‘खुलासा करने’ के अर्थ क्या है? क्या इसका अर्थ किसी बात को स्पष्ट या साफ़ करना है? किसी छुपी हुई बात को उजागर करना है? या इसका अर्थ है किसी बात का सारांश बताना? जब हमने फ़ेसबुक पर यह सवाल पूछा तो 86% ने ‘खुलासा करने’ का अर्थ बताया – किसी छुपी हुई बात को खोलना। केवल 14% का मत अलग था। आइए, नीचे जानते हैं कि खुलासा का वास्तविक अर्थ क्या है।
सच यह है कि खुलासा के दोनों ही अर्थ सही हैं। खुलासा जिसमें ‘ख’ है, उसका अर्थ वही है जो बहुमत ने कहा। लेकिन ख़ुलासा – जिसमें ख नहीं, ख़ है, उसका अर्थ है – किसी बात का सारांश या संक्षेप।
हिंदी शब्दसागर में खुलासा की दो एंट्रियाँ हैं (देखें चित्र)। एक जिसका स्रोत वह अरबी बताता है, उसका अर्थ दिया है – सारांश, संक्षेप। दूसरा, जिसका स्रोत वह हिंदी का ‘खुलना’ शब्द बताता है, उसका अर्थ आप सब जानते ही हैं।
पहले अर्थ में खुलासा (सही स्पेलिंग ख़ुलासा) का इस्तेमाल हिंदी में लगभग नहीं के बराबर होता है। लेकिन जहाँ तक मेरी समझ है, दूसरे अर्थ वाला खुलासा उसी से बना है भले ही उसका अर्थ अलग हो।
मैं समझता हूँ कि जब पहले-पहल ख़ुलासा शब्द प्रचलन में आया होगा तो अपने मूल अर्थ (सारांश, संक्षेप) में ही। कुछ लोग उसका यही अर्थ समझते रहे होंगे लेकिन अधिकतर लोगों ने उसका अलग अर्थ ग्रहण किया क्योंकि हिंदी में पहले से एक शब्द था – खुलना – इसलिए आम लोगों ने उसका अर्थ समझा, किसी छुपी हुई बात को खोलना। धीरे-धीरे वही अर्थ प्रचलित हो गया और मूल अर्थ ग़ायब हो गया।
यह बात मैं इसलिए कह रहा हूँ कि ‘आसा’ से अंत होने वाले शब्द हिंदी में बहुत कम हैं। दूसरे शब्दों में, ‘आसा’ हिंदी का कोई प्रत्यय नहीं है। याद करने पर गँड़ासा, बतासा जैसे कुछ शब्द याद आते हैं। जिज्ञासा और नवासा जैसे शब्द भी हैं लेकिन वे क्रमशः संस्कृत और फ़ारसी मूल के हैं।
चाहे जो हो – खुलासा शब्द हिंदी में अपने-आप बना हो तो अरबी के ख़ुलासा का ही एक रूप हो – आज की तारीख़ में खुलासा के दो अर्थ हैं, ठीक उसी तरह जैसे हिंदी में खुदा के दो अर्थ हैं। अगर आप नुक़्तों का इस्तेमाल नहीं करते तो दोनों अर्थों के लिए खुलासा ही लिखेंगे और अगर मेरी तरह शुद्धता के क़ायल हैं तो जिस तरह हम ख़ुदा और खुदा में फ़र्क़ करते हैं, उसी तरह ख़ुलासा और खुलासा में भी अंतर करेंगे ताकि पाठक या श्रोता को कोई भ्रम न हो।
जिन्हें न मालूम हो, उनको बता दूँ कि अरबी-फ़ारसी परिवार में ‘ख’ और ‘फ’ नहीं है। इसलिए अगर आपको कोई ऐसा शब्द मिले जो अरबी-फ़ारसी परिवार का हो और जिसमें ख और फ से मिलती-जुलती ध्वनि हो तो वहाँ बिना झिझक ‘ख़’ और ‘फ़’ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ऐसा ही एक और नियम है जो आपको उर्दू के शब्दों को हिंदी में लिखने में मदद कर सकता है। वह है ‘ई’ और ‘ऊ’ का नियम। इस नियम से हमें पता चलता है कि क्यों हिंदी में यानि और अबु लिखना ग़लत है। इसपर पहले चर्चा हो चुकी है। चाहें तो पढ़ सकते हैं। लिंक आगे है –