते थे। लेकिन बाद में न सीनियरों को इसका ज्ञान रहा, न जूनियरों को यह ज्ञान मिला। सो बिना अर्थ समझे ही विहंगम दृश्य चल पड़ा। औरों का क्या कहूँ, मेरी अपनी पुरानी वेबसाइट नवभारत टाइम्स पर विहंगम का ग़लत उपयोग हुआ है। एक स्थान पर रेलवे स्टेशन पर बिखरी पड़ी गंदगी वाले सीन को ‘विहंगम दृश्य’ बताया जा रहा है तो दूसरे में छठ पूजा की ज़मीन से ली गई तस्वीर को विहंगम दृश्य घोषित किया जा रहा है (देखें चित्र)।


गूगल पर ‘विहंगम दृश्य’ सर्च करते हुए बीजेपी के एक मंत्रीजी का ट्वीट भी दिखा। पुलवामा में शहीद हुए रतन ठाकुर की अंतिम यात्रा में साथ निकले जनसमूह के बारे में लिखा है – एक जान के पीछे हज़ारो जान है ..यह विहंगम दृश्य देश का सपूत ही पैदा कर सकता है… वीर शहीद रतन ठाकुर की शौर्यात्रा शुरू हो चुकी है (देखें चित्र)। ट्वीट के साथ लगे सारे चित्र ज़मीनी लेवल से लिए गए हैं।

गिरिराज जी का हिंदीज्ञान कितना उम्दा है, यह तो ‘शौर्यात्रा’ से ही आप समझ सकते हैं। इसलिए वे यदि विहंगम का सही अर्थ न जानें तो समझा जा सकता है। लेकिन परेशानी यही है कि आजकल की नई पीढ़ी सारा ज्ञान गिरिराज जी जैसे राजनीतिज्ञों और नवभारत टाइम्स जैसी वेबसाइटों से ही ले रही है, चाहे वह भाषा का हो या इतिहास-भूगोल और विज्ञान का।
कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि आज से दस साल बाद कोई और आलिम सर विहंगम दृश्य पर पोल करें और 90% उसका अर्थ बताएँ – सुंदर, मनोहर दृश्य।