कुछ लोग ‘जवाब’ को ‘जबाव’ लिख बैठते हैं। जाने-अनजाने में वे ‘व’ और ‘ब’ की जगह बदल देते हैं। ऐसा है एक शब्द है ‘बवाल’ जिसे कुछ लोग ‘वबाल’ लिखते हैं। क्या इसमें भी वही मामला है – यानी ‘व’ और ‘ब’ की जगह आपस में बदल गई है? या सही शब्द ‘वबाल’ ही है? जानने के लिए आगे पढ़ें।
जब मैंने बवाल और वबाल पर फ़ेसबुक पोल किया तो वैसा ही परिणाम आया, जैसा मैं अनुमान कर रहा था। 80% से ज़्यादा लोगों ने बवाल को सही बताया। भारत में अधिकतर लोग ‘बवाल’ ही बोलते हैं और ‘वबाल’ नाम का कोई शब्द होता है, यह मुझे भी आज से ढाई साल पहले तक नहीं मालूम था। यदि आज से ढाई साल पहले मैंने किसी ख़बर में ‘वबाल’ लिखा देखा होता तो मुझे यही लगता कि यह टाइपिंग की आम ग़लती है जहाँ किसी शब्द में वर्णों की अदला-बदली हो जाती है जैसे कि जवाब और जबाव।
मूल शब्द वबाल है और यह अरबी का शब्द है जो भारत में बदलकर बवाल हो गया। कैसे हो गया, यह मैं नहीं जानता। लेकिन जब यह प्रचलित हो गया है और इतना हो गया है कि पाँच में से चार लोग उसी को सही मानते हैं तो यह सही है। शब्दकोश भी दोनों को स्थान देते हैं (देखें चित्र)।
‘जाग्रत’ और ‘जागृत’ पर अपनी पिछली क्लास में मैंने लिखा था कि संस्कृत के लिए ‘जागर्ति’ सही होगा, हिंदी के लिए ‘जागृति’ ही सही है। जैसे अंग्रेज़ी में ‘पलीस’ (Police का अंग्रेज़ी उच्चारण) सही है और हिंदी में ‘पुलिस’ सही है। उसी तरह अरबी (या उर्दू) के लिए ‘वबाल’ सही होगा, हिंदी के लिए ‘बवाल’ सही है।
इसी तरह का एक और शब्द है पसोपेश (पस-ओ-पेश) जो उर्दू से उलट है क्योंकि वहाँ पेशोपस (पेश-ओ-पस) चलता है। इसपर हम पहले चर्चा कर चुके हैं। रुचि हो तो पढ़ें।
किसी भाषा का कोई शब्द दूसरी भाषा में जाता है तो उसका रूप बदलना स्वाभाविक है लेकिन अक्सर यह बदलाव किसी पैटर्न पर होता है। जैसे संस्कृत के जिन शब्दों में छोटी मात्राएँ थीं, हिंदी में उन शब्दों में भारी मात्राएँ हो गईं – राजन् का राजा (अ का आ), मंत्रिन् का मंत्री (इ का ई), लड्डुः का लड्डू (उ का ऊ) आदि। या फिर वर्ण बदल गए – भक्त का भगत (क का ग), योगी का जोगी (य का ज) या विंश का बीस (व का ब)। लेकिन यहाँ बदलाव उस तरह का नहीं है। यहाँ एक ही शब्द में वर्णों की अदला-बदली हो रही है और इसके उदाहरण बहुत ज़्यादा नहीं हैं। पिछले दो-तीन दिनों में मैंने बहुत सोचा तो भी मुझे हिंदी, बांग्ला और पंजाबी से ये कुछ उदाहरण मिले।
- लखनऊ का नखलऊ (हिंदी)
- वाराणसी का बनारस (हिंदी)
- बंदूक़ का दंबूक (हिंदी)
- ब्राह्मण का ब्राम्हण (हिंदी)
- चिह्न का चिन्ह (हिंदी)
- जेनरल का जरनैल (पंजाबी)
- रिक्शा का रिस्का (बांग्ला)
और उदाहरण होंगे लेकिन मुझे जानकारी नहीं है या फिर याद नहीं आ रहे। अगर आपको ऐसे शब्दों की जानकारी हो तो बताएँ।
रिक्शा और जेनरल
ऊपर लिखे शब्दों में रिक्शा और जेनरल की ओर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ।
पहले रिक्शा। यह शब्द जापानी से अंग्रेज़ी में आया और वहाँ से हिंदी में। जापानी में इसे बोला जाता है जिन-रिकि-शा। ‘जिन’ का अर्थ है आदमी, ‘रिकि’ का अर्थ है ताक़त और ‘शा’ का अर्थ है गाड़ी। यानी आदमी की ताक़त से खिंची जाने वाली गाड़ी – जिन-रिकि-शा (देखें चित्र)।
जहाँ तक जेनरल की बात है, आप जानते ही हैं कि यह अंग्रेज़ी से आया है। हिंदी में इसे आम तौर पर जनरल बोला जाता है लेकिन अंग्रेज़ी में इसका उच्चारण जनरल नहीं, जेनरल (जेन्-अर्-अल्) है। जेनरल इसलिए कि जब किन्हीं दो व्यंजनों (consonants) के बीच E आता है तो उसका उच्चारण अमूमन ‘ए’ होता है। जैसे Pen का पेन, Ten का टेन, Men का मेन आदि। उसी तरह General का अंग्रेज़ी में उच्चारण होगा जेनरल।
क्या हो अगर इस Gen के बाद e आ जाए। तब पहले e का उच्चारण हो जाएगा ‘ई’। जैसे Gene=जीन, Scene=सीन, Swede=स्वीड आदि। अंग्रेज़ी उच्चारण का यह आसान-सा नियम न जानने के कारण ही कई लोग सोशल मीडिया पर इस्तेमाल होने वाले मज़ेदार meme को शुरुआत में मेमे बोलते थे जबकि वह है मीम।
अंग्रेज़ी शब्दों में E का क्या उच्चारण होगा, इसपर मैंने अपनी अंग्रेज़ी क्लास 6 में चर्चा की है। रुचि हो तो पढ़ सकते हैं। लिंक है –