दक्षिण भारत के एक सांसद हैं जो जीवन में बहुत ही महत्वकांक्षी रहे हालाँकि उनकी महत्वकांक्षा पूरी नहीं हुई, इसलिए सर्वदा असंतुष्ट रहे। उनका नाम सब जानते हैं। लेकिन क्या वे उनका नाम सही जानते हैं? हमारे फ़ेसबुक पोल का परिणाम तो बताता है कि 78% लोगों का उनका नाम ग़लत मालूम है। क्या है उनका सही नाम, जानने के लिए आगे पढ़ें।
इन सांसद महोदय का नाम है सुब्रमण्यन स्वामी यदि हम उनके नाम की अंग्रेज़ी स्पेलिंग से जाएँ। जी हाँ, नाम के आख़िर में ‘न’ है, न कि ‘म’। यदि आप इनके ट्विटर अकाउंट को देखेंगे तो वहाँ भी SUBRAMANIAN ही लिखा हुआ है, SUBRAMANIAM नहीं (देखें चित्र)।
लेकिन अफ़सोस की बात है कि राज्यसभा की साइट पर उनका नाम हिंदी में सुब्रमण्यम ही लिखा हुआ है (देखें चित्र)।
चलिए, ‘न’ और ‘म’ का विवाद तो ख़त्म हो गया। लेकिन एक पेच अभी भी फँसा हुआ है। सुब्रमण्यन या सुब्रमणियन? MANIAN से मण्यन के अलावा मणियन भी तो हो सकता है, जैसे INDIAN से इंड्यन और इंडियन दोनों हो सकता है।
ऐसे में मेरे मन में विचार आया कि क्यों नहीं यह पता लगाया जाए कि तमिल में इनका नाम कैसे लिखा जाता है। इस खोज के दौरान जो पता चला, वह मेरे लिए बहुत दिलचस्प रहा और ज्ञानवर्धक भी। आप भी जानना चाहें तो आगे साथ चलें वरना यहीं से विदा ले लें क्योंकि नाम का तो आपको पता चल ही चुका है।
मैंने विकिपीडिया पर सुब्रमण्यन स्वामी का पेज खोला और वहाँ बाएँ कॉलम में दिए गए तमिल संस्करण के लिंक पर गया। वहाँ उनका नाम इस तरह लिखा था – சுப்பிரமணியன் சுவாமி।
अब तमिल तो मेरे लिए काला अक्षर भैंस बराबर थी। सो मैंने गूगल ट्रांसलेट का सहारा लिया ताकि पता चले कि यह क्या लिखा हुआ है। मगर वहाँ इनके नाम का जो उच्चारण निकला, वह था – चुप्पिरमणियन् चुवामि (देखें चित्र)।
मैं भौंचक। लगा, यह तो नहीं हो सकता, ज़रूर कुछ गड़बड़ है। तब मैंने हिंदीभाषियों को तमिल सिखाने के लिए डॉ. एम. गोविंदराजन द्वारा लिखी किताब ‘श्री शक्ति तमिऴ मालै’ निकाली और उसमें तमिल वर्णों के बारे में पढ़ना शुरू किया। इस किताब से पता चला कि ‘स’ के लिए मूल तमिल में कोई वर्ण नहीं था। बाद में संस्कृत के शब्दों को शामिल करने के लिए स, ष, ह, ज जैसी ध्वनियों के लिए कुछ वर्ण बनाए गए। लेकिन शुद्ध और ठेठ तमिल का प्रयोग करने वाले इनका प्रयोग करने से बचते हैं।
निष्कर्ष यह कि सुब्रमण्यन स्वामी के नाम में जो ‘स’ है, उस ‘स’ के लिए तमिल में अलग से वर्ण बनाया गया है लेकिन लिखते समय ‘स’ की जगह ‘च’ वर्ण का उपयोग होता है (पता नहीं, क्यों)। इसीलिए गूगल ट्रांसलेट ने वर्णों को देखकर उसका उच्चारण बताया चुप्पिरमणियन् चुवामि परंतु वास्तव में इसका उच्चारण होता होगा – सुब्बिरमणियन् सुवामि। तमिल में ब के लिए भी कोई वर्ण नहीं है और ‘प’ को ही स्थिति अनुसार ‘ब’ पढ़ा जाता है।
