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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

12. जो स्वर्ग नहीं जाएँगे, वे भला कहाँ जगह पाएँगे?

स्वर्ग का उलटा क्या है – नरक या नर्क? इस प्रश्न के जवाब में 54 प्रतिशत ने नर्क के पक्ष में वोट दिया, 46 प्रतिशत ने नरक के पक्ष में। आपको क्या लगता है, सही क्या है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

सही शब्द नरक ही है। यह संस्कृत से हिंदी में हूबहू आया है यानी तत्सम शब्द है। स्वर्ग भी संस्कृत की देन है। ऐसा लगता है कि स्वर्ग में चूँकि आधा र है, इसलिए उससे तुक मिलाने के चक्कर में भाई लोगों ने नरक को भी नर्क कर दिया। सुनने में अच्छा लगता होगा, स्वर्ग-नर्क। लेकिन सही है स्वर्ग-नरक।

नरक से बनता है नारकीय जिसका अर्थ है नरक-संबंधी या नरक जैसा। जैसे नारकीय यातना का अर्थ होगा ऐसी यातना जो नरक में दी जाती है। लेकिन एक बात मुझे सालों से समझ में नहीं आ रही थी कि नरक से नारकीय क्यों होता है, नरकीय क्यों नहीं होता। बाक़ी किसी ‘अ’ से शुरू होनेवाले शब्द में -ईय प्रत्यय लगाने पर पहला अक्षर ‘आ’ में नहीं बदलता जैसे अंक से अंकीय (न कि आंकीय), रमण से रमणीय (न कि रामणीय), जल से जलीय (न कि जालीय), तट से तटीय (न कि ताटीय), दल से दलीय (न कि दालीय), पर्वत से पर्वतीय (न कि पार्वतीय) लेकिन नरक से नारकीय हो जाता है। ऐसा क्यों?

मुझे शक हुआ कि कहीं ऐसा तो नहीं कि नारकीय शब्द नरक से नहीं, नारक से बना हो। जैसे भारत से भारतीय, जाति से जातीय, वैसे ही नारक से नारकीय। फिर मैंने शब्दकोश खोला और लीजिए, मुझे नारक शब्द मिल गया हिंदी और संस्कृत दोनों ही शब्दकोशों में (देखें चित्र)।

इसका अर्थ यही है कि नारक से ही नारकीय बना है। संस्कृत में बाद में या साथ-साथ नरक भी बना हो और आगे जाकर यही रूप (नरक) ज़्यादा चल निकला हो। ऐसे में हिंदी ने संज्ञा के तौर पर ‘नरक’ लेकिन विशेषण के रूप ‘नारकीय’ ले लिया। लेकिन मुझे इस बात का पता नहीं चल पाया कि नरक या नारक शब्द बना कैसे। वैसे आपको जानकर हैरानी होगी कि अरबी में नरक के लिए जितने सारे शब्द हैं, उनमें एक नार भी जो नरक से बहुत-कुछ मिलता-जुलता है। नार का अर्थ आग भी है और नरक भी (देखें चित्र)।

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