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283. नाती यानी बेटी का बेटा या बेटे का बेटा भी?

नाती का मतलब आम तौर पर लोग बेटी का बेटा समझते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि बेटे के बेटे के लिए भी नाती का प्रयोग किया जा सकता है। शब्दकोश यही कहते हैं और तुलसीदास ने भी नाती का प्रयोग पोते के लिए क्या है। विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ें।

जब नाती के अर्थ के बारे में एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो 96% ने इसका अर्थ बताया – बेटी का बेटा।

नाता का अर्थ क्या है
फ़ेसबुक पर किए गए पोल का नतीजा।

लेकिन अगर शब्दकोशों की मानें तो नाती के दोनों अर्थ होते हैं। बेटी के बेटे को तो नाती कहते ही हैं,  बेटे के बेटे को भी नाती कह सकते हैं।

हिंदी शब्दसागर और ज्ञानकोश में यही अर्थ दिया हुआ है – लड़की या लड़के का लड़का। नाती जिस संस्कृत शब्द से बना है, नप्तृ, उसके भी दोनों अर्थ हैं (देखें चित्र)।

हिंदी शब्दसागर में नाती का अर्थ।

संस्कृत में बेटे के बेटे और बेटी के बेटे के लिए अलग-अलग शब्द भी हैं। बेटे के बेटे को पौत्र और बेटी के बेटे को दौहित्र कहते हैं। लेकिन नप्तृ दोनों के लिए चल सकता है (देखें चित्र)।

संस्कृत के शब्दकोश में नप्तृ का अर्थ – बेटे या बेटी का बेटा। नप्तृ से ही नाती बना है।

जब ये तीनों शब्द हिंदी में आए तो नप्तृ से नाती बना, पौत्र से पोता बना और दौहित्र से दोहता। लेकिन किसी कारण से यह दोहता शब्द अधिक नहीं चला। सो उसके लिए नाती शब्द इस्तेमाल किया जाने लगा। आगे चलकर नाती केवल बेटी के बेटे तक ही सीमित हो गया। बोलने-समझने में भी आसानी थी – पोता और नाती। पोता मतलब बेटे का बेटा। नाती मतलब बेटी का बेटा।

लेकिन अतीत में नाती का प्रयोग बेटे के बेटे के लिए भी होता था और आज भी कई आंचलिक भाषाओं में नाती का प्रयोग दोनों अर्थों में होता है।

तुलसीदास ने रामचरितमानस में पोते के अर्थ में नाती का प्रयोग किया है जब अंगद रावण को पुलस्त्य ऋषि का नाती कहते हैं जबकि पुलस्त्य रावण के दादा थे। 

उत्तम कुल पुलस्ति कर ‘नाती‘।
सिव बिरंचि पूजेहु बहु भाँती।।
बर पायहु कीन्हेहु सब काजा।
जीतेहु लोकपाल सब राजा।।

लंका कांड, 6/20

अर्थ : तुम्हारा उत्तम कुल है, पुलस्त्य ऋषि के तुम ‘पौत्र‘ हो। शिव की और ब्रह्मा की तुमने बहुत प्रकार से पूजा की है। उनसे वर पाए हैं और सब काम सिद्ध किए हैं। लोकपालों और सब राजाओं को तुमने जीत लिया है।

बांग्ला, असमिया, भोजपुरी, ओड़िया आदि भाषाओं में आज भी नाती का प्रयोग दोनों अर्थों में होता है। मराठी में भी वही स्थिति है – पोते के लिए नातू और पोती के लिए नात। और गुजराती में तो विचित्र स्थिति है। वहाँ न पोता कहा जाता है, न नाती। वहाँ सीधे कहा जाता है दीकरा नो दीकरो (बेटे का बेटा) या दीकरी नो दीकरो (बेटी का बेटा) चलता है।

यदि आपकी मातृभाषा में भी ऐसा कोई प्रयोग है तो कॉमेंट में बताएँ। मेरी और बाक़ी पाठकों की जानकारी बढ़ेगी।

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