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278. थाली का ‘बैंगन’ या थाली का ‘बैगन’?

बैंगन और बैगन –  इन दोनों में से कौनसा शब्द सही है? वह जिसमें ‘बै’ पर बिंदी लगी हुई है (बैंगन) या वह जिसमें ‘बै’ पर बिंदी नहीं लगी हुई है (बैगन)? जब इसपर एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो क़रीब दो-तिहाई ने बिंदी वाले रूप यानी बैंगन को सही बताया। शेष एक-तिहाई ने बैगन या फिर दोनों को सही बताया। सही क्या है, जानने के लिए पढ़ें।

बैंगन और बैगन में सही क्या है, इसका फ़ैसला तीन तरह से हो सकता है।

  1. शब्दकोश किसे सही बताते हैं?
  2. कौनसा शब्द मूल (स्रोत) शब्द के अधिक क़रीब है?
  3. समाज में किसे अधिक मान्यता प्राप्त है यानी कौनसा अधिक प्रचलित है?

हम इन तीनों पैमानों पर इन दो शब्दों को परखेंगे और देखेंगे कि अंतिम नतीजे में कौन आगे रहता है।

पहला, शब्दकोशों में क्या है। मैंने चार शब्दकोश देखे – हिंदी शब्दसागर, ज्ञानकोश, राजपाल कोश और ऑक्सफ़र्ड का हिंदी-अंग्रेज़ी कोश। इन चारों में बैंगन भी है और बैगन भी है लेकिन इनमें से तीन ने बैंगन को प्राथमिकता देते हुए केवल बैंगन की एंट्री में उसका अर्थ दिया हुआ है जबकि बैगन की एंट्री में लिखा हुआ है – देखें बैंगन।

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हिंदी शब्दसागर में बैंगन
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ऑक्सफ़र्ड के हिंदी-अंग्रेज़ी कोश में बैंगन
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राजपाल कोश में बैंगन

चौथे कोश – ज्ञानकोश में इसका ठीक उलटा है। उसमें बैगन की एंट्री में उसका अर्थ दिया हुआ है और बैंगन की एंट्री में लिखा है – देखें बैगन (देखें चित्र)।

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ज्ञानकोश में बैंगन की एंट्री में लिखा है – देखें बैगन।

अब बहुमत के आधार पर देखें तो कोशों के मामले में बैंगन 3-1 से यह बाज़ी जीत गया है।

अब दूसरा राउंड। बैंगन या बैगन में से कौनसा शब्द मूल (स्रोत) शब्द के अधिक क़रीब है? हिंदी शब्दसागर कहता है कि यह संस्कृत के वृन्ताक से बना है (देखें चित्र)।

हिंदी शब्दसागर में बैंगन का मूल स्रोत संस्कृत के वृन्ताक को बताया गया है।

अब अगर यह वृन्ताक से बना है तो बैंगन ही सही प्रतीत होता है क्योंकि वृन्ताक में नासिक्य ध्वनि ‘न्’ है, इसलिए बैंगन (जिसमें ‘ङ्’ की नासिक्य ध्वनि है) ही इसके निकट प्रतीत होता है।

लेकिन क्या बैंगन वाक़ई वृन्ताक से बना है। मुझे संदेह हुआ क्योंकि वृन्ताक और बैंगन में कोई समानता नहीं है। जब हम किसी शब्द का स्रोत खोजते हैं तो मूल और परिवर्तित शब्द में समानता ही सबसे बड़ा आधार होता है। जैसे ग्राम और गाँव में समानता दिखती है। ग्राम (संस्कृत) से गाम (प्राकृत) बना होगा, गाम से गावँ और गावँ से गाँव (हिंदी)।

हिंदी शब्दसागर में ग्राम से गाँव बनने की प्रक्रिया

लेकिन वृन्ताक से बैंगन कैसे बना हो सकता है? ‘व’ का ‘ब’ होना समझ में आता है मगर ‘त’ का ‘ग’ औ ‘क’ का ‘न’? ‘ऋ’ की ध्वनि का क्या हुआ, ‘आ’ का क्या बना?

