किसी भगोड़े अभियुक्त को उसके देश को सौंपना क्या कहलाता है – प्रत्यर्पण या प्रत्यार्पण? जब इसके बारे में एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो 49% ने प्रत्यर्पण को सही बताया जबकि 43% ने प्रत्यार्पण को। शेष लोगों ने दोनों को सही ठहराया। सही शब्द क्या है, यह जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
प्रत्यर्पण और प्रत्यार्पण – इन दोनों में सही शब्द क्या है, यह समझने के लिए हमें पहले जानना होगा कि यह शब्द किससे बना है और इसका मतलब क्या है। यह शब्द बना है प्रति और अर्पण यानी प्रति+अर्पण के संयोग से। प्रति के कई अर्थ हैं लेकिन यहाँ इसका मतलब है उलटा, विपरीत। अर्पण का मतलब तो आप जानते ही होंगे – कोई चीज़ किसी और को देना। इस तरह इस शब्द का अर्थ हुआ किसी व्यक्ति या वस्तु को वापस करना, लौटाना।
लेकिन प्रति+अर्पण को प्रतिअर्पण नहीं बोला जाता क्योंकि जब कोई दो शब्द एक-दूसरे से मिलते हैं तो जहाँ पर वे जुड़ते हैं, वहाँ बदलाव होता है जिसे संधि कहते हैं। उस संधि के कारण एक नया शब्द बन जाता है। जैसे महा+ईश जब मिलते हैं तो ‘हा(आ)’ और ‘ई’ की संधि के चलते महेश बनता है, विद्या+आलय जब मिलते हैं तो ‘द्या(आ)’ और ‘आ’ की संधि से विद्यालय बनता है। उसी तरह प्रति और अर्पण के मिलने से ‘ति’ और ‘अ’ की संधि होगी और एक नया शब्द बनेगा। वह नया शब्द क्या बनेगा, यही हमें जानना है।
जैसा कि ऊपर लिखा, प्रति और अर्पण में ‘ति’ और ‘अ’ मिल रहे हैं। अब ‘ति’ का मतलब है ‘त्’+’इ’ और ‘अ’ तो ‘अ’ ही है। यहाँ स्वर संधि हो रही है क्योंकि इसमें दो स्वर मिल रहे हैं – ‘इ’ और ‘अ’। जब ‘इ’ और ‘अ’ मिलेंगे तो यण संधि के तहत नियम यह है कि वे दोनों ‘य’ में बदल जाएँगे। इ+अ=य।
इस नियम से प्रति+अर्पण में परिवर्तन इस तरह होगा।
- प्रति+अर्पण
- प्रत्+(इ)+(अ)र्पण
- प्रत्+(इ+अ)+र्पण
- प्रत्+(य)+र्पण
- प्रत्यर्पण।
सो सही शब्द है प्रत्यर्पण, न कि प्रत्यार्पण। प्रत्यार्पण का संधि विच्छेद करेंगे तो होगा प्रति+आर्पण। लेकिन आर्पण तो कुछ होता नहीं। इसलिए प्रत्यार्पण ग़लत है।
शब्दकोशों में भी आपको प्रत्यर्पण ही मिलेगा, प्रत्यार्पण नहीं (देखें चित्र)।