मेरे इस अंदाज़े की पुष्टि तब हुई जब मैंने इसी किताब में तमिल लेखकों वाला हिस्सा खोला और वहाँ विख्यात तमिल कवि सुब्रमण्य भारती का नाम देखा। वहाँ उनके नाम का हिंदी लिप्यंतर सुब्बिरमणिय ही किया हुआ था (देखें चित्र)।
पहले मैं समझता था कि सुब्रमण्य शब्द शुभ्रमण्य (शुभ्र मणि) का परिवर्तित रूप है। लेकिन हिंदी कविता की टॉप फ़ैन सुषमा सक्सेना की राय थी कि मूल शब्द सुब्रह्मण्य है। इसके बाद मैंने सर्च किया तो मुझे हिंदी शब्दसागर में यह शब्द मिला जहाँ इसके ये अर्थ दिए हुए हैं – 1. शिव, 2. विष्णु, 3. कार्तिकेय, 4. उद्गाता पुरोहित या उसके तीन सहकारियों में से एक और 5. दक्षिण भारत का एक प्राचीन प्रांत (देखें चित्र)।
इसके अतिरिक्त इसका अर्थ ब्रह्मण्ययुक्त भी है। सुषमा जी का धन्यवाद। इससे इस पोस्ट की उपयोगिता कई गुना बढ़ गई है।
दक्षिण में शिव की आराधना होती है सो हो सकता है, नाम के तौर पर सुब्रह्मण्य का अर्थ शिव ही हो।
अब सुब्रह्मण्य का सुब्बिरमणिय कैसे हुआ होगा, इसके बारे में केवल अंदाज़ा लगाया जा सकता है। लेकिन इस शब्द परिवर्तन में एक ट्रेंड दिखता है। ट्रेंड यह कि संस्कृत के अर्धाक्षरों की जगह इसमें ि की मात्रा आ गई। दूसरे ह हट गया क्योंकि तमिल में ह की ध्वनि नहीं है। इसके अलावा स्वामि का चुवामि में परिवर्तन भी बताता है कि तमिल में संयुक्ताक्षरों के उच्चारणों में कहीं-कहीं दिक़्क़त है।
अपनी इस समझ का फिर से परीक्षण करने के लिए मैंने गूगल ट्रांसलेट से प्रेमदासा का तमिल रूप माँगा। मिला – பிரேமதாசா। इसकी हिंदी लिप्यंतर होगा पिरेमदासा। इसमें भी ‘प्रे’ का ‘पिरे’ हो गया। ‘स’ के लिए यहाँ भी ‘च’ का ही इस्तेमाल किया गया है।
अब फिर से अपने मूल सवाल पर आएँ। बीजेपी के इन दक्षिणी सांसद का नाम हिंदी में कैसे लिखा जाए? क्या वैसे ही जैसे तमिल में लिखा जाता है यानी सुब्बिरमणियन् सुवामि या सुब्रमण्यन स्वामी जैसा कि अंग्रेज़ी नाम के हिंदी लिप्यंतर से निकलता है या सुब्रह्मण्यन स्वामी जो संस्कृत के अनुसार इस नाम का शुद्धतम रूप है?
मेरे हिसाब से दूसरा और तीसरा दोनों विकल्प चल सकते हैं। वैसे अंग्रेज़ी के प्रभाव के कारण सुब्रमण्यन वाला रूप ही हिंदी मीडिया में चल रहा है, थोड़ी-सी गलती के साथ कि उसमें ‘मण्यन’ को ‘मण्यम’ कर दिया गया है।
जाते-जाते एक और बात। जैसा कि ऊपर पढ़ा, स्वामी को तमिल में चुवामि लिखते हैं। मुझे लगता है, कुछ लोग चुवामि (या चामि/चामी) बोलते भी हैं। आर. के. नारायण की कहानियों पर बना टीवी सीरियल ‘मालगुड़ी डेज़’ यदि आपको याद हो तो उसमें स्वामी नामक लड़के को उसकी दादी चामि/चामी कहकर ही पुकारती थीं जबकि उसके पिता स्वामि/स्वामी कहकर बुलाते थे। सुनना चाहें तो इस लिंक पर सुन सकते हैं। शुरू के दो मिनट में ही दोनों तरह के नामोच्चारण आ गए हैं।
मैं पिछले कई सालों से परेशान था कि सीरियल में दादी स्वामी को चामि/चामी क्यों कहती थीं। उसका निवारण हुआ इस पोल पर रिसर्च करते हुए। लेकिन एक ही नाम के इन दो उच्चारणों का रहस्य अभी भी समझ में नहीं आया।