Correct hindi word for brinjal source of baingan
हिंदी शब्दसागर में बैंगन का मूल स्रोत संस्कृत के वृन्ताक को बताया गया है।

मैंने सोचा, हो सकता है, वृन्ताक और बैंगन के बीच कोई लुप्त कड़ी है – कोई और शब्द है जिससे अंत में बैंगन बना होगा।

इस लुप्त कड़ी की खोज में मैंने भारतीय भाषाओं में बैंगन के समानार्थी शब्द ढूँढने शुरू किए और इस प्रक्रिया में मुझे जो जानकारियाँ मिलीं, वे बहुत ही रोचक हैं।

मुझे पता चला कि बैंगन संस्कृत के वृन्ताक से नहीं बना है जैसा कि हिंदी शब्दसागर दावा करता है। हाँ, बैंगन के ही अर्थ वाला एक और शब्द भंटा अवश्य वृन्ताक से ही बना है। वृन्ताक>भंटा

हिंदी शब्दसागर में भंटा का मूल स्रोत भी संस्कृत के वृन्ताक को बताया गया है

बैंगन बना है संस्कृत के एक और शब्द से जिसके दो रूप हैं – वातिगमः और वातिंगणः (देखें दोनों चित्र)।

आप्टे के संस्कृत कोश में वातिगमः और वातिंगणः

इसी का पाली रूप है वातिंगण और प्राकृत रूप है वाइंगण (देखें चित्र)।

इसी वाइंगण से आगे चलकर बैंगन बना है।

वातिंगण (संस्कृत/पालि)>वाइंगण (प्राकृत)>बैंगन (हिंदी)।

चूँकि वाइंगण में नासिक्य ध्वनि है सो उससे बैंगन बनना ही तार्किक लगता है, न कि बैगन।

यहाँ भी बैंगन ही बाज़ी मारता दिखता है।

अब अंतिम पैमाना – लोक प्रचलन। हमारे फ़ेसबुक पोल ने बता दिया है कि अधिकतर लोग (59%) बैंगन को ही सही मानते हैं।

यानी शब्दकोश, स्रोत शब्द और प्रचलन – इन तीनों ही आधारों पर बैंगन ही सही प्रतीत होता है।

अब ज़रा इस वातिगमः/वातिंगणः पर थोड़ी बात कर ली जाए।

संस्कृत में इस सब्ज़ी को वातिगमः/वातिंगणः क्यों कहा गया, इसका भी कारण है। माना यह जाता है कि बैंगन वात को दूर करता है यानी इसको खाने से वात या वायु चली जाती है। इसीलिए वातिगमः/वातिंगणः

आपको जानकर हैरानी होगी कि संस्कृत के  इस वातिंगणः से केवल हिंदी का बैंगन नहीं बना, अरबी का बांदिजान और अंग्रेज़ी का Brinjal भी उसी से बने हैं। अरबी का बांदिजान फ़ारसी (बांदिगान) के मार्फ़त बना तो अंग्रेज़ी का Brinjal पुर्तगाली bringella के रास्ते।

कुछ इस तरहवातिंगणः (सं)>बांदिगान (फ़ा)>बांदिजान (अ)>ब्रिंजेला (पु)>ब्रिंजल (अं)।

वैसे माना यह भी जाता है कि संस्कृत का वातिंगणः ख़ुद तमिल के रास्ते आया है। ऑक्सफ़र्ड के कोश में इसी तरफ़ इशारा किया गया है (देखें चित्र) और विकिपीडिया में बैंगन के नामों से संबंधित एक लेख में इसका समर्थन किया गया है। वहाँ लिखा है कि तमिल वारुतिनै और मलयालम  वारुतिना से संस्कृत का वातिंगणः बना है।

ऑक्सफ़र्ड के हिंदी-अंग्रेज़ी कोश में संस्कृत के वातिंगणः का स्रोत द्रविड़ बताया गया है।

अब कौनसा शब्द किससे बना है, इसके बारे में अनुमान ही लगाए जा सकते हैं। लेकिन यह तय है कि हिंदी का बैंगन प्राकृत के वाइंगण से बना है जिसका स्रोत संस्कृत का वातिंगणः है।

बैंगन और बैगन की तरह होंठ और होठ पर दुविधा होती है कि इन दोनों में से कौनसा सही है। इसपर पहले चर्चा की जा चुकी है। रुचि हो तो पढ़ें।

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